पुणे, 20 अप्रैल (आ.प्र.)
धायरी के घनी आबादी वाले क्षेत्र में स्थित कचरा निपटान डेपो को स्थानांतरित किया जाना चाहिए. पार्क के लिए आरक्षित भूमि को पार्क में परिवर्तित किया जाना चाहिए, यह मांग धायरी के नागरिकों ने सांसद सुप्रिया सुले से की. इस वक्त क्षेत्र की महिलाएं बड़ी संख्या में मौजूद थीं. धायरी-नऱ्हे रोड पर लोकवस्ती के बीच कचरा एकत्रीकरण डिपो स्थापित किया गया है. स्थानीय नागरिक पिछले कुछ दिनों से इस कचरा डिपो को स्थानांतरित करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनके विरोध को ध्यान में रखते हुए सुले ने रविवार को कचरा डिपो का दौरा किया. इस दौरान नागरिकों ने अपनी समस्याएं और मांगें उनके समक्ष रखीं. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के काका चव्हाण, सचिन दोडके, नीलेश दमिश्त, आप के शहर अध्यक्ष धनंजय बेनकर, कांग्रेस के राजाभाऊ कुंभार और अन्य इस वक्त उपस्थित थे.
सुले ने नागरिकों को ओशासन दिया कि वह जल्द ही इस मुद्दे को पुणे नगर आयुक्त के समक्ष उठाएंगे. नीलांबरी कुलकर्णी, ममता कामत, राधिका गुपचुप, रणजीत जाधव, जान्हवी मेंडेकर, अर्चना टकले आदि ने कचरा डिपो से उत्पन्न होने वाली विभिन्न समस्याओं को सुले के सामने रखा. मेंडेकर ने बताया कि 14 मार्च को सुबह करीब तीन बजे इस डिपो में भीषण आग लग गई. इससे आसपास के नागरिकों की जान को खतरा पैदा हो गया. इसके अलावा, कचरा जलने से होने वाले प्रदूषण से स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हुईं. नागरिक सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.
यह भूखंड एक पार्क के लिए आरक्षित था. लेकिन, कचरा परियोजना नागरिकों को वेिशास में लिए बिना ही कार्यान्वित की गई. इस कचरा डिपो से लगातार दुर्गंध आती रहती है. घर के दरवाजे और खिड़कियां हर समय बंद रखनी पड़ती है. बड़ी मखियां आती रहती हैं. इससे स्वास्थ्य को भी खतरा हो सकता है. आस-पास की सोसायटियों में रहने वाले लोगों के लिए रहना मुश्किल हो गया है.
लोगों की सेहत पर पड़ रहा असर
छोटे बच्चे इधर-उधर खेलते रहते हैं, उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित है, ऐसी शिकायत नागरिकों ने की. बेनकर ने कहा कि मुंबई नगर निगम अधिनियम के अनुसार कचरा विलय परियोजनाएं आबादी वाले क्षेत्रों से कम से कम पांच सौ मीटर दूर होनी चाहिए. लेकिन, इसकी अनदेखी करते हुए पुणे मनपा प्रशासन ने इस परियोजना का निर्माण घनी आबादी वाले इलाके के बीच में किया है. प्रदूषण फैलाने वाली कम्पनियां इस ओर आंखें मूंदे बैठी हैं. इस परियोजना ने आस-पास की प्राकृतिक धाराओं के पानी को जहरीला बना दिया है.