खड़कवासला , 29 मई (आ.प्र.)
नेशनल डिफेन्स अकादमी (एनडीए) की 148वीं बैच की गर्ल्स छात्राओं ने गुरूवार को नया इतिहास रचा. इस ऐतिहासिक समारोह का साक्षीदार होने के लिए और अपनी लड़कियों की उपलब्धि देखने के लिए उनके अभिभावक बड़े उत्सुक थे. एनडीए से उत्तीर्ण हुए इस बैच में 17 गर्ल्स कैडेटस् थीं. ॲवॉर्ड विनर बनी कैडेट श्रीति दक्ष पहली गर्ल्स कैडेट बन गई और एनडीए के इतिहास में उसने अपना नाम गोल्डन मेमोरीज के रूप में दर्ज कराया. एनडीए से कठिन प्रशिक्षण लेकर अपने-आप को साबित करनेवाली महिला कैडेट्स की पहली बैच के प्रति देश को अभिमान है. नेशनल डिफेन्स अकादमी से उत्तीर्ण हुईं 17 गर्ल्स कैटेड्स को गुरूवार को हुए पदवीप्रदान समारोह में, दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पदवी से सम्मानित किया गया. एनडीए की 148वीं बैंच का पदवीप्रदान समारोह, गुरूवार (29 मई) को सुबह 11 बजे मेजर जनरल हबीबुल्लाह हॉल में आयोजित किया गया था. समारोह में गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय की वाइस चान्सलर प्रो. डॉ. पूनम टंडन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थीं. एनडीए के कमांडंट वाइस ऍडमिरल गुरचरणसिंह, डिप्टी कमांडंट सरताज बेदी, प्राचार्य ओमप्रकाश शुक्ला और विविध फैकल्टी के प्रमुख मंच पर उपस्थित थे. बीएससी में प्रथम क्रमांक से उत्तीर्ण होने वाले कैडेट लकीकुमार को सिल्वर मेडल और चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ ट्रॉफी से सम्मानित किया गया. बीएससी कम्प्यूटर साइंस में प्रथम क्रमांक से उत्तीर्ण होने वाले कैडेट प्रिन्स कुमार सिंह कुशवाहा को सिल्वर मेडल और चीफ ऑफ नेवल स्टाफ ट्रॉफी से नवाजा गया. बी.ए. में प्रथम आनेवाली महिला कैडेट श्रीति दक्ष को सिल्वर मेडल और चीफ ऑफ एयर स्टाफ ट्रॉफी से सम्मानित किया गया. बी.टेक में प्रथम क्रमांक के उत्तीर्ण होने वाले कैडेट उदयवीर सिंह नेगी को सिल्वर मेडल और सीआईएससी ट्रॉफी से गौरवान्वित किया गया. एनडीए की 148वीं बैच में कुल मिलाकर 339 कॅडेट्स को दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की पदवी प्रदान की गई. एनडीए से पासआउट हुईं 17 लड़कियां हरियाणा, पंजाब, बिहार, उत्तरप्रदेश से हैं. तीन साल का प्रशिक्षण पूरा कर इन लड़कियों ने एनडीए के इतिहास में अपना नाम दर्ज करवाया है. इन लड़कियों को आर्मी, नेवी और एयरफोर्स में अपना कैरियर बनाना हैं. हर एक ने अपना-अपना कैरियर पसंद कर लिया है. इस समारोह में लड़कियों के माता-पिता और रिश्तेदार भी बड़ी उत्साह के साथ शामिल हुए थे. लड़कों के साथ-साथ अब लड़कियां भी डिफेन्स में कैरियर करने के लिए आगे आ रही हैं. इन लड़कियों ने तीन साल का कठिन प्रशिक्षण पूरा कर अपने-आप को साबित किया हैं. अब ये लड़कियां देश सेवा के लिए सेना में दाखिल होने के लिए तैयार है. गर्ल्स कैडेट श्रीति दक्ष ने कहा कि मैं हरियाणा से हुं. मेरे पिताजी रिटायर्ड विंग कमांडर योगेश दक्ष और पेशे से टीचर मेरी मां अंजू दक्ष ने मुझे एनडीए में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया. विशेषकर मेरी मां और स्कूल को भी में धन्यवाद देना चाहती हूं. क्योंकि आज जो मैंने मकाम हासिल किया है, इस में उनका भी योगदान है. मैंने नोयडा से मेरी स्कूल की पढ़ाई पूरी की है. महिला होने के कारण पहले पहले मुझे एनडीए के माहौल को अनुकूल होने में थोड़ा समय लगा. लेकिन हमारे ट्रेनर्स, इन्स्ट्रक्टर ने हम लड़कियों का बहुत अच्छी तरह से मार्गदर्शन किया. उनका बहुत ही सपोर्ट मिला. मेरी बड़ी बहन एयरफोर्स में फ्लाइंग ऑफिसर हैं. अब मैं इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून जॉइन करनेवाली हूं. कैडेट लकी कुमार ने कहा कि, एनडीए के कठिन प्रशिक्षण ने मुझे आंतरिक और बाह्य रूप से बदल दिया है. मैं बिहार से हूं और मेरे पिता किसान हैं और मेरी मां गृहिणी हैं. मेरे चचेरे भाई ने एनडीए पास किया है. इसलिए, मुझे उनसे एनडीए में शामिल होने की प्रेरणा मिली. मेरा इरादा वायु सेना में शामिल होने का है. तीन साल के प्रशिक्षण के दौरान, मैंने कई खेल भी सीखे. हॉकी इसमें शामिल है. इससे पहले, मैंने कभी हॉकी नहीं खेली थी. हालांकि, मैं अपनी हॉकी टीम का कप्तान था और हमारी टीम ने कप भी जीता था. कैडेट उदयसिंह नेगी ने कहा कि, पारिवारिक विरासत की प्रेरणा मुझे एनडीए में लायी. मैं सैन्य पृष्ठभूमि वाले परिवार से आता हू्ं. मेरी वजह से, परिवार की चौथी पीढ़ी आज सैन्य सेवा में शामिल हो रही है. मेरा इरादा नौसेना में शामिल होने का है. मेरे दादा और पिता दोनों ही कमांडिंग ऑफिसर थे. इसलिए, सेना की पारिवारिक विरासत की प्रेरणा एनडीए में मेरे तीन साल के दौरान काम आई. मुझे बचपन से ही सेना से लगाव था, और यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि यही मुझे एनडीए की ओर खींच लायी. मेरे पिता मेरी प्रेरणा हैं.
गर्ल्स कैडेट्स पर पूरे देश को अभिमान
एनडीए के अबतक के सफर में 147वीं बैच का विशेष महत्व हैं. क्योंकि, इस बैच से गर्ल्स कैडेट्स पासआऊट हो रही हैं. आज एनडीए में ऐतिहासिक क्षण है. एनडीए के एतिहास में गर्ल्स कैडेट्स की पहली बैच का नाम स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा. गर्ल्स कैडेटस् पर आज पूरे देश को अभिमान है. यह गौरवोद्गार गोरखपुर के दीन दयाल उपाध्याय विश्वविद्यालय की वाइस चान्सलर प्रो.डॉ.पूनम टंडन ने व्यक्त किए. डिफेन्स में कैरियर की इच्छा रखने वाली लडकियों के लिए आप एक आदर्श हैं. देश के प्रति समर्पण की भावना यहीं से ही विकसित होती है. मैं गर्ल्स कैडेट्स के माता पिता को भी सैल्यूट करती हूं क्योंकि उन्होने आप को एनडीए में प्रवेश लेने के लिए प्रोत्साहित किया है. आप में से ही भविष्य में देश के लिए नेतृत्व विकसित होगा. यह भी बात उन्हैांने कही.
एनडीए का अनुभव जिंदगी के लिए महत्वपूर्ण पड़ाव
कैडेट प्रिन्सकुमार सिंह कुशवाहा ने कहा कि, मैं उत्तरप्रदेश के मथुरा का रहनेवाला हूं. मेरे पिताजी रिटायर्ड नायब सूबेदार हैं. मेरी माताजी होममेकर हैं. मुझे दो बड़ी बहनें हैं. आज मैं अपने-आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं. क्योंकि बीएससी कम्प्यूटर साइंस में पहले क्रमांक से उत्तीर्ण हुआ हूं और मुझे ट्रॉफी भी मिली है. मेरे घरवाले भी आज मेरे साथ इस समारोह में शामिल हुए हैं. एनडीए का प्रशिक्षण कठिन है. लेकिन जिंदगी में यश पाने के लिए यहीं से ही अनुभव मिलता है. यहां का अनुभव ही हमारी जिंदगी के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. मैं आर्मी का रिस्पेक्ट करता हूं