पुणे, 7 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
गर्भवती महिला तनिष्का (ईेशरी) भिसे की मौत के संबंध में हमें अभी तक राज्य सरकार की रिपोर्ट नहीं मिली है. रिपोर्ट मिलने के बाद ही अस्पताल द्वारा रिपोर्ट पर भूमिका स्पष्ट की जाएगी. दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. धनंजय केलकर ने सोमवार को शाम पांच बजे आयोजित पत्रकार वार्ता मेंं यह भी स्पष्ट किया कि अस्पताल ने मनपा का किसी भी प्रकार का टैक्स बकाया नहीं रखा है. डॉ.सुश्रुत घैसास का इस्तीफा लता मंगेशकर मेडिकल फाउंडेशन के विश्वस्त मंडल को सौंप दिया गया है. सोमवार शाम 5 बजे दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल के ऑडिटोरियम में डॉ. धनंजय केलकर ने पत्रकार वार्ता की. उन्होंने तनिष्का भिसे की मौत के बाद अस्पताल को लेकर चल रही विवादास्पद चर्चाओं का भी जवाब देने की कोशिश की. डॉ. केलकर ने बताया कि गर्भवती महिला की मौत के बाद अस्पताल के माध्यम से राज्य सरकार को विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी गई है. अस्पताल को इस संबंध में राज्य सरकार द्वारा तीन रिपोर्ट्स मिलनी बाकी हैं. इसलिए अभी राज्य सरकार और अस्पताल में हुई चर्चा और रिपोर्ट के बारे में कुछ भी जानकारी नहीं दे सकता.
अस्पताल द्वारा सरकार को उन रिपोर्ट पर जवाब दिया जाएगा. गर्भवती महिला की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है? इस बारे में डॉ. केलकर ने कहा कि अस्पताल ने इस संबंध में राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है. उस महिला को किस प्रकार की बीमारी थी? इस संबंध में विस्तृत जानकारी राज्य सरकार को दी गई है. हालांकि इस घटना के बाद अस्पताल के मानद स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. सुश्रुत घैसास ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनका इस्तीफा लता मंगेशकर मेडिकल फाउंडेशन विश्वस्त मंडल को भेज दिया गया है. उनका इस्तीफा गुरुवार तक स्वीकार कर लिया जाएगा.डॉ. केलकर ने कहा. मनपा करों के बकाए के संबंध में डॉ. धनंजय केलकर ने कहा, यह मामला अदालत में है क्योंकि मनपा ने अस्पताल पर व्यावसायिक दरों पर कर लगाया है. इसलिए, अस्पताल ने अदालत में कर की पूरी राशि का भुगतान कर दिया है.
इसलिए इस खबर में कतई सच्चाई नहीं है कि अस्पताल ने मनपा का किसी भी प्रकार का टैक्स बकाया नहीं रखा है. अस्पताल की मॉर्टेलिटी कमेटी की कल मनपा के साथ बैठक हुई है. अस्पताल की जगह पहले खिलारे नाम के व्यक्ति के नाम थी. उन्होनें संबंधित जमीन सरकार को दे दी और सरकार ने यह जमीन अस्पताल को दे दी है. इसलिए, सोशल मीडिया पर प्रसारित की जा रही जानकारी में कोई सच्चाई नहीं है. प्रत्येक मरीज से कोई भी डिपॉजिट राशि नहीं ली जाती. केवल कुछ चुनिंदा मामलों में ही डिपॉजिट राशि ली जाती है. हालांकि, अब अस्पताल ने निर्णय लिया है कि वह आपातकालीन विभाग में किसी भी मरीज से कोई डिपॉजिट राशि नहीं लेगा और इसे लागू भी कर दिया गया है. हर दिन बड़ी संख्या में नागरिक अस्पताल आते हैं. इससे अस्पताल के कर्मचारियों पर भी काफी तनाव पड़ता है. इसलिए, स्टाफ द्वारा हर व्यक्ति को न्याय नहीं दिया जा सकता. लेकिन कर्मचारियों को मरीजों, उनके रिश्तेदारों और नागरिकों के प्रति अपना व्यवहार सुधारना चाहिए. इसलिए उन्हें इस संबंध में प्रशिक्षण भी दिया जाना शुरू किया है.यह भी जानकारी डॉ.धनंजय केलकर ने दी.