बाल पुस्तक मेले का मॉडल राज्यभर में लागू किया जाएगा

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास व ‌‘संवाद‌’ पुणे द्वारा गणेश कला क्रीड़ा मंच में आयोजित कार्यक्रम में शिक्षामंत्री दादा भुसे ने कहा

    26-May-2025
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पुणे, 25 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

वर्तमान के मोबाइल और एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के दौर में हमें इस बात का ध्यान रखना होगा कि हम अपनी माटी (मिट्टी या जन्मभूमि) से जुड़े रहें. इस वजह से बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है. इस दृष्टि से बाल पुस्तक मेला सिर्फ पुणे तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए. स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने घोषणा की कि शिक्षा विभाग बाल पुस्तक मेले के कॉन्सेप्ट (अवधारणा) को विभाग, जिला और तहसील स्तर तक पहुंचाने के लिए कदम उठायेगा. बाल पुस्तक मेले का मॉडल राज्य भर में लागू करने के लिए शिक्षा विभाग पहल करेगा.

राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, पुणे पुस्तक महोत्सव, पुणे मनपा और ‌‘संवाद‌’ पुणे द्वारा गणेश कला क्रीड़ा मंच में आयोजित पुणे बाल पुस्तक मेले में भुसे बोल रहे थे. इस अवसर पर राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव, पुणे मनपा ‌‘संवाद‌’ पुणे के ट्रस्टी और पुणे पुस्तक महोत्सव के मुख्य संयोजक राजेश पांडे, बालभारती के निदेशक कृष्णकुमार पाटिल, किशोर पत्रिका के संपादक किरण केंद्रे, सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी के प्रबंधन परिषद्‌‍ के सदस्य सागर वैद्य, प्रसेनजीत फडणवीस, संवाद पुणे के सुनील महाजन आदि उपस्थित थे. इसी कार्यक्रम में भुसे ने अंग्रेजी में अनुवादित पुस्तकों साने गुरुजी और श्यामची आई के साथ-साथ किशोर पत्रिका का भी विमोचन भी किया. दादा भुसे ने कहा, पुणे बाल पुस्तक मेला एक नया प्रयोग है.

 मेरे जैसे कार्यकर्ता को इससे काफी कुछ सीखने को मिला. शिक्षा विभाग इस मॉडल को राज्य और जिला स्तर तक ले जाने का प्रयास करेगा. इसके लिए पूरे राज्य में संयुक्त रूप से प्रयास किया जाएगा. शिक्षा विभाग राज्य में पहली से 12वीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए काम कर रहा है. राज्य में मनोरंजक, आनंददायक और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए प्रयास किये जा रहे हैं. मौजूदा दौर में आर्थिक रूप से सक्षम माता-पिता अपने बच्चों को अंग्रेजी और अन्य माध्यमों के स्कूलों में भर्ती करते हैं. दूसरी ओर, गरीबों के बच्चे जिला परिषद्‌‍ और स्थानीय निकायों के स्कूलों में जाते हैं.
ऐसा लगता है कि इससे समाज में एक प्रकार की खाई पैदा हो रही है. हालांकि, गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है. दादा भुसे ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से कुछ मांगें की गई हैं. उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के इतिहास को राष्ट्रव्यापी स्तर पर पढ़ाए जाने की मांग को तुरंत स्वीकार कर लिया और इसके तत्काल क्रियान्वयन के निर्देश दिए. उन्होंने महाराष्ट्र में मराठी को अनिवार्य बनाने की मांग की. इसी के तहत्‌‍ सीबीएसई ने महाराष्ट्र में मराठी पढ़ाने के निर्देश दिए हैं.