पुणे, 23 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
पुणे कैटोंन्मेंट बोर्ड के सरदार वल्लभभाई पटेल अस्पताल में न्यूओनेटिकल इन्टेन्सिव्ह केअर युनिट (एनआईसीयू) शुरू करने के लिए कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) के माध्यम से मेडिकल इक्विपमेंटस् (मशीनरी) स्थापित की गई. लेकीन, एनआईसीयू को शुरू करने के लिए बोर्ड के पास पर्याप्त निधी की कमतरता है. टेंडर प्रक्रिया चलाने के बावजूत भी विशेषज्ञ डॉक्टरोंसहीत नर्सेस और स्टाफ का रिस्पॉन्स नहीं मिलने के कारण, पुणे कैटोंन्मेंट बोर्ड ने अब एनआईसीयू का संचालन स्फेरूल फाउंडेशन इस एनजीओ को सौंपने का निर्णय लिया है. स्फेरुल फाउंडेशन के माध्यम से ही पटेल अस्पताल को एनआईसीयू शुरू करने के लिए मशीनरी उपलब्ध कराई गई थी.
हालांकि, वर्तमान में नवजात बालकों के संगोपन और देखभाल के हेतु विशेषज्ञ डॉक्टर मिलना भी मुश्किल हो रहा है. विशेषज्ञ डॉक्टर्स को लाखों रुपयों का वेतन देने में भी बोर्ड असमर्थ है. इसके साथ ही, नर्सों और अन्य कर्मचारियों का वेतन देने के लिए भी बोर्ड के पास पर्याप्त निधी नहीं है. मुख्य प्रश्न यह है कि एनआईसीयू शुरू करने की जोखिम कौन उठाएगा, इसलिए पटेल अस्पताल में एनआईसीयू को चलाने के लिए स्फेरूल फाउंडेशन को देने का निर्णय लिया गया. कुछ मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल में भी एनआईसीयू की व्यवस्था की गई है. वहां भी करोड़ों रुपए की मशीनरी लगाई गई है. लेकीन, प्रशिक्षित स्टाफ और नवजात शिशू के विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण वहां भी अभी तक एनआईसीयू प्रत्यक्ष रूप से कार्यान्वित नहीं हुए है, यह जानकारी पुणे कैटोन्मेंट बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी. उन्होंने कहा कि नवजात शिशुओं का पालन-पोषण मेडिकल गाईडलाइन्स के अनुसार बहुतही सावधानता पूर्वक करना पडता है.
इसके लिए एनआईसीयू की व्यवस्था की गई है. हालांकि, एनआईसीयू की मेंटेनन्स का खर्चा भी अधिक होता है. नवजात शिशुओं का पालन-पोषण करना एक नाजुक विषय है. इसलिए, अस्पताल भी एनआईसीयू शुरू करने में जोखिम नहीं उठा रहे हैं. पुणे कैटोंन्मेंट बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुब्रत पाल ने कहा कि बोर्ड के पास पर्याप्त निधी नहीं होने के कारण, एनआईसीयू का मेंटेनन्स सहीत डॉक्टर्स और स्टाफ की लागत को वहन नहीं कर सकता. इसीलिए हमने स्फेरूल फाउंडेशन को एनआईसीयू चलाने को देने का निर्णय लिया है.
एनआईसीयू के लिए चार बार टेंडर प्रक्रिया की गई
पटेल हॉस्पिटल की रेसिडेंट मेडिकल ऑफिसर डॉ. उषा तपासे ने बताया कि एनआईसीयू शुरू करने के लिए चार बार टेंडर प्रक्रिया की गई. लेकिन टेंडर प्रक्रिया फेल हो गई. टेंडर प्रक्रिया को कोई रिस्पॉन्सही नहीं मिला. एनआईसीयू के लिए मशीनरी स्फेरूल फाउंडेशन द्वारा सीएसआर फंड के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है. हालांकि, प्रशिक्षित कर्मचारियों और नवजात शिशूंओ के विशेषज्ञ डॉक्टर्स की कमी है. विशेषज्ञ डॉक्टर्स भी 2.5 से 3 लाख रुपयों तक महिने के वेतन की मांग करते है. वर्तमान स्थिति में एनआईसीयू चलाना अत्यंत जोखिम भरा है. इसलिए बोर्ड ने स्फेरूल फाउंडेशन से एनआईसीयू चलाने का अनुरोध किया है. एनआईसीयू लगभग अगले महीने शुरू हो जाएगा. हालांकि, विशेषज्ञ डॉक्टरों सहित स्टाफ की नियुक्ति स्फेरूल फाउंडेशन के माध्यम से की जाएगी.