पुणे, 5 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
लड़कियों को इंडोर नहीं आउटडोर रखो, क्योंकि जब वह आउटडोर रहेंगी तो ज्यादा मजबूत होंगी, ठोकर खाकर संभलना सीखेंगी, अपने लिए सही-गलत खुद समझेंगी, खुद पर भरोसा करना सीखेंगी, मैनेजमेंट करना सीखेंगी, यह विचार देश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी एवं फॉर्मर लेफ्टिनेंट गवर्नर ऑफ पुड्डुचेरी डॉ. किरण बेदी ने व्यक्त किये. उन्होंने फिक्की फ्लो द्वारा आयोजित ओपनिंग इवेंट में यह कहा, जहां उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था. महिलाओं में उद्यमशीलता और पेशेवर उत्कृष्टता एवं सामाजिक सेवा को बढ़ावा देने वाले फिक्की फ्लो, पुणे ने शनिवार 5 अप्रैल की दोपहर अपना ओपनिंग इवेंट पुणे स्टेशन स्थित ‘शेरेटन ग्रैंड’ होटल में आयोजित किया था.
इस अवसर पर सिम्बायोसिस के संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. एसबी मुजुमदार, उनकी पत्नी संजीवनी मुजुमदार, सिम्बायोसिस सोसायटी की प्रिंसिपल डायरेक्टर और सिम्बायोसिस इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी की प्रो चांसलर डॉ. विद्या येरवड़ेकर, डॉ. राजीव येरवड़ेकर, खड़की कैन्टोंमेंट बोर्ड की सीईओ मीनाक्षी लोहिया, 2025-26 के लिए अध्यक्ष अनीता अग्रवाल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष पूनम कोचर, उपाध्यक्ष शर्मिला भिंगारवाला, कोषाध्यक्ष ज्योति शर्मा, संयुक्त कोषाध्यक्ष हर्षा कौसर, सचिव करीना शेवानी, संयुक्त सचिव पूजा आनंद, फिक्की फ्लो से जुड़ीं उद्यमी महिलाएं एवं अनेक गणमान्य उपस्थित थे.
‘बीट कांस्टेबल सिस्टम’ लागू किया
जब मैं पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनी, तो मुझे याद है कि उस दिन मैंने अपने दिल में यह ठान लिया था कि मैं अपना काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करूंगी. मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा कि मेरी ड्यूटी के दौरान ज्यादातर सहकर्मी पुरुष थे, मैंने अपनी जगह बनाई और साबित किया कि मेहनत और समर्पण से कोई भी ऊंचाई हासिल की जा सकती है.

एक महत्वपूर्ण कदम जो मैंने उठाया, वह था ‘बीट कांस्टेबल सिस्टम’ को लागू करना, जिससे हर पुलिसकर्मी को एक निश्चित क्षेत्र सौंपा गया और अपराधों की निगरानी बेहतर हो सकी. इस प्रणाली से अपराधों को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली और हर पुलिसकर्मी को जिम्मेदारी का अहसास हुआ. साथ ही उन्हें अच्छा कार्य करने पर तुरंत रिवॉर्ड भी दिए. बदनाम जेल को एक आदर्श संस्था में बदला ! जब मुझे दिल्ली की तिहाड़ जेल में इंस्पेक्टर जनरल का पद मिला तो मेरे घरवाले डर गए थे, लेकिन मैंने वहां जाते ही ठाना कि जो यहां कैदी हैं उनको क्राइम की बीमारी है जो मुझे दूर करना है. मैंने रूल्स के खिलाफ जाकर एक बदनाम जेल को एक आदर्श संस्था में बदल दिया. मैंने वहां साक्षरता, योग, ध्यान और व्यावासिक प्रशिक्षण जैसे कार्यक्रमों की शुरुआत की, जिससे कैदियों के जीवन में सुधार हुआ. इसलिए उन्होंने मेरा नाम किरण से ‘करूणा’ भी रख दिया था.
लोगों ने नाम ‘क्रेन बेदी’ रख दिया था
जब दिल्ली में यातायात विभाग में पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) के रूप में मेरी नियुक्ति हुई, तो मैंने गाड़ियों को अव्यवस्थित पार्किंग और अनाधिकृत स्थानों से हटवाने के लिए एक नया कदम उठाया. मैंने निजी क्रेनों और स्पीकर का इस्तेमाल किया, जिससे लोगों को सही तरीके से पार्किंग करने के प्रति जागरूक किया गया. इस कार्रवाई के कारण, मेरा नाम ‘क्रेनबेदी’ पड़ गया, जो कि एक मजेदार उपनाम बन गया. हालांकि, यह उपाय यातायात नियंत्रण में बेहद प्रभावी साबित हुआ. इससे न केवल पार्किंग व्यवस्था में सुधार हुआ, बल्कि दिल्ली की सड़कों पर यातायात का प्रवाह भी सुगम हुआ और यह कदम यातायात नियमों के पालन को सुनिश्चित करने में सहायक रहा. इसके अतिरिक्त फिक्की फ्लो से मैं जुड़ी हुई हूं और इनके कार्यक्रमों में शामिल होना अपना सौभाग्य समझती हूं. फिक्की फ्लो से जुड़ी हर महिला में एक सकारात्मक उत्साह है जो महिला सशक्तिकरण की मिसाल है.
भारतीय संस्कृति में महिलाओं का सर्वोच्च स्थान ः डॉ. मुजुमदार
अपने संबोधन में डॉ. एसबी मुजुमदार ने कहा कि आज यहां आकर मुझे अत्यधिक गर्व हो रहा है. मुझे पूरा वेिशास है कि फिक्की फ्लो की नवनियुक्त अध्यक्षा अनीता इस पद का बेहतर तरीके से निर्वहन करेंगी. वे समाज और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देंगी. हमारे भारतीय पारंपरिक मूल्यों और संस्कृति में हमेशा से महिलाओं को उच्च स्थान प्राप्त है. आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के समान अग्रणी हैं, चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, उच्च पदों पर नियुक्ति हो या फिर कठिनतम प्रतियोगी परीक्षाएं हेों. महिलाएं अब चांद पर भी चमक रही हैं. इन सभी उपलब्धियों को देखकर यह कहना बिल्कुल उचित होगा कि 21वीं सदी को ‘महिला सदी’ घोषित किया जाना चाहिए.
इस साल भी अनेक कार्यक्रम होंगे : अनीता अग्रवाल
इस अवसर पर फिक्की फ्लो की नवनियुक्त अध्यक्ष अनीता अग्रवाल ने कहा कि यह तो केवल शुरुआत है. हम समाज सेवा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में निरंतर अग्रेसर रहे हैं और आगे भी इसी दृढ़ संकल्प के साथ अपनी यात्रा जारी रखेंगे. हमारा उद्देश्य न केवल महिलाओं को सशक्त बनाना है, बल्कि समाज में समानता और बदलाव लाना भी है. हम इस मिशन को अपनी पूरी ताकत और समर्पण से निभाएंगे, ताकि हर महिला को उसकी क्षमता के अनुसार अवसर मिल सके और समाज में सकारात्मक परिवर्तन हो सके. हर साल की तरह, इस साल भी हम शिक्षा, साक्षरता, सर्वोदय, स्वाभिमान, स्वास्थ्य, सुरक्षा, विकास और नेटवर्किंग के क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने के लिए तैयार हैं. ****************************