स्वारगेट, 31 मई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) श्रीमंत दगडूशेठ हलवाई सार्वजनिक गणपति ट्रस्ट और सुवर्णयुग तरुण मंडल गणेशोत्सव के 133वें वर्ष में केरल स्थित श्री पद्मनाभ स्वामी मंदिर की प्रतिकृति का निर्माण किया जाएगा. श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर तिरुवनंतपुरम में भगवान श्री विष्णु का मंदिर है. यह मंदिर 108 दिव्य देसमों में से एक है, यानी निवास, जिन्हें श्री वैष्णव परंपरा में श्री विष्णु का पवित्र निवास माना जाता है. इस वर्ष गणेशोत्सव के दौरान दगडूशेठ हलवाई गणपति ट्रस्ट द्वारा इस पवित्र मंदिर की एक भव्य प्रतिकृति का निर्माण किया जाएगा, जो भक्तों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र होगा, ऐसी जानकारी ट्रस्ट के अध्यक्ष सुनील रासने ने दी. सणस मैदान के सामने हीराबाग कोठी में ट्रस्ट के सजावट विभाग का उद्घाटन समारोह शनिवार (31 मई) को कला निर्देशक विनायक रासकर और सरिता रासकर द्वारा किया गया. इस अवसर पर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष डॉ. रामचंद्र उर्फ बालासाहेब परांजपे, माणिक चव्हाण, कोषाध्यक्ष महेश सूर्यवंशी, महासचिव एवं विधायक हेमंत रासने, संयुक्त सचिव अमोल केदारी, सुवर्णयुग तरुण मंडल के अध्यक्ष प्रकाश चव्हाण, यतीश रासने, सौरभ रायकर, राजाभाऊ चव्हाण सहित अन्य पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता तथा पुणे के विभिन्न मंदिरों, धार्मिक संस्थाओं एवं गणेशोत्सव मंडलों के ट्रस्टी एवं पदाधिकारी उपस्थित थे.
बताया गया कि केरल के इस भव्य पद्मनाभस्वामी मंदिर की प्रतिकृति वर्ष 2025 के गणेशोत्सव के दौरान पुणे में देश-विदेश के गणेश भक्तों को देखने को मिलेगी. इस प्रतिकृति का आकार 120 फीट लंबा, 90 फीट चौड़ा और 100 फीट ऊंचा होगा. इसमें 30 भव्य स्तंभ और 500 देवी-देवताओं तथा ऋषियों की मूर्तियां होंगी. मुख्य सभागार को सोने से सजाया जाएगा और पूरी छत अष्टकोणीय आकार में बनाई जाएगी. कला निर्देशक विनायक रासकर मंदिर का काम करेंगे और मंडप की व्यवस्था काले मांडववाले द्वारा किया जाएगा. केरल और द्रविड़ शैली की होगी वास्तुकला पद्मनाभस्वामी मंदिर केरल शैली और द्रविड़ शैली की वास्तुकला के जटिल मिश्रण से बना है. इस मंदिर की प्रतिकृति में 5-स्तरीय गोपुर होगा, जिसमें कृष्णलीला, रामायण, सप्त ऋषि, घोड़े, हाथी और शेर होंगे. मंदिर में विष्णु लक्ष्मी, शिव पार्वती, श्री कृष्ण और नरसिंह की मूर्तियां होंगी. मुख्य मखर के ऊपर अष्टकोणीय भाग में भगवान पद्मनाभ स्वामी की भव्य शयन मूर्ति बनाई जाएगी. विभिन्न विशेषताओं से भरपूर मंदिर की प्रतिकृति करीब 100 फीट ऊंची होगी.