प्रश्नः पतिव्रता का क्या अर्थ है?
और सती सक्कूबाई, सती अनसूया, सती सावित्री जैसी महान पतिव्रता साध्वियाें की महिमा का शास्त्राें में बहुत उल्लेख है.ये पुरुषाें ने लिखे हैं शास्त्र और इन्हाेंने इस बात का ताे बहुत उल्लेख किया कि स्त्रियाें काे साध्वी हाेना चाहिए, सती हाेना चाहिए; पुरुषाें की काेई चर्चा नहीं की इन्हाेंने, कि इनकाे भी सता हाेना चाहिए! स्त्रियाें काे समझाया कि मर जाओ अगर पति मर जाए- यही प्रेम की कसाैटी है.मगर किसी पति काे नहीं कहा कि तू भी मर जाना अपनी पत्नी के पीछे. एकाध ताे सता हाेता! बस ढांढन सती की झांकी सजाई जा रही है. काेई ढांढू की भी ताे सजाई जाती! एकाध भाेंदू ताे गिर जाता चिता में, भूल-चूक से भी! मगर नहीं, पांच हजार साल के इतिहास में एक भाेंदू ने यह काम नहीं किया. गरीब स्त्रियां, इन शास्त्राें के हाथ में ंस गई हैं. ये पुरुषाें के लिखे हुए शास्त्र हैं, ये प्रशंसा क्याें नहीं करेंगे!
ये प्रशंसा कर रहे हैं उन स्त्रियाें की जाे पुरुषाें पर मरने काे तैयार हैं. और पुरुषाें ने इंतजाम किया कि जिंदा हम रहें ताे तुम जिंदा रहाे; हम मर जाएं ताे पुरुषाें काे शक है कि हमारे मरने के बाद कहीं तुम किसी से विवाह न कर लाे. तुम हमारी संपत्ति हाे! तुम्हें हमारे साथ ही समाप्त हाे जाना चाहिए. संपत्ति काे क्या अधिकार है मालिक के मर जाने के बाद जिंदा रहने का? पति का अर्थ ही मालिक हाेता है. स्त्री काे कहते हैं दासी. और पति? वह मालिक है, स्वामी. राष्ट्रपति शब्द अच्छा नहीं है, बदलना चाहिए. अब समझ लाे कि काेई स्त्री राष्ट्रपति हाे जाए, उसकाे क्या राष्ट्रपत्नी कहाेगे? बहुत उपद्रव मच जाएगा. यह शब्द ठीक नहीं है.सभापति, ताे किसी स्त्री काे बिठाओगे ताे क्या सभापत्नी कहाेगे? नहीं, पत्नी शब्द का उपयाेग नहीं कर सकते, क्याेंकि पत्नी में वह मालकियत का भाव ही नहीं है.
अगर सभापत्नी कहाेगे ताे वह ताे वेश्या हाे गई. और सभापति कहाे ताे चलेगा, क्याेंकि पहले ही से पुरुष यह काम करता रहा और स्त्रियाें काे समझाता रहा कि हम पुरुष हैं, हमें सब तरह की स्वतंत्रता है. तुम्हारा गाैरव ताे इसी में है- समर्पण तुम ताे डूब मराे. तुम ताे जीवन भर भी अपना जलाओ और अगर हम मर जाएं ताे हमारे साथ मर जाओ.पुरुष काे हक है कि एक नहीं, कई स्त्रियां रखे.
मुसलमान चार स्त्रियां रख सकते हैं. माेहम्मद ने खुद नाै विवाह किए. मगर यह माेहम्मद ताे कुछ भी नहीं, कृष्ण ने साेलह हजार स्त्रियां! बेचारे माेहम्मद का कहां हिसाब, कहां किस हिसाब में आते हैं! तुलना कर ही नहीं सकते.
साेलह हजार स्त्रियां! पुरुष जाे करे, ठीक! पुरुष की दुनिया है यह अब तक रही है, आगे नहीं रहनी चाहिए. स्त्री और पुरुष का समान अधिकार है. और दाेनाें काे सब तरह से समानता मिलनी चाहिए. न ताे पतिव्रता हाेने की काेई जरूरत है, न पत्नीव्रता हाेने की काेई जरूरत है. काी अनाचार हाे चुका इन शब्दाें की आड़ में.प्रेम कराे! प्रेम से जीओ! और प्रेम से जाे सहज-स्ूर्त हाे, वह शुभ है. लेकिन ऊपर से आचरण आराेपित नहीं हाेना चाहिए. सुशीला, पुरुषाें के शास्त्राें से थाेड़ा सावधान रहना. स्त्रियाें ने काेई शास्त्र नहीं लिखे, लिखने ही नहीं दिए. पढ़ने नहीं दिए ताे लिखने ताे क्या देंगे! मनाही कर दी स्त्रियाें काे कि वेद पढ़ने की मनाही है. कुरान पढ़ने की मनाही है. जब पढ़ने ही नहीं देंगे ताे लिखने का ताे सवाल ही नहीं उठता.