पुणे, 17 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क) ठेके पर नियुक्त किए गए सफाई कर्मचारी नेताओं के घरों में झाड़ू-पोछा जैसे घरेलू काम कर रहे हैं, जबकि उनका वेतन ठेकेदार के माध्यम से दिया जा रहा है. इस गंभीर अनियमितता की नगर प्रशासन ने गंभीरता से दखल ली है. इस मामले में अब प्रत्येक सुपरवाइजर (मुकादम) और स्वास्थ्य निरीक्षक से जवाब-तलब किया जाएगा. जो अधिकारी दोषी पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह स्पष्ट चेतावनी ठोस कचरा विभाग के उपायुक्त संदीप कदम ने दी है. पुणे शहर में फिलहाल 10 हजार से अधिक ठेके पर कार्यरत सफाई कर्मचारी कार्यरत हैं. इनमें से अधिकतर कर्मचारी झाड़ू और सफाई के कार्य में लगे हैं. सूत्रों के अनुसार, करीब 400 से 500 कर्मचारी ऐसे हैं जिन्हें नेताओं ने ठेकेदार के जरिए नियुक्त करवाया है, लेकिन ये कर्मचारी सार्वजनिक सफाई का कार्य न कर नेताओं के घरों में घरेलू सहायक के तौर पर कार्यरत हैं. अजीब बात यह है कि इन कर्मचारियों की ड्यूटी दर्ज करने और काम की निगरानी करने वाले सुपरवाइजर और स्वास्थ्य निरीक्षक जानते हुए भी इनकी उपस्थिति नियमित रूप से दर्ज कर रहे हैं, भले ही वे मैदान में दिखाई न दें, इस कारण ईमानदारी से काम करने वाले कर्मचारियों पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है कभी उनसे अनुपस्थित कर्मचारियों का काम करवाया जाता है, तो कभी नाममात्र की उपस्थिति दिखाकर क्षेत्रों में केवल खानापूर्ति की जाती है, जिससे सफाई व्यवस्था चरमरा गई है प्रशासन ने इस समस्या से निपटने के लिए 15 करोड़ रुपये खर्च कर ‘जिओ- फेंसिंग बेल्ट' योजना शुरू की थी, जिससे कर्मचारी की लोकेशन ट्रैक की जा सके, लेकिन यह भी विफल होती दिख रही है. कई कर्मचारी बेल्ट का उपयोग नहीं कर रहे हैं, कुछ इसे खराब या खो गया बता रहे हैं और अधिकारियों द्वारा इसकी निगरानी भी नहीं की जा रही. जो कर्मचारी ईमानदारी से काम करते हैं, वे बेल्ट का पालन करते हैं, और छुट्टी लेने पर उनका वेतन भी काट लिया जाता है ऐसी शिकायतें सामने आई हैं. जब इस पूरे मामले में घनकचरा विभाग प्रमुख संदीप कदम से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि झाड़ू लगाने के लिए नियुक्त कुछ ठेकेदार के कर्मचारी नेताओं के घरों में काम कर रहे हैं ऐसी शिकायतें मिली हैं. इसके आधार पर सभी मुकादम और स्वास्थ्य निरीक्षकों से रिपोर्ट मंगवाई गई है यदि इन रिपोर्टों में गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित अधिकारी और कर्मचारी, दोनों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
कांट्रेक्टर और उच्च अधिकारियों पर क्या कार्रवाई होगी? एक सफाई कर्मचारी रोज लगभग 50,000 स्क्वेयर क्षेत्र में सफाई करता है, जो मुख्य रूप से सार्वजनिक सड़कों की होती है अब यदि करीब 500 कर्मचारी काम पर न आकर घरों में काम कर रहे हों, तो लाखों स्क्वेयर फीट क्षेत्र बिना सफाई के रह जाता है इसका सीधा प्रभाव शहर की स्वच्छता पर पड़ रहा है. इस पूरे प्रकरण में सिर्फ क्षेत्रीय अधिकारी (वार्ड स्तर पर) ही नहीं, बल्कि ठेकेदार और मॉनिटरिंग करने वाले वरिष्ठ अधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार हैं. सवाल यह है कि क्या अब इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी? यह सवाल अब ईमानदारी से काम करने वाले वास्तविक कर्मचारियों द्वारा लगातार उठाया जा रहा है.