सरकार से कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलता : एलआईसी

    05-Apr-2025
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मुंबई, 4 अप्रैल (आ. प्र.)

भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) ने शुक्रवार (4 अप्रैल) को कहा कि, उसे सरकार या किसी विनियामक प्राधिकरण से किसी तरह का कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलता है. यह बात यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेड रिप्रेजेंटेटिव (यूएसटीआर) की रिपोर्ट में दावा किए जाने के बाद कही गई है, जिसमें कहा गया है कि केंद्र द्वारा एलआईसी को फेवरेबल ट्रीटमेंट दिया जा रहा है. देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी ने अमेरिकी एजेंसी से एलआईसी की भूमिका का अधिक संतुलित और तथ्यात्मक मूल्यांकन करने का आग्रह किया. एलआईसी ने एक बयान में कहा कि वह यह स्पष्ट करना चाहती है कि सरकार और विनियामकों द्वारा एलआईसी के साथ उसी तरह से व्यवहार किया जाता है जैसा किसी दूसरी बीमा कंपनी के साथ किया जाता है. कंपनी ने कहा, 1956 में इसकी स्थापना के समय प्रदान की गई गारंटी - राष्ट्रीयकरण के शुरुआती साल में जनता का वेिशास बनाने के लिए बनाया गया एक वैधानिक प्रावधान है. इसे कभी भी मार्केटिंग टूल के रूप में इस्तेमाल नहीं किया गया है और न ही एलआईसी को कोई अनुचित लाभ नहीं दिया गया है. एलआईसी के सीईओ और एमडी सिद्धार्थ मोहंती के अनुसार, यह ‌‘शासन', ‌‘सेवा' और ‌‘ग्राहक वेिशास' के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. पिछले 25 वर्षों से, एलआईसी ने 24 निजी जीवन बीमा कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धी बाजार में काम किया है. यह आईआरडीएआई और सेबी द्वारा विनियमित है और सरकार या किसी नियामक प्राधिकरण से इसे कोई स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलता है. बीमाकर्ता ने कहा कि बीमा क्षेत्र में इसका नेतृत्व पूरी तरह से अपने पॉलिसीधारकों के वेिशास, बेहतरीन सेवा को लेकर प्रतिबद्धता, अपनी वित्तीय ताकत और पारदर्शिता के कारण है. 69 सालों से अधिक समय से कार्यरत एलआईसी समर्पण और व्यावसायिकता (डेडिकेशन और प्रोफेशनलिज्म) के साथ पूरे भारत में 30 करोड़ से अधिक ग्राहकों की सेवा करना जारी रखता है. एलआईसी के बयान के अनुसार, हमारा दृढ़ वेिशास है कि यूएसटीआर के विचार भारतीय बीमा विनियमन और एलआईसी की कार्यप्रणाली की अधूरी समझ पर आधारित हैं. हम भारत में वित्तीय समावेशन और पॉलिसीधारक सुरक्षा में एलआईसी की भूमिका और योगदान की अधिक संतुलित और तथ्यात्मक सराहना का आग्रह करते हैं.