भारत के लिए मानवता की सेवा सर्वाेपरि: नरेंद्र माेदी

    29-Jun-2025
Total Views |
 
 

Modi 
 
वीतराग परमात्मा की देशना (उपदेशाें) काे जन-जन तक पहुंचाने वाले जैन मुनि आचार्य विद्यानंद महाराज की जयंती के शताब्दी समाराेह में प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी ने कहा कि भारत के लिए मानवता की सेवा सर्वाेपरि है. आचार्यश्री का जीवन तप-त्याग की मिसाल है और आज भारत अपने संताें व ऋषियाें के अमर विचाराें से आध्यात्मिकता के क्षेत्र में शिखर पर है. समाराेह में ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किए जाने पर पीएम ने जैन समाज का आभार जताते हुए बड़े मन से कहा, मैं इसके याेग्य नहीं हूं, लेकिन संताें से जाे कुछ मिलता है, उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है. इस उपाधि काे मैं मां भारती के चरणाें में समर्पित करता हूजन शासन की धारा काे प्रवाहित करने वाले इस कार्यक्रम में पीएम माेदी ने आचार्य विद्यानंद का डाक टिकट और स्निका जारी किया. इस कार्यक्रम का आयाेजन भगवान महावीर अहिंसा भारती ट्रस्ट की ओर से किया गया था.
 
पीएम ने कहा, आज का दिन इसलिए भी खास है, क्याेंकि 28 जून 1987 काे आचार्य विद्यानंद मुनिराज काे ‘आचार्य’ की उपाधि दी गई थी. यह सिर्फ एक सम्मान नहीं था, बल्कि जैन संस्कृति काे विचाराें, संयम और करुणा से जाेड़ने वाली एक पवित्र धारा भी थी.
जब हम आज उनके जन्म के 100 साल मना रहे हैं, ताे वह ऐतिहासिक पल फिर याद आता है. आचार्य विद्यानंद महाराज का जन्म शताब्दी समाराेह पूरे साल भर चलेगा. इस दाैरान जैन समाज की ओर से देशभर में जगह-जगह कार्यक्रमाें का आयाेजन किया जाएगा. आचार्य विद्यानंद महाराज की सराहना करते हुए पीएम माेदी ने कहा कि प्राकृत भारत की सबसे पुरानी भाषाओं में से एक है. यह भगवान महावीर के उपदेशाें की भाषा है, लेकिन अपनी संस्कृति की उपेक्षा करने वालाें के कारण ये भाषा सामान्य प्रयाेग से बाहर हाेने लगी थी.