पुणे, 24 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
मानसून से पहले की जाने वाली नालों और गटरों की सफाई में हो रही गड़बड़ियों को रोकने के लिए पुणे मनपा की ओर से विशेष उपाय किए जा रहे हैं. इसी के तहत अब सफाई के बाद निकाले गए मलबे और कीचड़ को तय स्थान पर ले जाकर वहां फेंका गया है, इसका वीडियो और फोटो वाहन नंबर सहित देना अनिवार्य किया गया है. इसके बाद ही संबंधित कार्य का बिल पास किया जाएगा, ऐसी सख्त हिदायत अतिरिक्त आयुक्त पृथ्वीराज बी. पी. ने संबंधित ठेकेदारों और अधिकारियों को दी है. मनपा हर वर्ष मानसून से पहले शहर के नाले, गटर, ओवरफ्लो चैंबर आदि की सफाई और मलबा उठाने का कार्य करती है. साथ ही सड़कों पर बने ग-ों को भरने के लिए डामरीकरण भी किया जाता है.
ये सभी कार्य सामान्यतः मानसून से करीब दो महीने पहले शुरू किए जाते हैं. सफाई के दौरान निकली मिट्टी और मलबे को जमा करने के लिए येवलेवाड़ी में एक स्थल निश्चित किया गया है. लेकिन वास्तविकता में ये मलबा नालों के बगल में ही पड़ा रह जाता है और थोड़ी सी बारिश में फिर से वह चेंबर या नालों में चला जाता है, जिससे नाले जाम हो जाते हैं, सड़क पर पानी भरता है और नागरिकों के घरों में भी पानी घुसने की नौबत आती है. इस वर्ष 15 क्षेत्रीय कार्यालयों की सीमा में आने वाले नालों और गटरों की सफाई के लिए मनपा ने निविदाएं मंगाई थीं. इन निविदाओं में 1.33% से लेकर 53.85% तक की दरों में कटौती देखने को मिली है.
पूर्वानुमानित लागत की तुलना में 53% तक सस्ती दरों पर निविदाएं मिलने से कार्य की गुणवत्ता को लेकर अभी से सवाल उठने लगे हैं. अक्सर यह आरोप लगता रहा है कि संबंधित क्षेत्र के राजनेता, अधिकारी और ठेकेदार मिलकर बिना काम किए ही बिल पास करवा लेते हैं. इसलिए शक जताया जा रहा है कि जानबूझकर कम दरों में टेंडर भरे जाते हैं. इसी संदर्भ में अतिरिक्त आयुक्त ने स्पष्ट निर्दे श दिए हैं कि सफाई के बाद निकला मलबा और मिट्टी तय स्थान पर फेंकी गई है, इसका प्रमाण वीडियो और फोटो के रूप में वाहन नंबर सहित देना अनिवार्य होगा. तभी कार्य का बिल निकाला जाएगा. क्या पूर्वानुमान लागत को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है?