शिवाजीनगर, 7 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
खड़कवासला डैम के परिसर में मौजूद विभिन्न प्रतिष्ठानों के कारण डैम का पानी प्रदूषित हो रहा है और इसका सीधा असर नागरिकों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस संबंध में पुणे मनपा द्वारा कोई भी ठोस एहतियात नहीं बरती जा रही है. इसलिए पालकमंत्री और मनपा आयुक्त को चाहिए कि पुणे मनपा, पुणे महानगर क्षेत्र विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) और पुणे जिला परिषद के माध्यम से खड़कवासला डैम सहित जिले के अन्य डैमों के शुद्ध जल संरक्षण के लिए एक समग्र विकास रूपरेखा (डीपीआर) तुरंत तैयार किया जाए. इस रूपरेखा को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के समक्ष पेश किया जाएगा, ऐसा बयान राष्ट्रवादी कांग्रेस शरदचंद्र पवार पार्टी की कार्याध्यक्ष व सांसद सुप्रिया सुले ने सोमवार को दिया.
सोमवार को सांसद सुले ने मनपा भवन में विभिन्न विकास कार्यों और लंबित मुद्दों पर चर्चा के लिए समीक्षा बैठक बुलाई. इस बैठक में मनपा के अतिरिक्त आयुक्त एम.जे. प्रदीप चंद्रन, मनपा के विभिन्न विभागों के प्रमुख, राष्ट्रवादी कांग्रेस (शरदचंद्र पवार गट) के शहर अध्यक्ष प्रशांत जगताप, सचिन दोड़के, काका चव्हाण और शामिल गांवों के नागरिक उपस्थित थे. बैठक में यह भी उजागर किया गया कि डिफेंस संस्थाएं, रिसॉर्ट्स, होटल्स और हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का गंदा पानी सीधे डैम में जा रहा है, फिर भी मनपा द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस पर दोड़के और चव्हाण ने कड़ी नाराजगी जाहिर की. इसके अलावा गांवों में सड़कों, पानी, बिजली और ड्रेनेज जैसी छोटी-मोटी समस्याओं को हल करने के लिए भी फंड की कमी की शिकायत की गई. मेट्रो हेतु फीडर बस सेवा व पार्किंग जरूरी सुप्रिया सुले ने सोमवार को महामेट्रो के कार्यालय में भी भेंट दी.
इस वक्त मेट्रो के विभिन्न विषयों पर चर्चा की. नागरिकों को हो रही समस्याओं को जल्द हल करने की मांग की. इस बारे में जानकारी देते हुए सुले ने कहा मेट्रो सेवा घर से ऑफिस तक के सफर को सुविधाजनक बनाने वाली होनी चाहिए, लेकिन असल में ऐसा नहीं हो रहा है, इसलिए ट्रैफिक जाम की समस्या जस की तस बनी हुई है. फीडर बस सेवा आवश्यक है. इसीलिए तुरंत 5 हजार बसों की खरीदी की जानी चाहिए. जिससे नागरिकों को घर तथा ऑफिस से मेट्रो स्टेशन तक पहुंचने आसानी होगी. मेट्रो को सफल बनाने के लिए कुछ रणनीतिक निर्णय जरूरी हैं. इसलिए मेट्रो स्टेशनों पर पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था भी करनी चाहिए. इस संबंध में मनपा और महामेट्रो ने साथ में मिलकर निर्णय लेना आवश्यक है. गोखले संस्था की उपेक्षा हो रही देश की प्रसिद्ध आर्थिक संस्था गोखले इंस्टीट्यूट की स्थिति पर टिप्पणी करते हुए सुले ने कहा कि यह संस्था भारतीय अर्थशास्त्र की जानी-मानी संस्था है. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. अजीत रानडे को सरकार ने ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अब जिस प्रकार से संस्थान के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है. वर्तमान में इस संस्था की उपेक्षा की जा रही है, ऐसा आरोप भी उन्होंने लगाया.
शामिल गांवों की प्रॉपर्टी टैक्स का मुद्दा गंभीर
मनपा में शामिल गांवों का प्रॉपर्टी टैक्स का मुद्दा भी गंभीर है. राज्य सरकार ने चुनाव के समय इसे रोका था, लेकिन अब सरकार 34 गांवों के इस मुद्दे पर चुप है. यदि सरकार ने अचानक कोई निर्णय लिया, तो आम जनता पर उसका नकारात्मक असर होगा. इन गांवों में सड़कों, पानी, बिजली जैसी बुनियादी समस्याएं अभी भी बाकी हैं. ऐसे में नागरिकों पर प्रॉपर्टी टैक्स का बड़ा बोझ डालना उचित नहीं है.