बाहरी लोगों की अनियंत्रित भीड़ से चरमराई रेल व्यवस्था

मुंबई रेल हादसे पर राज ठाकरे की प्रतिक्रिया ः लोकल ट्रेन में रोजाना हो रहे हादसे, सावधानी जरूरी

    10-Jun-2025
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raj thakre
 
 
 
पुणे, 9 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
 
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने मुंबई की रेल व्यवस्था पर गंभीर चिंता जताई है. पुणे में आयोजित एक पत्रकार परिषद में उन्होंने कहा कि बाहर से आने वाली अनियंत्रित भीड़ की वजह से मुंबई की रेल व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है. राज ठाकरे ने कहा कि मुंबई की लोकल ट्रेन में रोजाना हादसे हो रहे हैं. यह अपने आप में एक आश्चर्य है कि अभी तक रेल व्यवस्था जैसे-तैसे चल रही है. हम वर्षों से कह रहे हैं कि मुंबईवासियों के लिए अलग परिवहन महामंडल बनाया जाए, मगर किसी के कानों तक यह बात नहीं पहुंचती. उन्होंने शहरी योजनाओं की खामियों पर भी सवाल उठाते हुए कहा, शहरों का विकास पुनर्विकास के नाम पर हो रहा है, जहां केवल ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी की जा रही हैं, लेकिन सड़कों की व्यवस्था नहीं है. पार्किंग की जगह नहीं है, जिससे भारी ट्रैफिक जाम होता है.
 
यदि आग लग जाए तो दमकल की गाड़ी तक घटनास्थल पर नहीं पहुंच सकती. हमारे यहां शहर नियोजन नाम की कोई चीज बची नहीं है. राज ठाकरे ने यह भी कहा कि मेट्रो और मोनोरेल जैसे प्रोजेक्ट भी कारगर नहीं हुए हैं. मुंबई में मेट्रो और मोनोरेल चल रही है, लेकिन गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कम नहीं हुआ. सवाल यह है कि मेट्रो और मोनो का उपयोग कौन कर रहा है, इस पर कोई ध्यान नहीं देता. सभी केवल चुनावों और प्रचार में व्यस्त हैं. राज ठाकरे ने मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, उद्धव ठाकरे और मेरे एक साथ आने पर जितनी चर्चा होती है, उतनी चर्चा उन लोगों की मौतों पर नहीं होती जो रेल हादसों में जान गंवा रहे हैं. मीडिया को चाहिए कि वह शहरों की समस्याओं को उजागर करे, न कि केवल सतही मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करे. उन्होंने रेलमंत्री के इस्तीफे की मांग को गैर जरूरी बताते हुए कहा, रेलमंत्री को इस्तीफा देने की बजाय ग्राउंड पर जाकर हालात देखने और सुधारने की जरूरत है. प्लेटफॉर्म की भीड़ देखकर समझ में नहीं आता कि लोग अंदर कैसे घुसते हैं और बाहर कैसे निकलते हैं.
 
चढ़ने -उतरने की अलग व्यवस्था होनी चाहिए
 
राज ठाकरे ने अंत में कहा कि अगर ट्रेन के दरवाजे बंद कर दिए जाएं तो अंदर लोग दम घुटने से मर जाएंगे. बाहर निकलने और अंदर चढ़ने के लिए अलग-अलग व्यवस्था होनी चाहिए. विदेशों की यात्रा करने वाले मंत्री वहां की रेल नहीं तो कम से कम वहां की सोच ही ले आएं. हमारे देश में आम आदमी की कोई कीमत नहीं रह गई है. राज ठाकरे की इस प्रतिक्रिया ने शहरी योजना और रेल व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिन पर सरकार को तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है.