मद का मतलब है : काम सफल हाे गया. तुम राष्ट्रपति हाेना चाहते थे और हाे गए, ताे मद पैदा हाेगा. मद का मतलब हाेता है कि देखाे, तुमकाे किसी काे भी नहीं मिल पाया, और मुझे मिल गया! तुम्हारी छाती ैल जाती है.तुम्हारी चाल बदल जाती है. तुम्हारे रंग ढंग बदल जाते हैं.सफल राजनीतिज्ञ ज्यादा जीते हैं, असफल जल्दी मर जाते हैं. सफल हाेते से ही उनकी उम्र दस साल बढ़ जाती है. एक नशा पैदा हाेता है. अब जीने में मजा आता है.अब जीने का कुछ अर्थ मालूम हाेता है. यह जान कर तुम चकित हाेओगे कि अलग अलग समाजाें में अलग अलग तरह के लाेग ज्यादा जीते हैं. इस पर बड़ा मनाेवैज्ञानिक विश्लेषण हुआ है. यूनान में दार्शनिक लंबे जीते थे, क्याेंकि यूनान में दार्शनिकाें की बड़ी प्रतिष्ठा थी. सुकरात और प्लेटाे और अरस्तू और हेराक्लाइतस और पार्मिनिडीज और पाइथागाेरस, यूनान में दार्शनिक लंबा जीता था. उसकी प्रतिष्ठा थी. कवि भी लंबे जीते थे. उनकी भी बड़ी प्रतिष्ठा थी. हिंदुस्तान में ऋषि मुनि लंबे जीते रहे. उनकी प्रतिष्ठा थी.
तुम यह मत साेचना कि ऋषिमुनियाें के पास कुछ याैगिक विद्या थी, जिससे वे ज्यादा जीते थे. नासमझी की बकवास है. प्रतिष्ठा थी, सन्मान था. राजा भी आकर ऋषिमुनि के चरणाें में झुकता था. याेग इत्यादि का इसमें कुछ हाथ नहीं है. क्याेंकि यूनान में दार्शनिक काेई याेग नहीं करते थे, वे ज्यादा जीते थे. उसी तरह ज्यादा जीते थे जैसे हिंदुस्तान में ऋषिमुनि ज्यादा जीते थे.अमेरीका में व्यवसायी सबसे ज्यादा जीते हैं. धनी आदमी. अमेरीका में कवि 40 साल के आसपास टांयटांय िफस हाे जाता है. इस पर मनाेवैज्ञानिक शाेधें हुई हैं और बड़ा चमत्कार अनुभव हाेता है कि ऐसा क्याें हाे जाता है? अमरीका में कहानीकार, कवि, लेखक, दार्शनिक नहीं ज्यादा जी पाते. अमरीका में क्या प्रतिष्ठा है दार्शनिक की? धन एकमात्र दर्शन है. ताे जिसके पास धन है, वह लंबा जीता है.तुम देखते हाे, हिंदुस्तान में िफल्म अभिनेता देर तक जवान रहते हैं. काेई याेग साथ रहे हैं?
काेई याेग नहीं साथ रहे हैं. लेकिन िफल्मअभिनेता की प्रतिष्ठा है, सन्मान है. वह ज्यादा देर तक जवान रहता है. 50 साल, 55 साल का हाे जाता है, और िफल्माें में 25 साल के जवान का काम करता है कालेज का विद्यार्थी! िफर जी जंचता है.सारी दुनिया में ऐसा हाे रहा है. अभिनेता लंबे जीने लगे हैं. राजनेता भी लंबे जीते हैं. जिनके पास काम की प्रतिष्ठा हाे जाती है, संपन्नता हाे जाती है, जाेपहुंच जाते हैं, वांछित लक्ष्य काे पा लेते हैं, उनमें मद पैदा हाेता है.अहंकार जिलाने वाली संजीवनी है. इसलिए ताे जाे व्यक्ति परम निरअहंकारिता काे प्राप्त हाे जाता है, उसकी शरीर से विदाई शुरू हाे जाती है. उसका मद टूट गया. शरीर से उसके संबंध उखड़ जाते हैं, जैसे भूमि से वृक्ष उखड़ गया. और िफर दुबारा उसका आगमन नहीं हाेता. क्याेंकि आने के लिए मद चाहिए.
मद ही न रहा. इसलिए बुद्ध िफर दुबारा नहीं जन्मते. जन्म नहीं सकते.और जाे मद की अवस्था में पहुंच गया, जिसका अहंकार तृप्त हाे गया, उसे लाेभ पैदा हाता है. लाेभ का मतलब हाेता है : जाे मुझे मिल गया वह ताे मेरे पास रहे ही, और ज्यादा मुझे मिल जाए. जाे मंत्री हाे गया वह मंत्री से नीचे नहीं उतरना चाहता, मुख्यमंत्री हाे जाना चाहता है. जाे कैबिनेट में पहुंच गया, केंद्रीय, वह अब वहां से नहीं हटना चाहता.उसके दाे काम हैं अब, दाे ही जीवन लक्ष्य हैं : जहां पहुंच गया वहां पैर जमा कर अड़ा रहे. अगर आगे जा सके, ताे ही उस पद काे छाेड़ सकता है, पीछे न जाना पड़े. ताे उसके दाे काम हैं. जहां बैठा है वहां ताे पकड़ कर बैठा रहे. और आगे काेई बैठा हाे ताे उसकाे धक्के देता रहे कि काेई जगह खाली हाे जाए ताे वह आगे पहुंच जाए.