पुणे, 8 अप्रैल (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) सूसरोड बाणेर स्थित गार्बेज प्लांट को बंद करने की लगातार मांग हो रही है. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने भी मनपा अधिकारियों से,प्लांट को बंद क्यों नहीं किया गया या किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित क्यों नहीं किया गया, इसके बारे में पूछा था. स्थानीय नागरिकों को इस प्लांट के कारण हर दिन दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए, सूस रोड बाणेर विकास मंच का कहना है कि इस प्लांट को अन्यत्र स्थानांतरित करना नागरिकों के स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा. गार्बेज प्लांट के कारण नागरिकों को बदबू से जूझना पड़ रहा है. वहां के निवासियों का कहना है कि इस प्लांट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं किया जा रहा है. जब 2015 में प्लांट का काम शुरू हुआ तो निवासियों को बताया गया कि वहां आइस फैक्टरी बनाई जा रही है. केवल कागजों पर ही इस प्लांट गंधहीन बताया गया है. पुणे शहर से निकलने वाला गीला कचरा एकत्र होने के 48 घंटे बाद प्लान्ट तक पहुंचने तक विघटित हो जाता है. टैंकर में स्लरी भरते समय दुर्गंध आती है. केंद्रीय और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्लांट का 2-3 बार दौरा किया. कुछ उपाय सुझाए गए. लेकिन ज्यादा कुछ हुआ नहीं. स्थानीय नागरिक अक्सर शिकायत करते रहते हैं. लेकिन मनपा के अधिकारी इसे नजरअंदाज कर रहे हैं, ऐसा सूस रोड बाणेर विकास मंच का कहना है. प्लांट से निकलने वाला प्रदूषित पानी सड़क पर जमा हो जाता है. गीला कचरा सड़क पर जमा होने से दुर्घटना की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. नागरिकों को स्लरी से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को भी सहना पड़ता है. कचरा ट्रक, स्लरी टैंकर, पानी के टैंकर और जेसीबी के कारण ट्रैफिक जाम होता है. शिकायत दर्ज होने के बाद केवल अस्थायी उपाय ही किए जाते हैं. मनपा के ठोस कचरा प्रबंधन विभागप्रमुख संदीप कदम और कनिष्ठ अभियंता दीक्षित ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार प्लांट को बेहतर बनाया जा रहा है. हालांकि, वहां से अभी भी दुर्गंध आ रही है जिससे स्थानीय निवासियों को असुविधा हो रही है. इसलिए, सूस रोड बाणेर विकास मंच का कहना है कि इस प्लांट को अन्यत्र स्थानांतरित करना नागरिकों के स्वास्थ्य के सर्वोत्तम हित में होगा.