शरीर नेचुरल तरीके से, बिना दवाइयों के भी ठीक हो सकता है !

डॉ. विनायक देंडगे ने 15,000 से अधिक पेशेंट्स को राहत दी, प्राकृतिक चिकित्सा पद्धतियों द्वारा जटिल सर्जरी से बचाया

    18-Apr-2025
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डॉ. विनायक देंडगे

संपर्क : पता : 751, अहिल्यालय बिल्डिंग, पहली मंजिल, पुणे मनपा के सामने, शिवाजीनगर, गावठाण, पुणे-411005 मोबाइल नं : 9850825074 ईमेल आईडी - www.osteopcarepune.com कंसल्टेंट फीस - 500 रुपये , सिटिंग फीस - 1500 रुपये डॉ. विनायक देंडगे (पीटी) , ऑस्टियोकेयर क्लीनिक पुणे
 
 
फिजियोथेरेपी, ऑस्टियोपैथी और कायरोप्रैक्टिक ये तीनों ही प्राकृतिक और बिना दवाओं की उपचार पद्धतियां हैं, जो शरीर के दर्द और तकलीफों को ठीक करने में मदद करती हैं. लेकिन इनकी कार्यप्रणाली अलग-अलग होती है. 15 वर्षों में अब तक मैंने 15,000 से अधिक पेशेंट्स का सफलतापूर्वक इलाज किया है. मुझमें यह इच्छा थी कि मरीज सीधे मेरे पास आएं और मैं उन्हें बिना दवाइयों के उपचार दूं, जिससे उनका खर्च भी कम हो और उपचार भी प्रभावी हो. आजकल लोअर बैक पेन, घुटनों का दर्द, पेट से जुड़ी समस्याएं, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण गलत जीवनशैली है. जैसे गलत तरीके से सोना, बैठना, खड़े होना या भारी वजन उठाना. शुरुआती दर्द को नजरअंदाज करना भी एक बड़ी गलती होती है. सही पॉश्चर और हेल्दी लाइफ स्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है, वरना ये समस्याएं लंबे समय तक परेशान कर सकती हैं, यह बातें डॉ. विनायक देंडगे ने दै. ‌‘आज का आनंद‌’ की पत्रकार रिद्धि शाह द्वारा लिए गए साक्षात्कार में साझा कीं. पेश हैं पाठकों के लिए उनसे की गई बातचीत के कुछ विशेष अंश :
 
 
 
सवाल : आप कहां से हैं और आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि क्या है?
 
 
जवाब : मैं मूल रूप से पुणे का ही रहने वाला हूं और मेरा जन्म नगररोड स्थित खराड़ी के चंदननगर इलाके में हुआ है. मैं एक किसान परिवार से ताल्लुक रखता हू्‌ं‍. मेरे परिवार में मेरे पिता कुंडलिक तुकाराम देंडगे, माताजी चंद्रभागा, पत्नी अर्चना और 5 वर्षीय बेटी स्वानंदी शामिल हैं. मेरे पिता दिव्यांग हैं, लेकिन उन्होंने कभी अपने आत्मवेिशास को कम नहीं होने दिया. वे टाटा मोटर्स में कार्यरत थे और मुझे गर्व है कि उन्होंने देश का प्रतिनिधित्व करते हुए पैरालंपिक में भाग लिया और एशियन गेम्स में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया. मेरी मां एक गृहिणी है. मेरी पत्नी अर्चना ने एमएससी किया है और वर्तमान में वर्क फ्रॉम होम के साथ-साथ वह मेरे क्लीनिक के कामों में भी सहयोग देती है.
 
\सवाल : आपकी शिक्षा संबंधी जानकारी दीजिये?
 
जवाब : मेरी प्रारंभिक शिक्षा पुणे से हुई. मैं पहली से चौथी तक जिला परिषद स्कूल में पढ़ा और पांचवीं से दसवीं तक मराठी माध्यम स्कूल में मेरी स्कूली शिक्षा पूरी हुई. इसके बाद मैंने भारतीय जैन संगठन स्कूल से 11वीं-12वीं (साइंस स्ट्रीम) की पढ़ाई की. स्कूल शिक्षा के बाद, मैंने तिलक महाराष्ट्र विद्यापीठ, पुणे से फिजियोथेरेपी में डिग्री प्राप्त की. इसके उपरांत मैंने थाईलैंड के चिआंग माई से एडवांस पोस्टल बायोमैकेनिक करेक्शन (एपीबीसी) का कोर्स किया, अपनी विशेषज्ञता को और अधिक गहराई देने हेतु, मैंने ऑस्टियोपैथी कॉलेज ऑफ ओंटारियो से ऑस्टियोपैथी में डिप्लोमा किया. इसके बाद अकेर्मन्न कॉलेज ऑफ स्वीडन से कायरोप्रैक्टिक में मास्टर्स किया और देश भगत कॉलेज, पंजाब से ऑस्टियोपैथी में एमएससी की उपाधि प्राप्त की. इसके अलावा, मैंने देहरादून स्थित एक प्रतिष्ठित वेिशविद्यालय से फेलोशिप भी पूर्ण की है.
 
 
सवाल : आपने इस फील्ड में जाने का कैसे सोचा?
 
जवाब : मैंने यह क्षेत्र इसलिए चुना क्योंकि मेरा हमेशा से यह वेिशास रहा है कि शरीर को नैचुरल तरीके से, बिना दवाइयों के भी ठीक किया जा सकता है. मैंने फिजियोथेरेपी की पढ़ाई की और सह्याद्रि हॉस्पिटल में कार्यरत रहते हुए महसूस किया कि फिजियोथेरेपी में कुछ सीमाएं हैं. मेरी यह इच्छा थी कि पेशंट सीधे मेरे पास आएं और मैं उन्हें बिना दवाइयों के उपचार दूं, जिससे उनका खर्च भी कम हो और उपचार भी प्रभावी हो. इसी दौरान 2016 में मेरे एक सीनियर से मुझे ऑस्टियोपैथी के बारे में जानकारी मिली. यह जानकर मैं बहुत प्रभावित हुआ कि सिर्फ हाथों के माध्यम से, शरीर की नैचुरल हीलिंग प्रोसेस को एक्टिवेट किया जा सकता है. मैंने इस दिशा में गहराई से अध्ययन किया और देखा कि एसिडिटी, डाइजेशन, कब्ज, सिरदर्द जैसे कई रोग सिर्फ स्पर्श और थेरेपी से ठीक हो रहे हैं. फिजियोथेरेपी प्रैक्टिस के दौरान ही एक बार मेरे क्लाइंट डॉ. अत्रे सर ने मुझे दिव्य स्पर्शी नामक किताब दी. इस किताब में यह बताया गया था कि केवल हाथों के जादू और स्पर्श से कैसे कई गंभीर बीमारियों को बिना दवा के ठीक किया जा सकता है. यह किताब मेरे लिए बेहद प्रेरणादायक रही और उसी दिन से मैंने निश्चय किया कि मैं अपनी विशेषज्ञता को इस दिशा में और विकसित करूंगा. मेरा यही उद्देश्य है कि मैं लोगों को दवाओं पर निर्भर किए बिना, प्राकृतिक तरीकों से स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकू्‌ं‍. ऑस्टियोपैथी मुझे यह अवसर देती है और इसी सोच ने मुझे इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया.
 
  
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 सवाल : अभी तक आपने कितने पेशेंट्स का इलाज किया है?
 
 
जवाब : यह बताते हुए मुझे बेहद गर्व हो रहा है कि अब तक मैंने 14,000 से 15,000 पेशेंट्स का सफलतापूर्वक इलाज किया है. साथ ही मेरी विशेषज्ञता और उपचार पद्धतियों की बदौलत 1,000 से अधिक पेशेंट्स को जटिल सर्जरी से भी बचाया है.
 
 
सवाल : फिजियोथेरेपी, ऑस्टियोपैथी और कायरोप्रैक्टिक में क्या फर्क हैं?
 
 
जवाब : फिजियोथेरेपी, ऑस्टियोपैथी और कायरोप्रैक्टिक ये तीनों ही प्राकृतिक और बिना दवाओं की उपचार पद्धतियां हैं, जो शरीर के दर्द और तकलीफों को ठीक करने में मदद करती हैं, लेकिन इनकी कार्यप्रणाली अलग-अलग होती है. फिजियोथेरेपी एक भौतिक चिकित्सा पद्धति है जिसमें एक्सरसाइज, मसाज, स्ट्रेचिंग और विशेष मशीनों की मदद से मांसपेशियों, जोड़ों और नसों की समस्याओं का इलाज किया जाता है. यह आमतौर पर पैरालिसिस, इंजरी के बाद रिकवरी या पुरानी तकलीफों के लिए इस्तेमाल होती है. वहीं ऑस्टियोपैथी एक अल्टरनेटिव मेडिसिन पद्धति है जो शरीर की संरचना और उसके संतुलन को सुधारने पर केंद्रित होती है. इसमें हाथों के माध्यम से हड्डियों, मांसपेशियों और जोड़ों को दबाकर या खींचकर शरीर के अंदरूनी कारणों को समझा जाता है, जैसे किस मसल पर अधिक तनाव है या कौन सी मसल काम नहीं कर रही. इसका निदान कर जड़ से इलाज किया जाता है. वहीं कायरोप्रैक्टिक आजकल एक ट्रेंडिंग और लोकप्रिय तरीका बन गया है जिसमें शरीर के दर्द वाले हिस्सों पर मसाज या जॉइंट मैनिपुलेशन किया जाता है जिससे बॉडी से क्रैकिंग साउंड (हड्डी की आवाज) आती है. ये थेरेपीज न सिर्फ पीठ दर्द, गर्दन दर्द, कब्ज, चक्कर आने जैसी समस्याओं में कारगर हैं, बल्कि पेशेंट्स को यह संतोष होता है कि वे बिना दवाओं के प्राकृतिक तरीके से ठीक हो रहे हैं. इन तीनों विधाओं का उद्देश्य शरीर को फिर से संतुलित, सक्रिय और दर्द-मुक्त बनाना है.
 
सवाल : आपको इस क्षेत्र में कितने वर्षों का अनुभव है और आपके पास आने वाले मरीज आमतौर पर किन समस्याओं से ग्रस्त होते हैं?
 
 
जवाब : मुझे इस क्षेत्र में 15 वर्षों का अनुभव है. मेरे पास आने वाले अधिकांश मरीज लोअर बैक पेन, घुटनों का दर्द, पेट से जुड़ी समस्याएं, सिरदर्द और माइग्रेन जैसी परेशानियों से ग्रस्त होते हैं. इन समस्याओं के लिए आमतौर पर 4 से 5 सिटिंग की जशरत होती है, जबकि जटिल मामलों में 12 सिटिंग तक लग सकती हैं. आजकल ये समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं, जिसका मुख्य कारण गलत जीवनशैली है, जैसे गलत तरीके से सोना, बैठना, खड़े होना या भारी वजन उठाना. शुरुआती दर्द को नजरअंदाज करना भी एक बड़ी गलती होती है. सही पॉश्चर और हेल्दी लाइफ स्टाइल को अपनाना बेहद जरूरी है, वरना ये समस्याएं लंबे समय तक परेशान कर सकती हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि अब 12 से 20 साल के युवा भी लोअर बैक पेन की समस्या लेकर आ रहे हैं. वहीं 20 से 40 साल की उम्र के लोग बैक और नेक पेन की शिकायतें लेकर सबसे अधिक आते हैं. मेरे पास अधिकतम 86 से 89 वर्ष तक के बुजुर्ग भी उपचार के लिए आते हैं.
 
 
 
सवाल : वर्तमान में आपके क्लीनिक में उपचार के लिए कौन-कौन सी आधुनिक मशीनें उपलब्ध हैं?
 
 
जवाब : हमारे क्लीनिक में अत्याधुनिक और प्रभावशाली तकनीकों से युक्त कई मशीनें उपलब्ध हैं, जो विभिन्न प्रकार के दर्द और समस्याओं के उपचार में अत्यंत प्रभावी सिद्ध हो रही हैं. हमारे पास हाई-पावर मैग्नेटो थेरेपी है, जो जर्मन टेक्नोलॉजी पर आधारित है और यह पूरे राज्य में केवल हमारे पास उपलब्ध है. इसके अतिरिक्त अमेरिका से इम्पोर्टेड स्पाइनल डी-कंप्रेशन थेरेपी की सुविधा भी मौजूद है, जो रीढ़ की समस्याओं के लिए बेहद उपयोगी है. हमारे पास इटालियन तकनीक आधारित क्लास-4 लेजर थेरेपी है, जो तेज और गहरे असर के लिए जानी जाती है. घुटनों के दर्द के लिए विशेष डीकंप्रेशन थेरेपी और जर्मन तकनीक से विकसित मैट्रिक्स रिदम थेरेपी भी उपलब्ध हैं. इसके अलावा, हम गन शॉक वेव थेरेपी का भी उपयोग करते हैं, जो मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द के लिए एक प्रभावशाली उपचार प्रणाली है. सवाल : आपके क्लीनिक में आने वाले पेशेंट्स में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात क्या रहता है? जवाब : मेरे क्लीनिक में लगभग 60% मरीज महिलाएं होती हैं, जबकि 40% पुरुष होते हैं. महिलाएं आमतौर पर परिवार के सभी सदस्यों की सेहत का पूरा ध्यान रखती हैं. लेकिन इसी प्रक्रिया में वे अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देती हैं. खासकर 40 की उम्र के बाद, हार्मोनल बदलावों के कारण महिलाओं में न्यूट्रिशन की कमी, थकान, हड्डियों और जोड़ों में दर्द जैसी समस्याएं अधिक देखने को मिलती हैं. जब महिलाएं मेरे क्लीनिक पर आती हैं, तो मैं सबसे पहले उनकी काउंसिलिंग करता हूं ताकि वे अपनी सेहत को भी प्राथमिकता देना सीखें.
 
 
 
सवाल : शहर में फिजियोथेरेपिस्ट, ऑस्टियोपैथी और कायरोप्रैक्टिक से जुड़े डॉक्टरों की संख्या कितनी है? इन क्षेत्रों में महिलाओं और पुरुषों का अनुपात क्या है?
 
 
जवाब : शहर में फिजियोथेरेपिस्ट की संख्या 5000 से अधिक है. ऑस्टियोपैथी और कायरोप्रैक्टिक में विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या अपेक्षाकृत कम है, लगभग 15 से 20 के बीच. वर्तमान में एमबीबीएस, बीएएमएस और बीएचएमएस डॉक्टर भी इन वैकल्पिक चिकित्सा क्षेत्रों में रुचि ले रहे हैं. इन सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी पुरुषों की तुलना में अधिक है. उदाहरण के लिए 2010 में जब मैंने ग्रेजुएशन किया था, तो हमारी क्लास में 10 लड़के थे और 42 लड़कियां थीं. सवाल : आपकी क्लीनिक में कुल कितने कर्मचारी कार्यरत हैं?
 
 
जवाब : वर्तमान में हमारी टीम में कुल 17 सदस्य हैं, जिनमें से 9 सर्टिफाइड और उच्चशिक्षित डॉक्टर हैं.
 
 
सवाल : आजकल सड़कों पर बढ़ते ग-े लोगों की रीढ़ की हड्डी (स्पाइनल कॉर्ड) को किस प्रकार प्रभावित कर रहे हैं? जवाब : जी हां, खराब सड़कों पर ग-ों और ऊंचे स्पीड ब्रेकर्स के कारण वाहन चलाते समय शरीर को अचानक झटका लगता है, जो रीढ़ की हड्डी पर सीधा असर डाल सकता है. इससे लोअर बैक पेन, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं. जब वाहन ग-े में गिरता है, तो झटका रीढ़ की हड्डी और आसपास की मांसपेशियों पर दबाव डालता है, जिससे अंदरूनी चोट की संभावना भी होती है. हालांकि, सिर्फ सड़कों को दोष देना सही नहीं होगा. यदि व्यक्ति की लाइफ स्टाइल अच्छी हो जैसे संतुलित आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, सही पॉश्चर में बैठना और पर्याप्त नींद लेना तो हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं, जिससे झटकों का असर कम होता है और शरीर जल्दी रिकवर करता है. इसलिए जशरी है कि हर व्यक्ति अपनी फिटनेस के प्रति सजग रहे.
 
सवाल : ऐसी कौन-सी आदतें और खान-पान की चीजें हमें अपनी दिनचर्या में शामिल करनी चाहिए, जिससे हमारा संपूर्ण स्वास्थ्य अच्छा बना रहे और हड्डियां भी मजबूत हों?
 
 
जवाब : स्वस्थ और मजबूत शरीर के लिए सबसे पहले हमें अपनी दिनचर्या को नियमित और संतुलित बनाना जशरी है. समय पर सोना और समय पर उठना, पर्याप्त नींद लेना और हर दिन एक ही समय पर भोजन करना हमारे शरीर की जैविक घड़ी को सही रखता है. इसके साथ ही रोजाना कम से कम 30 मिनट की एक्सरसाइज या हल्की फिजिकल एक्टिविटी जैसे चलना, योग या स्ट्रेचिंग जशर करनी चाहिए. हड्डियों की मजबूती के लिए सिर्फ कैल्शियम और विटामिन -डी ही नहीं, बल्कि मैग्नीशियम का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. अधिकतर लोग मैग्नीशियम को नजरअंदाज करते हैं, जबकि यह मिनरल मांसपेशियों के लिए बेहद जरूरी है. इसकी कमी से शरीर में दर्द, जकड़न और थकावट महसूस होती है. रिसर्च के अनुसार, एक चम्मच चीनी हमारे शरीर से लगभग 52 मैग्नीशियम अणुओं को खत्म कर देती है, इसलिए अत्यधिक मीठा खाने से बचना चाहिए. हमें अपने आहार में हरी पत्तेदार सब्जियां, मेवे (जैसे बादाम, किशमिश, अखरोट), बीज और साबुत अनाज शामिल करना चाहिए जो मैग्नीशियम से भरपूर होते हैं. इसके अलावा, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना और शरीर को हाइड्रेटेड रखना भी बहुत जरूरी है. अगर ये सभी आदतें हम अपनी दिनचर्या में अपनाते हैं, तो न केवल हमारा सम्पूर्ण स्वास्थ्य बेहतर रहेगा, बल्कि हमारी हड्डियां और मांसपेशियां भी लंबे समय तक मजबूत बनी रहेंगी.
 
सवाल : वर्तमान में आप किन-किन समस्याओं पर उपचार प्रदान करते हैं?
 
जवाब : माइग्रेन और सिरदर्द, नींद संबंधी विकार, तनाव और चिंता, शारीरिक असंतुलन, नींद की समस्या, पाचन संबंधी समस्या जैसे आईबीएस, कब्ज, एसिड रिप्लक्स, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसे ेशसन संबंधी समस्या, पीरियड्स से जुड़ी समस्या, प्रजनन एवं स्त्री रोग संबंधी समस्या, लिवर, किडनी और अन्य आंतरिक अंगों की समस्या. स्ट्रक्चरल ऑस्टियोपैथी के अंतर्गत पीठदर्द, कमरदर्द, वर्टिगो, मांसपेशियों में तनाव, सर्वाइकल प्रोलेप्स, जोड़ों का दर्द जैसे अन्य अंगों के दर्द का उपचार हम बिना दवाइयों के करते हैं. साथ ही कायरोप्रैक्टिक और ऑस्टियोपैथी दीर्घकालिक आराम देते हैं.
 
 
सवाल : आज की युवा पीढ़ी तेजी से आगे बढ़ना चाहती है, ऐसा करते हुए वह अक्सर स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर देती है. ऐसे में आप उन्हें क्या महत्वपूर्ण सलाह देना चाहेंगे?
 
 
जवाब : मैं युवाओं से यही कहना चाहूंगा कि सफलता की दौड़ में स्वास्थ्य को न भूलें. अपनी प्रगति को जारी रखें. लेकिन समय पर खाना, पर्याप्त नींद, शरीर को हाइड्रेटेड रखना और नियमित व्यायाम बेहद जरूरी है. हम दिनभर दूसरों के लिए समय निकालते हैं, तो क्या हम खुद के लिए रोज 1 घंटा नहीं निकाल सकते? एक स्वस्थ शरीर ही एक मजबूत और स्थायी भविष्य की नींव है. अपने बैठने, खड़े होने और सोने के तरीके पर ध्यान दें ,अच्छे पॉश्चर को अपनाएं और हेल्दी लाइफस्टाइल को अपनी आदत बनाएं. साथ ही जैसे काम को प्राथमिकता देते हैं, वैसे ही स्वास्थ्य को भी प्राथमिकता देना हमारा कर्तव्य है.