रिटायरमेंट के बाद जजाें के राजनीति में उतरने के खिलाफ साहसिक बयान देने वाले देश के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बी.आर. गवई ने लाेकतंत्र के अंगाें में से महत्वपूर्ण न्यायपालिका काे लेकर महत्वपूर्ण बात करते हुए कहा कि न्यायपालिका काे अपनी सीमाएं लांघने से बचना चाहिए. लंदन की ऑ्नसफाेर्ड यूनिवर्सिटी में ‘फ्राॅम रिप्रेजेंटेशन टू रियलाइजेशन : एम्बाॅडिंग द काॅस्टिट्यूशनंस प्राॅमिस’ (प्रतिनिधित्व से कार्यान्वयन तक ः संविधान के कार्यान्वयन काे मूर्त रूप देना) विषय पर वे बाेल रहे थे.
चीफ जस्टिस ने अपने व्याख्यान में कहा कि न्यायिक सक्रियता न्यायिक आतंकवाद में तब्दील नहीं हाेनी चाहिए. विधायिका और कार्यपालिका के विफल हाेने पर हस्तक्षेप जरूरी है. उन्हाेंने कहा कि भारतीय संविधान में बहुत ताकत है. एकाधिकार व दबंगई इस देश में कभी भी हावी नहीं हाे सकती, क्योंकि यहां संविधान व कानून ऐसी बातें चलने नहीं देता. कभी अछूत कहे जाने वाले समाज का व्य्नित आज चीफ जस्टिस है. यह सब भारतीय संविधान से ही संभव है.