पुणे, 20 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) मराठा समाज के आर्थिक पिछड़ापन की जांच करने के लिए स्थापित आयोग में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार हुआ है, ऐसा गंभीर आरोप शिवसेना (उद्धव ठाकरे) की प्रवक्ता सुषमा अंधारे ने लगाया. उन्होंने कहा कि झूठी नियुक्तियों में खर्च दिखाकर, असल में आयोग द्वारा कोई अध्ययन या शोध नहीं किया गया, और यह मराठा समाज के साथ धोखाधड़ी है. अंधारे ने दावा किया कि उनके पास सूचना अधिकार के तहत मांगी गई दपतावेज मौजूद है. पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने आयोग के अध्यक्ष से यह सवाल किया कि आयोग ने किस प्रकार का अध्ययन किया है और कौन सा शोध हुआ है, इसका खुलासा किया जाए्. उन्होंने कहा कि आयोग के अध्ययन के लिए बहुजन कल्याण पिछड़ा विभाग ने 9 जनवरी 2024 को 367 करोड़ 12 लाख 59 हजार रुपये मंजूर किए थे. इस निधि से जिलाधीश, उपजिलाधीश, तहसीलदार, नायब तहसीलदार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, प्रगणक आदि के मानधन, कार्यालय स्टेशनरी और कार्यालय के लिए जगह के खर्च का विवरण दिखाया गया है.
मराठा समाज के आर्थिक पिछड़ापन का अध्ययन करने के लिए आयोग ने 1 लाख 43 हजार प्रगणकों की नियुक्ति दिखाई है. अंधारे ने कहा कि अकेले अहमदनगर जिले में 10 हजार प्रगणक दिखाए गए हैं, लेकिन जब जिले में जाकर जानकारी ली गई तो वहां इस प्रकार का कोई काम नहीं हो रहा था. उन्होंने इसे समाज को गुमराह करने की साजिश बताया. इसके अलावा, आयोग के सदस्य सचिव के रूप में की गई नियुक्तियों को भी गैरकानूनी बताया. उन्होंने कहा कि इन नियुक्तियों को जिस विभाग से दिखाया गया, वह विभाग उनके काम करने वाले विभाग से अलग था.
अंधारे ने यह भी आरोप लगाया कि एक ओर जहां प्रगणकों की नियुक्ति दिखाई गई, वहीं दूसरी ओर गोखले इंस्टीट्यूट के साथ आयोग ने इस विषय पर शोध करने के लिए अनुबंध किया. आयोग के खर्चों में वित्तीय अनियमितताओं के बारे में अनुसंधान अधिकारियों ने राज्य के प्रधान सचिव को एक पत्र लिखा था, और आयोग के एक सदस्य ने भी आर्थिक भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के बारे में प्रधान सचिव को पत्र दिया था. अंधारे ने इन सभी मामलों की सरकार से तत्काल जांच कराने की मांग की और कहा कि मराठा समाज के साथ हो रही धोखाधड़ी को रोका जाए.