अंधाें के बीच ‘आंखवाला हूं’ कहना अशिष्ट हैं

    18-May-2025
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प्रश्नः आप कहते हैं हम नासमझ हैं, हम बेहाेश हैं.
 
आप ऐसा कहिए कि तुम बेहाेश हाे, तुम नासमझ हाे.अभी माैका आया है कि आप हमें भी तुम कह कर बुला सकते हाे.मैं समझा...मैं जानकर ही कहता हूं कि हम नासमझ हैं क्याेंकि जैसे ही मैं अपने काे तुमसे अलग करता हूं, तुम्हारा दुश्मन हाे जाता हूं. और अभी जहर पीने की जल्दी नहीं है. और पागलाें के बीच बेहतर है कि अपने काे भी पागल समझाे. मेरा धंधा थाेड़ा कठिन धंधा है. यह अंधाें की दुनिया में चश्मे बेचने का धंधा है. और अंधाें से यह कहना कि मेरे पास आंखें हैं और तुम अंधे हाे, खतरनाक है. अंधाें की भीड़ हैअंधा धुंध भीड़ है! और काेई अंधा आदमी यह पसंद नहीं करता कि काेई अपने काे आंख वाला कहें और उसकाे अंधा कहे, और जब कि उसका बहुमत है.
 
वैसा हुआ साउथ अमरीका के एक छाेटे से पहाड़ी इलाके में तीन साै लाेगाें का एक कबीला था इसी सदी के प्रारंभ में. यह ऐतिहासिक घटना है. वे तीन साै ही आदमी अंधे थे. यह बहुत आश्चर्यजनक बात है. बच्चे आंख वाले पैदा हाेते थे लेकिन चार महीने के भीतर, छह महीने के भीतर अंधे हाे जाते थे. उस इलाके में एक मक्खी है जिसके काटने से बच्चे अंधे हाे जाते हैं. अगर छह महीने तक वह मक्खी बच्चाें काे न काटे ताे उनकी आंखें बच सकती हैं, िफर वे मजबूत हाे जाते हैं. छह महीने तक वे इतने कमजाेर हाेते हैं कि मक्खी उनकी आंखाें काे नष्ट कर देती है. अगर वह मक्खी इतनी बड़ी तादाद में है उस घाटी में कि काेई बच्चा बच नहीं सकता.
 
एक वैज्ञानिक ने जब यह खबर सुनी ताे वह सुन डर गया कि बात क्या है, क्याेंकि तीन साै आदमी पूरे अंधे हाे यह अचंभा है. और उसने अध्ययन किया और देखा कि हर बच्चा आंख वाला पैदा हाेता है लेकिन जब तक वह आंख वाला हाेता है तब तक बाेल नहीं सकता. और छह महीने लंबा समय है और मक्खी बहुतायत से है आम, घर-घर में.ताे छह महीने के भीतर वह उसे अंधा कर देती है. जब तक वह बाेलने याेग्य हाे पाता है तब तक अंधा हाेता है. जब तक आंख हाेती है तब तक बाेल नहीं सकता. इसलिए उस कबीले काे पता ही नहीं है कि आंख जैसी काेई चीज हाेती है. इस वैज्ञानिक युवक काे भी मक्खी काटती थी लेकिन यह ताे छह महीने से बहुत आगे जा चुका था. इस पर मक्खी के जहर काे काई असर नहीं हाेता था. और इसने निर्णय किया कि किसी भी तरह इस मक्खी काे नष्ट करना है.
 
और वह चकित हुआ देखकर कि ये तीन साै अंधे लाेग बिना आंखाें के भी काम चला लेते हैं. कठिनाई से और मुश्किलसे. मगर अगर यही जिंदगी है ताे किया भी क्या जा सकता है? हम सब भी यह कह रहे हैं. कि कितनी ही मुश्किल हाे, कितनी परेशानी हाे, कितनी ही झंझट हाे, करें भी ताे क्या करें? यही जिंदगी है. और चाराें तरफ सभी लाेग इसी जिंदगी में जी रहे हैं. उस मक्खी का अध्ययन करते-करते उस युवक का मन एक अंधी युवती पर आ गया. सुंदर थी, र्सिफ आंख न थीं. उसने कबीले के प्रमुख से उस युवती से शादी करने की प्रार्थना की. और तुम जानते हाे, कबीले के प्रमुख ने क्या कहा? कबीले के प्रमुख नग कहा पहले तुम यह भ्रम छाेड़ दाे कि तुम आंखवाले हाे. क्याेंकि यह बात न कभी देखी न कभी सुनी. ये झूठी बातें छाेड़ दाे.
 
विवाह की आज्ञा मिल सकती है लेकिन एक ही शर्त पर कि हम जिन्हें तुम आंखें कहते हाे उन्हें ाेड़ देंगे. तुम अंधे हाेने काे राजी हाे, विवाह हाे सकता है. तब तुम ताे हमें माफ कराे. तुम किसी और दुनिया के आदमी काे, हमारी जाति के नहीं. कल सुबह अपना निर्णय बता देना.रात भर वह साेचता रहा कि क्या करे. क्या आंखें गंवा दे? मगर इन्हीं आंखाें के कारण ताे उस स्त्री के साैंदर्य में वह दीवाना हुआ है. इन्हीं आंखाें काे गंवा दे ताे वह स्त्री सुंदर है या कुरूप, क्या फर्क पड़ता है. और सुबह हाेने के पहले निर्णय करना है. ठीक सूरज ऊगने के पहले वह वहां से भाग खड़ा हुआ, जितनी तेजी से भाग सकता था. कबीला उसका पीछा कर रहा था कि पकड़ाे उसे, वह भाग न जाए, क्याेंकि वह बाहर जाकर लाेगाें काे यह झूठी खबर देगा कि मैं आंखवाला हूं और दूसरे लाेग अंधे हैं.