गुलटेकडी, 14 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष से सूखे मेवों के आयात पर असर पड़ा है. फिलहाल अफगानिस्तान से आयात ठप हो गया है. वर्तमान में देश में सूखे मेवों की प्रचुर आपूर्ति उपलब्ध है. इसलिए न तो व्यापारी और न ही ग्राहक चिंतित हैं. हालांकि, व्यापारियों ने अनुमान जताया है कि यदि तनाव बरकरार रहा तो आने वाले समय में सूखे मेवों की कीमतों में 10 से 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी हो सकती है. भारत अफगानिस्तान से बादाम, किशमिश, पिस्ता और अखरोट आयात करता है. अंजीर और खजूर तुर्की से आयात किए जाते हैं. पिस्ता, खजूर और किशमिश ईरान से आयात किए जाते हैं. खजूर इराक से आयात किए जाते हैं, साथ ही खजूर और पिस्ता पाकिस्तान से भी आयात किए जाते हैं. अफगानिस्तान से सूखे मेवे अटारी सीमा के जरिए भारत में आते हैं. भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का अफगानिस्तान, ईरान, इराक और पाकिस्तान से सूखे मेवों के आयात पर बड़ा प्रभाव पड़ा है. देश के पास फिलहाल 2 से 3 महीने तक चलने के लिए पर्याप्त भंडार है. इसलिए, कीमतें स्थिर हैं. हालांकि, व्यापारियों ने यह तनाव जारी रहने पर कीमतों में बढ़ोतरी की संभावना जताई है. देश में 70 से 80 प्रतिशत सूखे मेवे आयात किए जाते हैं. सरकार ने पाकिस्तान से सभी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है. भारत द्वारा पाकिस्तान से आने वाले सामान पर प्रतिबंध लगा दिए जाने के कारण इस मार्ग का उपयोग पूरी तरह से बंद कर दिया गया है. व्यापारियों ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप अफगानिस्तान से भारत में सूखे मेवों का आयात ठप हो गया है.
अन्य मार्गों से आयात करने पर लागत बढ़ेगी
अफगानिस्तान से आयातित सूखे मेवों को वैकल्पिक मार्गों से, यानी खाड़ी देशों के रास्ते भारत में आयात किया जाए तो अनुमान है कि इसमें लगभग 45 से 60 दिन का समय लगेगा. इससे परिवहन लागत बढ़ेगी. स्वाभाविक रूप से, कीमत में भी लगभग 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि होगी. फिलहाल अफगानिस्तान से आयात रुक गया है. अभी सूखे मेवों का इतना स्टॉक है कि वह 3 से 4 महीने तक चल सकता है. इसलिए, कीमतें तुरंत नहीं बढ़ेंगी. लेकिन, सूखे मेवों की कीमतें भविष्य के आयात और उसमें शामिल लागतों पर निर्भर करेंगी.
- नवीन गोयल, सूखे मेवे के व्यापारी, मार्केट यार्ड