राज्य में स्कूलाें में हिंदी अनिवार्य करने के फैसले पर राजनीतिक घमासान मचा हुआ है. शरद पवार ने कहा है कि पहली से चाैथी तक हिंदी अनिवार्य नहीं हाेनी चाहिए, लेकिन आगे हिंदी का हाेना ज़रूरी है.उद्धव और राज ठाकरे के संभावित विराेध प्रदर्शन पर पवार ने कहा कि वे मुंबई लाैटकर इस पर चर्चा करेंगे.यह फैसला महाराष्ट्र के हित में हाेना चाहिए. महाराष्ट्र में भाषा विवाद काे लेकर राजनीतिक उबाल देखने काे मिल रहा है. राज्य सरकार की तरफ से हाल ही में जारी किए गए आदेश की वजह से सारा घमासान मचा हुआ है. इस आदेश में साफ कहा गया है कि स्कूलाें में कक्षा एक से पांचवीं तक हिंदी, मराठी, इंग्लिश पढ़ाया जाना अनिवार्य है. शिवसेना ने सरकार के इस फाॅर्मूले पर आपत्ति दर्ज की है और सरकार के खिलाफ माेर्चा खाेल दिया है.अब इस पूरे मामले पर शरद पवार ने साफ कहा कि हिंदी काे पूरी तरह नजरअंदाज करना सही नहीं है.