(ज्ञानेेशर बिजले द्वारा) पुणे, 9 जून राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों गुट अपने स्थापना दिवस (10 जून) के अवसर पर आज पुणे में जबरदस्त शक्ति प्रदर्शन करने जा रहे ह्ैं. इसके माध्यम से वे आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए बिगुल फूंकेंगे. पुणे पर सत्ता हासिल करने की इनकी मंशा तो है, लेकिन पार्टी में विभाजन के कारण इनकी ताकत बिखर गई है. इसके बावजूद, भाजपा को बहुमत से रोकने के लिए दोनों गुट पूरी ताकत झोंक देंगे, ऐसा राजनीतिक आकलन किया जा रहा है. भाजपा की बढ़त को रोकने की रणनीति पुणे मनपा में भाजपा ने 2017 में 100 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया था. वहीं, राष्ट्रवादी कांग्रेस को 41 सीटें मिली थीं और वह दूसरे स्थान पर रही थी. भाजपा ने केंद्र और राज्य की सत्ता, संगठित पार्टी ढांचा, चार नगरसेवकों वाला एक प्रभाग, दूसरे दलों से आए दिग्गज उम्मीदवारों और नए चेहरों के सहारे बड़ा प्रदर्शन किया था. लेकिन आगामी चुनाव में भाजपा को एकतरफा बहुमत मिलना मुश्किल दिख रहा है. भाजपा की कमजोरी यह है कि उसके पास शहर में प्रभावी नेतृत्व की कमी है. साथ ही, पार्टी के भीतर गुटबाजी और अनेक इच्छुक उम्मीदवारों के कारण टिकट वितरण में समस्याएं आ सकती ह्ैं. कुछ मौजूदा नगरसेवकों को लेकर मतदाताओं में नाराजगी भी देखी जा रही है. ऐसे में भाजपा को बहुमत पाने के लिए काफी मेहनत करनी पड़ेगी. अजित पवार होंगे सक्रिय उपमुख्यमंत्री अजित पवार पुणे और पिंपरी-चिंचवड मनपा में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय रहेंगे. वे शहर की आठों विधानसभा क्षेत्रों के लिए संपर्क मंत्री नियुक्त करेंगे और खुद पालक मंत्री के रूप में शहर का लगातार दौरा करेंगे. पुणे में मौजूदा स्थिति हड़पसर, खड़कवासला, वडगांवशेरी इन तीन क्षेत्रों में पहले राष्ट्रवादी के 31 नगरसेवक थे. हड़पसर के 15 में से 10 अजित गुट में, 5 शरद गुट में हैं. वड़गांवशेरी: 24 में से 6 राष्ट्रवादी के. बापू पठारे (शरद गुट) और सुनील टिंगरे (अजित गुट) के बीच मुकाबला हुआ था. खड़कवासला: 10 नगरसेवकों में से 4 शरद गुट, बाकी अजित गुट के हैं मध्य पुणे: 5 विधानसभा क्षेत्रों में केवल 10 नगरसेवक राष्ट्रवादी के हैं, इनमें से 6 अजित पवार गुट में हैं. अगर राष्ट्रवादी के दोनों गुट मिलकर 50 से अधिक और अन्य विपक्षी दल 30 से अधिक नगरसेवक जिताते हैं, तभी भाजपा को बहुमत से रोका जा सकेगा. पुणे जिला ही राष्ट्रवादी कांग्रेस का गढ़ माना जाता है. इसीलिए दोनों गुट मंगलवार को होने वाले शक्ति प्रदर्शन से भाजपा को कड़ा संदेश देने का प्रयास करेंगे.
राष्ट्रवादी के दोनों गुटों की महत्वपूर्ण रणनीति
पिछली बार जीते हुए कई राष्ट्रवादी नेता अब अपने-अपने क्षेत्रों में मजबूत स्थिति में हैं. दो गुटों में बंटने के बावजूद अधिकांश प्रमुख नेताओं को टिकट मिलने की संभावना है. उनके साथ नए चेहरे भी चुनाव के मैदान में उतरेंगे. इसलिए अगले कुछ महीनों में दोनों गुट जोरदार चुनाव की तैयारी करेंगे.
शरद पवार की रणनीति पर राजनैतिक क्षेत्र की निगाहें
शरद पवार गुट भी 10 जून को अपने स्थापना दिवस के अवसर पर स्थानीय चुनावों की रणनीति की घोषणा करेगा. शरद पवार ने लोकसभा चुनाव में राज्य की आठ सीटें जीती हैं और महाविकास आघाड़ी के बैनर तले चुनाव लड़ने की घोषणा की है. अगर पुणे में कांग्रेस, राष्ट्रवादी (शरद गुट) और शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) साथ आते हैं तो विपक्ष की स्थिति मजबूत होगी.