सुप्रीम काेर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई का कहना है कि एक जज अकेले काम नहीं कर सकता है. जज हाेना नाै से पांच की नाैकरी नहीं है. यह राष्ट्र की सेवा है, लेकिन यह एक कठिन काम भी है.सीजेआई गवई छत्रपति संभाजी नगर में बाॅम्बे हाई काेर्ट, औरंगाबाद बेंच की एडवाेकेट यूनियन की तरफ से रखे गए अभिनंदन समाराेह में बाेल रहे थे.सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम काेर्ट काे सभी जजाें के सर्वाेच्च न्यायालय के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश के, इसलिए सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए.सुप्रीम काेर्ट के चीफ जस्टिस बीआर गवई का कहना है कि एक जज अकेले काम नहीं कर सकता है. जज हाेना नाै से पांच की नाैकरी नहीं है. यह राष्ट्र की सेवा है, लेकिन यह एक कठिन काम भी है.
सीजेआई गवई छत्रपति संभाजी नगर में बाॅम्बे हाई काेर्ट, औरंगाबाद बेंच की एडवाेकेट यूनियन की तरफ से रखे गए अभिनंदन समाराेह में बाेल रहे थे.सीजेआई ने कहा कि सुप्रीम काेर्ट काे सभी जजाें के सर्वाेच्च न्यायालय के रूप में काम करना चाहिए, न कि केवल भारत के मुख्य न्यायाधीश के, इसलिए सभी फैसले सर्वसम्मति से लिए जाने चाहिए.उपलब्ध हाेना चाहिए. बाॅम्बे हाई काेर्ट में वर्तमान में मुंबई की मेन बेंच के अलावा गाेवा, औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) और नागपुर में सर्किट बेंच हैं. जस्टिस गवई बाेले- एक जज काे समाज में घुलना-मिलना चाहिए. इससे समाज की समस्याओं व प्रश्नाें काे समझा जा सकता है और न्याय के माध्यम से उनका समाधान किया जा सकता है. सीजेआई ने कहा- जब भी हाईकाेर्ट की काेल्हापुर बेंच की मांग की गई है, मैंने समर्थन किया. औरंगाबाद बेंच का उदाहरण दिया है.
औरंगाबाद बेंच में बाॅम्बे बेंच की तुलना में ज्यादा मामले दायर किए जाते हैं. हर सुनवाई के लिए हर किसी के लिए बाॅम्बे (मुंबई) आना आर्थिक रूप से संभव नहीं है. हर नागरिक काे हर काेने में बिना ज्यादा समय और पैसा खर्च किए न्याय मिलना चाहिए. जस्टिस गवई ने यह भी कहा कि केवल कानून की चाैखट में रहकर न्याय देना संभव नहीं हाेता, सामाजिक पहलुओं का भी ध्यान रखना हाेता है. इसी कारण हम काॅलेजियम के जरिए याेग्यता के आधार पर जजाें की नियुक्ति पर जाेर दे रहे हैं. उम्मीदवार की जाति, धर्म या सामाजिक पृष्ठभूमि चयन के मानदंड नहीं हाे सकते. सीजेआई गवई ने बुधवार काे कहा कि भारत का संविधान सबसे ऊपर है. हमारे लाेकतंत्र के तीनाें अंग (न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका) संविधान के अधीन काम करते हैं. सीजेआई गवई ने कहा कि कुछ लाेग कहते हैं कि संसद सर्वाेच्च है, लेकिन मेरी राय में संविधान सर्वाेपरि है. सीजेआई गवई ने कहा कि संसद के पास संशाेधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे काे बदल नहीं सकती.