पुणे, 22 अप्रैल (आ. प्र.)
मंदिर वही बनाएंगे, आस्था को नहीं मिटाएंगे, त्रिशलानंदन वीर की - जय बोलो महावीर की, हम शांत है पर कमजोर नही, मंदिर तोडा चूप नही रहेंगे, शांतीसे मार्च करेंगे, हम शांतीसे चलते है, अपनी बात करते है, जैन समाज करेगा न्याय की मांग - मंदिर गिराना बहुत बड़ा अपमान... जय जयकार - जैन धर्म की जय जयकार, जैन धर्म अमर रहे... आदि नारों के साथ सकल जैन संघ, पुणे ने आज (22 अप्रैल) जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया और बृहन्मुंबई मनपा द्वारा बुलडोजर की मदद से मुंबई के विले पार्ले में एक जैन मंदिर को अवैध रूप से ध्वस्त करने का विरोध किया. इसी अवसर पर सकल जैन संघ, पुणे द्वारा जिला कलेक्टर को संबंधित अधिकारियों को बर्खास्त करने और ध्वस्त मंदिर को उसी स्थान पर पुनर्निर्मित करने की मांग करते हुए एक पत्र सौंपा गया.
बृहन्मुंबई मनपा प्रशासन ने 16 अप्रैल को विले पार्ले स्थित जैन मंदिर बृहन्मुंबई मनपा ने सभी कानूनी पहलुओं को समझे बिना, बुलडोजर और जेसीबी की मदद से क्रूर तरीके से ध्वस्त कर दिया. इसके अलावा, मंदिर के विध्वंस के दौरान धार्मिक ग्रंथों और पूजा सामग्री को अपवित्र कर दिया गया और मंदिर में स्थित मूर्तियों को भी तोड़ दिया गया है. प्रशासन के इस अत्याचारपूर्ण कृत्य से सम्पूर्ण जैन समाज व देश का सर्वसमाज अत्यंत आक्रोशित हो गया है, ऐसा जिला कलेक्टर को दिए गए बयान में कहा गया है. सकल जैन संघ की ओर से अचल जैन के माध्यम से निवासी जिला कलेक्टर को विरोध ज्ञापन सौंपा गया. निवासी जिला कलेक्टर ने इस ज्ञापन को स्वीकार करने तथा जैन समाज की भावनाओं से मुख्यमंत्री को अवगत कराने का ओशासन दिया.
पिछले कई वर्षों से जैन तीर्थ स्थलों पर अतिक्रमण, तीर्थयात्रियों पर हमले, जैन गुरुओं, साधुओं और साध्वियों पर हमले जानबूझकर हो रहे हैं और यह पता लगाना आवश्यक है कि इसके पीछे किसका गुप्त उद्देश्य है. इसके साथ ही सकल जैन संघ द्वारा जैन धर्म एवं समाज के प्रति हो रहे अन्याय एवं अत्याचार के विरुद्ध निवारण की विभिन्न मांगें की गई. इस अवसर पर सकल जैन संघ, पुणे द्वारा अचल जैन (आयोजक), विजयकांत कोठारी, मिलिंद फडे, महावीर कटारिया के नेतृत्व में जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने सुबह 10 बजे से दोपहर 12 बजे तक धरना दिया गया. विरोध प्रदर्शन की शुरुआत और अंत में सामूहिक रूप से नवकार महामंत्र का पाठ किया गया. पुणे और आसपास के क्षेत्रों से हजारों जैन भाई-बहनों ने धरना प्रदर्शन में भाग लिया. प्रदर्शनकारियों ने अपना विरोध व्यक्त करने के लिए काली पट्टियां बांध रखी थीं.
जैन समाज ने ये रखी मांगें
देश व प्रदेश में सभी धार्मिक स्थलों जैसे जैन तीर्थ स्थलों, मंदिरों, थानों, आश्रमों, साधु-साध्वियों के निवास स्थलों पर स्थायी सुरक्षा सुनिश्चित करने वाला कानून होना चाहिए. राज्य सरकार को जैन साधु-साध्वियों को पवित्र तीर्थस्थल पर रहते हुए सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए. केंद्र सरकार को विभिन्न सामाजिक बुराइयों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जो जैन श्रद्धालुओं को बहुत प्राचीन और हजारों साल पुरानी परंपरा वाले विभिन्न तीर्थ स्थलों जैसे पालीताणा, गिरनार, सम्मेद शिखरजी, राजगृही, राणकपुर और अन्य स्थानों पर पूजा करने से रोक रही हैं. पिछले कुछ वर्षों में जैन धार्मिक संतों और मुनियों पर असामाजिक तत्त्वों द्वारा बार-बार हमले किए गए हैं. संबंधित हमलावरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और साधु-संतों की सुरक्षा के लिए केंद्रीय स्तर पर कानून पारित किया जाना चाहिए.
समाज की प्रतिक्रियाएं
अचल जैन ने कहा, हम समाज की भावनाओं को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे. यदि समुदाय की भावनाओं पर विचार नहीं किया गया और न्याय नहीं मिला तो हम अपनी अगली कार्रवाई तय करेंगे. इस अवसर पर 87 वर्षीय सुरेश शाह ने विरोध प्रदर्शन में भाग लिया और अपनी मांगें पूरी न होने पर आमरण अनशन पर जाने की मंशा जताई. इस वक्त डॉ. कल्याण गंगवाल ने स्पष्ट रूप से अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि, पिछले चार महीनों से जैन समुदाय को विभिन्न तरीकों से अन्याय का सामना करना पड़ रहा है.
जबलपुर में राजनीतिक नेताओं ने इस समुदाय के लोगों को राक्षस और रावण तक कह दिया है. वहीं, विले पार्ले में एक जैन मंदिर को क्षतिग्रस्त कर दिया गया. शुरुआत में किसी मीडिया ने इस घटना पर ध्यान नहीं दिया, यह दुर्भाग्य है. सरकार तब जगी जब दस से पंद्रह हजार समुदाय के सदस्यों ने मुंबई में एक साथ मार्च किया. भले ही हम अल्पसंख्यक हैं, फिर भी हम किसी को भी हमारे धार्मिक स्थलों और पूजा स्थलों को छूने की इजाजत नहीं देंगे. अरिहंत ग्रुप के अभय जैन ने कहा, हमारी मांग है कि इस मुद्दे पर पूरी इंकवायरी हो. सभी तथ्य सामने आए. हम शांत है. हम हिंसा नहीं करते, इसका मतलब यह नहीं की हमको हल्के में लिया जाए. जैन धरम पर बहोत अत्याचार होते है, यह अच्छी बात नहीं है. हमारे गुरुओं को मारा जाता है, विहार के समय एक्सीडेंट होते है, ऐसा ना हो, इसका ध्यान रखना चाहिए.
उद्यमी संतोष जैन ने कहा, कि जैन एक धार्मिक समुदाय है. यह एक शांतिपूर्ण समाज के रूप में जाना जाता है. इस पहचान को सभी ने बड़ी ईमानदारी और प्रयास से संरक्षित रखा है. इसके लिए जैनियों ने महान त्याग किये हैं. हालांकि, जैन मंदिर तोड़े जाने से समुदाय में भारी आक्रोश है. मंदिर वहीं बनना चाहिए और इसके लिए समाज जरूर एकजुट होगा और देशभर में इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाता रहेगा. इस अवसर पर राजनीतिक दलों के अरविंद शिंदे, मोहन जोशी, प्रशांत जगताप, अभय छाजेड़, अविनाश बागवे और बाला ओसवाल उपस्थित थे. राजेश शाह, युवराज शाह, अभय छाजेड़, प्रवीण चोरबेले, पुष्पा कटारिया, सुजाता शाह, नितिन जैन, अजीत पाटिल, इंद्रकुमार छाजेड़, प्रीति पाटिल, लक्ष्मीकांत खाबिया, सुरेंद्र गांधी, संपत जैन, सतीश शाह, समीर जैन, भरत सुराणा, एड. योगेश पांडे, अभय जैन और अल्पेश गोगरी सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने अपना विरोध व्यक्त किया और आंदोलन का समर्थन किया.