‌‘सूर्यदत्त‌’ द्वारा वैज्ञानिक डॉ. जयंत नारलीकर को श्रद्धांजलि

10वीं और 12वीं के साइंस विषय में प्रथम आनेवाले विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति

    22-May-2025
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बावधन, 21 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
डॉ. जयंत नारलीकर की स्मृति में सीबीएसई और राज्य बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षा में विज्ञान विषय में प्रथम स्थान पाने वाले छात्र और छात्राओं को हर साल छात्रवृत्ति दी जाएगी. यह घोषणा सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने की है. बुधवार (21 मई) को बावधन कैंपस में सूर्यदत्त ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट्स द्वारा पद्म विभूषण डॉ. जयंत नारलीकर की स्मृति में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था. उसी समय यह घोषणा की गई. आयोजित कार्यक्रम में सूचना प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ डॉ. दीपक शिकारपुर, सूर्यदत्त एजुकेशन फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया, उपाध्यक्ष एवं सचिव सुषमा चोरडिया, मुख्य कार्यकारी अधिकारी अक्षित कुशल, संस्थापक डॉ. प्रतीक्षा वाबले, प्रो. मनीषा कुंभार समेत सभी विभागों के निदेशक व प्राचार्य, शिक्षक व गैर-शिक्षक कर्मचारियों ने श्रद्धांजलि दी.
 
डॉ. दीपक शिकारपुर ने कहा, डॉ. जयंत नारलीकर ने विज्ञान, खगोल विज्ञान, गणित और अंतरिक्ष विज्ञान जैसे विषयों को आम आदमी को बहुत ही आसान तरीके से समझाया. उन्होंने आम लोगों तक ज्ञान फैलाने के लिए बड़े उत्साह से काम किया. ‌‘सूर्यदत्त‌’ को उनके साहित्य को गौरवान्वित करने के लिए एक साहित्य सम्मेलन आयोजित करने की पहल करनी चाहिए. प्रशांत पितलिया, हर्षदा कुंभार और अनघा सावंत ने भी अपनी भावनाएं व्यक्त कीं. कार्यक्रम का संचालन सुनील धनगर ने किया.
 
 
डॉ. जयंत और डॉ. मंगला नारलीकर का ‌‘सूर्यदत्त‌’ से घनिष्ठ संबंध था
 
प्रो. डॉ. संजय बी. चोरडिया ने कहा, डॉ. जयंत नारलीकर और डॉ. मंगला नारलीकर का ‌‘सूर्यदत्त‌’ से घनिष्ठ संबंध था. डॉ. जयंत नारलीकर को 2008 में, तथा डॉ. मंगला नारलीकर को 2017 में ‌‘सूर्यदत्त राष्ट्रीय लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार‌’ से सम्मानित किया गया. डॉ. नारलीकर के मार्गदर्शन में ‌‘सूर्यदत्त‌’ के अनेक विभागों की वैज्ञानिक यात्राएं ‌‘आयुका‌’ में कराई गईं. उनकी उपस्थिति ने इस पूरे क्षेत्र को जिज्ञासापूर्ण, शैक्षिक और आदर्शपूर्ण बना दिया है. डॉ. नारलीकर ‌‘सूर्यदत्त‌’ में कई कार्यक्रमों के प्रेरणा-स्रोत के रूप में उपस्थित रहे. आर्यभट्ट हॉल का उद्घाटन डॉ. मंगला नारलीकर ने किया था.