केंद्र सरकार की आयुष्मान भारत और अन्य स्वास्थ्य याेजनाओं तथा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान के कारण मातृ मृत्यु दर तथा शिशु मृत्यु दर वैश्विक औसत से बेहतर हाे गई है और देश में वर्ष 2021 तक लिंगानुपात 1000 लड़काें के अनुपात पर लड़कियां 913 के करीब पहुंच गई हैं.भारतीय महापंजीयक (आरजीआई) की नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) रिपाेर्ट वर्ष 2021 के अनुसार भारत में प्रमुख मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य संकेतकाें में उल्लेखनीय सुधार हाे रहा है. देश के मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) में उल्लेखनीय कमी आई है. यह 2014-16 में प्रतिलाख जन्माें पर 130 से 37 अंक घटकर 2019-21 में 93 हाे गई है. देश की शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 2014 में प्रति 1000 जन्माें पर 39 से घटकर 2021 में प्रति 1000 जन्माें पर 27 हाे गई है.
नवजात मृत्यु दर (एनएमआर) 2014 में प्रति 1000 जन्माें पर 26 से घटकर 2021 में प्रति 1000 जन्माें पर 19 हाे गई है. 5 वर्ष से कम आयु के बच्चाें की मृत्यु दर (यू5एमआर) 2014 में प्रति 1000 जन्माें पर 45 से घटकर 2021 में प्रति 1000 जन्माें पर 31 हाे गई है.जन्म के समय लिंग अनुपात 2014 में 899 से सुधरकर 2021 में 913 हगया है. कुल प्रजनन दर 2021 में 2.0 पर स्थिर है, जाे 2014 में2.3 से उल्लेखनीय सुधार है. यह रिपाेर्ट शनिवार काे केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने जारी की.रिपाेर्ट के अनुसार, 8 राज्य पहले ही एमएमआर का एसडीजी लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं. ये केरल (20), महाराष्ट्र (38), तेलंगाना (45), आंध्र प्रदेश (46), तमिलनाडु (49), झारखंड (51), गुजरात (53) और कर्नाटक (63) शामिल हैं.बारह राज्य और केंद्र शासित प्रदेश पहले ही यू5एमआर का एसडीजी लक्ष्य प्राप्त कर चुके हैं.