इस दुनिया में कई रिश्ते मिलते हैं कुछ जन्म के साथ, कुछ जीवन के सफर में. लेकिन बहन का रिश्ता ऐसा होता है जो हर मोड़ पर, हर भाव में, हर परिस्थिति में हमारे साथ होता है. बहन सिर्फ एक रिश्ता नहीं, एक भावना है ममता, मित्रता, मार्गदर्शन और अपनत्व की जीवंत मिसाल. बचपन में साथ खेलना, टिफिन बांटना, होमवर्क में मदद करना हो या किशोरावस्था में पहली बार दिल की बात बांटना बहन हर रूप में हमारी अपनी दुनिया का अटूट हिस्सा होती है. बड़ी बहन मां की तरह संभालती है तो छोटी बहन मासूमियत और चंचलता से घर को रोशन करती है. आज जब परिवार छोटे हो रहे हैं, तकनीक बड़ी होती जा रही है और इंसानी रिश्ते कहीं पीछे छूटते जा रहे हैं, ऐसे समय में यह याद करना और याद दिलाना बेहद जरूरी है कि खून के रिश्तों की कोई बराबरी नहीं होती. बहन का साथ जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है, जो न बिकती है, न बदलती है . यह राय अपनी बहनों से बेहद प्रेम करनेवाली महिलाओं ने दै. आज का आनंद के लिए प्रो.रेणु अग्रवाल के साथ बातचीत में व्यक्त की. प्रस्तुत हैं उनकी बातचीत के प्रमुख अंश-
प्रो. रेणु अग्रवाल (मो. 8830670849)बहनें होती हैं सखी भी, शक्ति भी बड़ी बहन मां की परछाईं होती है. अगर मां नहीं भी हो, तब भी बड़ी बहन वह सारी जिम्मेदारियां निभा देती है जो एक मां निभाती है. वह केवल बहन नहीं बल्कि पूरा सपोर्ट सिस्टम होती है. छोटी बहन का यह कर्तव्य होता है कि वह बड़ी बहन को मान-सम्मान दे और उसके हर संघर्ष में साथ खड़ी हो. दो बहनें एक-दूसरे की सबसे अच्छी दोस्त बन जाती हैं और कई बार वे एक-दूसरे के लिए कई रिश्तों की पूर्ति कर देती हैं. अफसोस की बात है कि नई पीढ़ी अब इस खूबसूरत रिश्ते को अनुभव नहीं कर पाएगी क्योंकि वे न शादी करना चाहते हैं, न बच्चे. पहले जहां बड़े-बड़े परिवार होते थे, अब एक या दो बच्चों तक सिमट गया है. हमें समझना चाहिए कि इस दुनिया में हर चीज मिल सकती है लेकिन खून के रिश्ते नहीं. यही रिश्ते हमारी असली पूंजी हैं.
-लक्ष्मी अग्रवाल, एनआईबीएम
रोड बहन जीवन की असली सहारा होती है
मेरे जीवन में मेरी बड़ी बहन ने जो स्थान लिया है, वह किसी और ने नहीं लिया. उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ दिया, मेरी मदद की और मुझे सही राह दिखाई. बड़ी बहन मां की तरह होती है और छोटी बहन उसके लिए सपोर्ट सिस्टम. यह रिश्ता न सिर्फ गहरा होता है, बल्कि सबसे अधिक भरोसेमंद भी होता है. भाई-बहन या भाई-भाई से कहीं ज्यादा गहराई दो बहनों के रिश्ते में होती है. महंगाई और जीवन की दौड़ के बीच भी यह जरूरी है कि परिवार में दो बच्चे तो जरूर हों क्योंकि चाहे कितने भी पैसे हों, कितने भी दोस्त हों खून का रिश्ता ही अंत में हमारे सबसे करीब होता है. सुख-दुख में परिवार ही साथ देता है और बहनें तो उस परिवार की आत्मा होती हैं.
-मीनल संजय अग्रवाल, लोहगांव आत्मा से बंधा रिश्ता होती है बहन दो बहनों का रिश्ता सिर्फ खून का नहीं बल्कि आत्मा से जुड़ा होता है. जब छोटी बहन किसी तकलीफ में होती है तो सबसे पहले उसे अपनी बड़ी बहन की याद आती है. बड़ी बहन का भी यह कर्तव्य होता है कि वह छोटी बहन का मार्गदर्शन करे. दोनों बहनों की आपसी समझ और भावनात्मक जुड़ाव ही इस रिश्ते को खास बनाता है. आज की पीढ़ी जहां और तकनीक की ओर भाग रही है, वहां रिश्तों की गर्मी खोती जा रही है. आने वाले समय में जब बच्चे ही नहीं होंगे या बस एक ही बच्चा होगा, तब बहन-बहन का यह खूबसूरत रिश्ता कहां बचेगा? अगर हमारे माता-पिता ने भी इसी तरह सोचा होता, तो हम आज यह सब अनुभव नहीं कर पाते. इसलिए मैं नई पीढ़ी से कहना चाहती हूं कि भले ही हम तकनीकी रूप से आगे बढ़ जाएं पर इंसानी रिश्तों की जरूरत कभी खत्म नहीं होगी.
-रीना अग्रवाल, गणेशनगर, बोपखेल
बहन से वेिशास, मित्रता और आत्मिक जुड़ाव होता है संतान की पहली गुरु मां होती है, लेकिन अगर मां किसी वजह से व्यस्त हो या न हो, तो बड़ी बहन वह शिक्षा देती है जो मां नहीं दे पाती. विवाह के बाद भले ही बहनें भौतिक रूप से दूर हो जाएं, लेकिन उनके मन एक-दूसरे के बेहद करीब रहते हैं. कभी- कभी विचारों या जिम्मेदारियों की वजह से बहनों के बीच दूरियां आ जाती हैं, लेकिन अगर आपसी समझ और प्रेम बना रहे, तो यह रिश्ता जीवनभर मधुर बना रहता है. बहनों का संबंध गहरी मित्रता, अटूट वेिशास और बिना कहे समझने की क्षमता का प्रतीक होता है. जैसे पानी में पत्थर मारने से पानी अलग नहीं होता, वैसे ही बहनों का रिश्ता भी अटूट और अविचल होता है. यह सिर्फ खून का नहीं बल्कि आत्मा का जुड़ाव है, जो समय के साथ और भी मजबूत होता जाता है.
-कंचन योगेन्द्र अग्रवाल, शिवने
बड़ी बहन में मां जैसी ममता जिस घर में मां नहीं होती, वहां बड़ी बहन ही मां की भूमिका निभाती है. वह पूरे परिवार की जिम्मेदारी अपने ऊपर लेती है और कभी भी घरवालों को मां की कमी महसूस नहीं होने देती. बहन-बहन का रिश्ता बेहद अनमोल होता है, जो शादी के बाद भी वैसा ही बना रहता है जैसा बचपन में होता है. बल्कि यह रिश्ता समय के साथ और भी मजबूत हो जाता है. आज के समय में जब लोग एक ही बच्चे को ही पर्याप्त मानते हैं और कई तो बच्चे भी नहीं चाहते, वहां यह रिश्ते धीरे-धीरे खत्म होते जा रहे हैं. मेरा मानना है कि परिवार में कम से कम दो बच्चे तो होने ही चाहिए, चाहे वे भाई-बहन हों या बहन-बहन, क्योंकि यही रिश्ते जीवनभर एक-दूसरे के साथी और सहारा बनते हैं. सुख-दुख में जब कोई और साथ नहीं होता, तब यही खून के रिश्ते हमारे साथ होते हैं.
-गीता संजय अग्रवाल, नानापेठ
बहन में रिश्तों की गर्माहट और जीवन का सौंदर्य होता है दो बहनों का रिश्ता सबसे प्यारा और अनमोल होता है. जो बहनें साथ होती हैं, वे सच में दुनिया की सबसे खुशकिस्मत होती हैं. बड़ी बहन मां जैसी ममता देती है और दोस्त की तरह साथ निभाती है, तो छोटी बहन अपनी मासूमियत और चंचलता से घर को रोशन कर देती है. बहन वह होती है जिससे हम हर बात बेझिझक शेयर कर सकते हैं. भाई के साथ जहां कभी-कभी सीमाएं होती हैं, वहीं बहन के साथ रिश्ते खुले और भावनात्मक होते हैं. लेकिन आज की पीढ़ी न तो शादी करना चाहती है और न बच्चे. ऐसे में बहनों के रिश्ते का अनुभव आने वाली पीढ़ियों को नहीं मिल पाएगा. अब तो एक बच्चा और उसका साथी बन गया है. हमें अभी संभल जाना चाहिए, नहीं तो आने वाला समय रिश्तों से पूरी तरह खाली हो जाएगा. इस जीवन में जो सबसे कीमती चीज है, वो हैं हमारे अपने और उनका कोई विकल्प नहीं होता.
-पूजा अग्रवाल, बेंगलुरु