आत्मा की$तीन फैकल्टीज हैं ; मन, बुद्धि और संस्कार

तेरापंथ महिला मंडल, पुणे द्वारा‌‘मातृत्व‌’ विषय पर कार्यशाला में राधा शर्मा ने कहा

    27-Jun-2025
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 कोंढवा, 26 जून (आ. प्र.)


आत्मा की पालना अर्थात्‌‍ सोचने का तरीका, दूसरा सही निर्णय लेने का तरीका और तीसरा श्रेष्ठ संस्कार, यानि आत्मा की तीन फैकल्टीज हैं मन, बुद्धि और संस्कार, ऐसी बातें प्रमुख्य वक्ता राधा शर्मा ने बतायीं. अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में तेरापंथ महिला मंडल पुणे द्वारा एक ‌‘मातृत्व‌’ इस विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया था. इसका विषय ‌‘मातृत्व है एक वरदान, रखना हर हाल में इसका ध्यान‌’ था. इस अवसर पर राधा शर्मा बोल रही थीं. उन्होंने बताया कि, त्रिशला की कोख नहीं होती तो महावीर ना होते. कोख एक मंदिर है, यह धरना ही दिव्य संतान के जन्म का आधार बनती है. प्रोग्राम की शुरुआत तेरापंथ महिला मंडल के द्वारा मंगलाचरण से हुई.

महिला मंडल की अध्यक्ष पुष्पा कटारिया ने सबका स्वागत किया और तेरापंथ महिला मंडल का परिचय दिया. यह संगठन महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए काम करता है. भारत व नेपाल में उनकी 700 से ज्यादा शाखाएं हैं. इनका उद्देश्य महिलाओं को सशक्त बनाना है ताकि वे समाज में सम्मान और आत्म पहचान बना सके. मंत्री पायल धारेवा ने ‌‘मदरहुड जर्नी‌’ के बारे में बताया. पीनू खिंवसरा, रीटा श्यामसुखा, स्नेहा नहार, गरिमा लालानी ने अपने मन की बात कही.

आत्मा की पालना आत्मा को श्रेष्ठ संस्कार कब से मिलने शुरु होते हैं? एक बच्चे को सबसे पहले संस्कार जो मिलते हैं वे मिलते हैं गर्भ के अंदर, इसलिए कहा जाता है गर्भसंस्कार. इसलिए मां का रोल ज्यादा इम्पार्टेंट है. आज का विषय है मातृत्व (गर्भसंस्कार). एक नारी समाज में परिवर्तन ला सकती है, कारण एक नारी ही जन्म देती है और जन्म देते हुए वो उस बच्चे के अंदर संस्कार स्थापित कर सकती है. मां जो सोचती है, कहती है, देखती है, सुनती है, खाती है, जो काम करती है, वही संस्कार बच्चों में आ जाते हैं. मंडल की परामर्शक प्रमिलाजी बरडिया और प्रेमलता सेठिया के साथ पूरा महिला समाज उपस्थित था. रुचि पुगलिया ने सफल संचालन किया और शोभा सुराणा ने आभार व्यक्त किया.