पुणे, 15 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
मुंबई की ईगल सिक्योरिटी एंड पर्सनल सर्विसेज नामक कंपनी द्वारा पुणे मनपा को कथित रूप से धोखा देने का मामला सामने आया है. कंपनी ने मुंबई में कार्यरत लगभग 200 कर्मचारियों की सूची पुणे मनपा को सौंप दी और छह महीनों तक उनका वेतन पुणे मनपा से वसूल किया. जब मामला उजागर हुआ, तब प्रशासन ने वेतन के साथ-साथ कर्मचारियों की वर्दी के लिए दी गई रकम भी कंपनी से वसूल ली. इसके अलावा, कर्मचारियों का भविष्य निधि और अन्य बकाया न चुकाने पर कंपनी पर जुर्माना भी लगाया गया. विशेष बात यह रही कि इस कंपनी को एक प्रभावशाली नेता के हस्तक्षेप से यह ठेका मिला था. लेकिन यही मामला उस नेता के मित्र दल के एक पदाधिकारी द्वारा उजागर किया गया, जिससे दोनों मित्र दलों के बीच का ‘आर्थिक युद्ध’ भी सतह पर आ गया है. पुणे मनपा भवनों की सुरक्षा के लिए ठेका पद्धति से गार्ड नियुक्त करती है.
पिछले दो-ढाई वर्षों से तीन कंपनियां यह सेवा दे रही थीं, जिनमें से एक ईगल सिक्योरिटी कंपनी थी. दो साल पहले इस कंपनी को 626 सुरक्षा गार्डों की आपूर्ति का ठेका मिला था. कंपनी ने मनपा की निविदा के अनुसार दरें कोट की थीं और उसे प्रतिमाह लगभग डेढ़ करोड़ रुपये का भुगतान किया जाता था. कंपनी द्वारा समय-समय पर सुरक्षा गार्डों की सूची सौंपी जाती थी. छह महीने बाद सुरक्षा विभाग को संदेह हुआ और जांच में पाया गया कि सूची में दर्शाए गए लगभग 200 कर्मचारी वास्तव में मुंबई में तैनात थे, जबकि वेतन पुणे मनपा से लिया जा रहा था.
इसके बाद प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए वर्दी और वेतन की राशि कंपनी से वसूल की इस बीच मनपा के एक पदाधिकारी ने यह भी आरोप लगाया कि कंपनी ने पीएफ और ईएसआई भी जमा नहीं किए. कंपनी पर कर्मचारियों की जानकारी समय पर न देने, वेतन में कटौती करने, परिचय परेड के लिए कर्मचारी न भेजने, वर्दी न देने जैसे कारणों से दो बार जुर्माना लगाया गया है. खास बात यह रही कि कंपनी को लगातार दो बार ठेका मिला और दोनों बार चार-चार महीने की समयावधि भी बढ़ा दी गई, ऐसी जानकारी भी सामने आई है. जब इस संदर्भ में सुरक्षा विभाग प्रमुख किशोर विटकर से पूछा गया तो उन्होंने कोई जानकारी देने से इनकार कर दिया. अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी.पी. ने बताया कि संबंधित कंपनी पर दंडात्मक कार्रवाई की गई है और विस्तृत जानकारी जल्द ही साझा की जाएगी.
प्रशासक राज में अधिकारी बेखौफ !
पुणे मनपा में प्रशासक शासन लागू होने के बाद प्रशासन का नियंत्रण राज्य के सत्ताधारियों के ‘रिमोट कंट्रोल’ पर चल रहा है. मनचाहे कांट्रैक्टर्स को लाभ पहुँचाने के आरोप लगातार लगते आ रहे हैं. इस पूरे प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि कांट्रैक्टर्स के माध्यम से कांट्रैक्टर्स की लूट हो रही है. प्रशासन ने सिर्फ जुर्माना लगाकर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली है, लेकिन कांट्रैक्टर्स के पीछे खड़े सत्ता के ‘सूत्रधार’ अधिकारियों तक कार्रवाई कब पहुंचेगी? यह सवाल अब प्रमुखता से उठ रहा है. इस मामले से सत्ताधारी दलों के बीच का ‘आर्थिक युद्ध’ भी सार्वजनिक हो गया है.