पिंपरी, 18 मई (आ.प्र.) मनपा प्रशासन ने मुला नदी में चल रहे नदी सुधार परियोजना को अनुमति देकर एक तरह से शहर की जीवनदायिनी नदी को लेकर सवालिया निशान खड़ा किया है. प्रशासन का कहना है कि इस उद्देश्य के लिए ‘ब्लू फ्लड लाइन' को बदल दिया गया है. केवल कागज पर नीली फ्लड लाइन लिखने से काम नहीं चलेगा. नदी ने अपनी नीली रेखा नहीं बदली है. मुला नदी का तल पूरी तरह भर गया है. जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने आशंका जताई है कि अगर इस वर्ष भारी बारिश हुई, तो आधा शहर जलमग्न हो जाएगा. राजेंद्र सिंह ने रविवार (18 मई) सुबह मुला नदी में चल रहे नदी सुधार परियोजना का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने चिंचवड़ में पत्रकारों से बातचीत की. इस अवसर पर सारंग येदवाड़कर, नरेंद्र चुघ, विजय परांजपे, धनंजय शेडबाले आदि उपस्थित थे. राजेंद्र सिंह ने बताया कि नदी के तल में 75 फीट भराव हुआ है. सिंचाई विभाग ने कहा है कि यह काम रोक दें, नहीं तो बाढ़ आ जाएगी. पिंपरी-चिंचवड़ मनपा ने नदी का एक लीटर पानी भी शुद्ध नहीं किया है. नदी सुधार योजना के काम के लिए सिर्फ आंकड़े बढ़ाए जा रहे हैं. पिंपरी-चिंचवड़ के नागरिक एक स्वच्छ, सुंदर नदी देखना चाहते हैं. नदी और नदी तल में कार्य करने की वास्तविक अनुमति नदी ही देती है. मानसून के दौरान नदी में बाढ़ आने के बाद, मनपा से अनुमति प्राप्त एक कागज का टुकड़ा बाढ़ को रोकने में सक्षम नहीं होगा. जलपुरुष राजेंद्र सिंह ने इस अनुमतिपत्र की आलोचना करते हुए इसे भ्रष्टाचार का पत्र बताया. राजनीतिक नेता, प्रशासनिक अधिकारी और कॉन्ट्रैक्टर तीनों एक त्रिकोण बन गए हैं. उन्होंने प्रशासन पर कोर्ट की बात भी न सुनने का आरोप लगाया. इस कार्य का नागरिकों में कड़ा विरोध हो रहा है. पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है. राजेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि ऐसी स्थिति में सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप कर सही फैसला देना जरूरी है.
पर्यावरणविद्ों ने परियोजना की खामियों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया था
महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान वरिष्ठ नेता शरद पवार, तत्कालीन पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे और राज्यसभा सांसद वंदना चव्हाण ने नदी सुधार परियोजना की जानकारी लेने के लिए मुंबई में बैठक की थी. उस बैठक में पर्यावरणविद्ों ने परियोजना की खामियों की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया. इसलिए, उस समय इस परियोजना पर काम तुरंत रोक दिया गया था. उस समय शरद पवार ने साफ कहा था कि वह इस परियोजना को नहीं होने देंगे. हालांकि राजेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य में महायुति की सरकार आते ही इस नदी सुधार परियोजना पर काम फिर से शुरू हो गया है.
मुला नदी में बाढ़ रोकने की जरूरत
मुला नदी पर एक दीवार बनाई गई है. अब उस दीवार के 75 फीट अंदर एक और दीवार बना दी गई है तथा उस बिंदु तक मिट्टी डाल दी गई है. ये दोनों दीवारें नीली बाढ़ रेखा में हैं. इससे मुला नदी में बाढ़ आ जाएगी. इसे रोकने की जरूरत है. कुछ वर्षों में अदालत इस पर फैसला सुनाएगी और मनपा को नदी में डाली गई मिट्टी हटानी होगी. प्रशासन का कहना है कि नीली बाढ़ रेखा को बदल दिया गया है. हालांकि, केवल कागज पर नीली फ्लड लाइन बदलने से काम नहीं चलेगा. नदी ने अपनी नीली रेखा नहीं बदली है. हम नदी में काम करना स्वीकार नहीं करते. हमने इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कराई है. इस मामले की सुनवाई 17 जून को होगी.
मांग अनसुनी, 9 साल बाद हुई कार्रवाई
वर्ष 2016 में, शहर के पर्यावरणविद्ों ने मांग की थी कि पिंपरी-चिंचवड़ मनपा इंद्रायणी नदी की नीली बाढ़ रेखा के भीतर निर्माण कार्य रोक दे. हालांकि, उस समय मनपा ने इसे नजरअंदाज कर दिया था. हाल ही में, कोर्ट ने इंद्रायणी नदी की नीली बाढ़ रेखा के भीतर की संरचनाओं को 31 मई तक ध्वस्त करने का आदेश दिया. इस पर पिंपरी-चिंचवड़ मनपा ने पिछले दो दिनों में नीली बाढ़ रेखा के भीतर 36 बंगलों के खिलाफ कार्रवाई की है. इससे नागरिकों को भारी नुकसान हुआ. यह कार्रवाई 9 साल बाद की गई. अगर हमारी मांगों पर समय रहते ध्यान दिया गया होता, तो आज वहां के नागरिक इस संकट में नहीं होते.
अधिकारी स्वयं कॉन्ट्रैक्टर बन गए हैं
शहर के अधिकारी स्वयं कॉन्ट्रैक्टर बन गए हैं. जब अधिकारी कॉन्ट्रैक्टर बन जाते हैं, तो वे भ्रष्टाचार करते हैं. अगर अधिकारी कॉन्ट्रैक्टर बन गए, तो शहर का वर्तमान और भविष्य खतरे में पड़ जाएगा. पिंपरी-चिंचवड़ आयुक्त शेखर सिंह अपना काम ठीक से नहीं कर रहे हैं. नदी, पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ की जनता और भारत का संविधान उन्हें सजा देगा. वे संविधान के अनुसार काम नहीं कर रहे हैं. हम इस मामले को सुप्रीम कोर्ट और ग्रीन ट्रिब्यूनल में चुनौती दे रहे हैं.