लिव-इन के जमाने में ्नया विवाह नाम की संस्था का अंत हाे जाना चाहिये?

    29-Jun-2025
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बात ताे चुभेगी
 
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मेघालय में हाल में हुए हनीमून हत्याकांड के बाद से अचानक ऐसी खबराें की भरमार मीडिया में हाे गई है, जिनमें मानवीय और पारिवारिक रिश्ताें काे लेकर कुछ परंपरागत धारणाएं टूटती दिखाई पड़ रही हैं. खासताैर से अपराध में स्त्रियाें की बढ़ती भूमिका काे रेखांकित किया जा रहा है. साेशल मीडिया पर तथाकथित ‘घातक पत्नियाें’ के मीम्स और मज़ाक की बाढ़ आ गई है. साेनम रघुवंशी और राजा रघुवंशी मामला अभी विवेचना के दायरे में है, इसलिए उस पर टिप्पणी करना उचित नहीं, पर उसके आगेपीछे की खबरें इस बात का संकेत ताे कर ही रही हैं कि हमारे बीच कुछ टूट रहा है.आप पूछेंगे कि क्या टूट रहा है? एक नहीं अनेक चीजें टूट रही हैं. घर-परिवार टूट रहे हैं, रिश्ते टूट रहे हैं, विश्वास टूट रहा है, भावनाएं टूट रही हैं और वर्जनाओं-नैतिकता की सीमाएं टूट रही हैं.
 
इस दाैरान जाे मामले सामने आए हैं उनमें प्रेम, विश्वासघात और मानवीय रिश्ताें के अंधेरे पक्ष काे लेकर सवाल उठे हैं.इन सभी प्रसंगाें से इस बात पर राेशनी पड़ती है कि मानवीय भावनाएं, खास ताैर पर प्रेम और वासना, कितनी जटिल और विनाशकारी हाे सकती हैं. किस हद तक व्यक्ति जुनून और विश्वासघात से प्रेरित हाे सकता है. यह उस अंधेरे काे भी सामने लाता है जाे प्रेमपूर्ण रिश्ताें में माैजूद हाे सकता है और कैसे प्रेम का विनाशकारी रूप सामने आ सकता है.पहले इन सुर्खियाें पर निगाह डालें. एक लिव-इन पार्टनर ने अपनी प्रेमिका की हत्या कर खुद भी आत्महत्या कर ली. दूसरी खबर है, लिव-इन में रह रही युवती की हत्या, प्रेमी फरार. संपत्ति विवाद में पत्नी ने बेटे की मदद से पति काे तकिए से मुंह दबाकर मार डाला. राजस्थान में प्रेमी संग मिलकर पत्नी ने की पति की हत्या. पारिवारिक झगड़े में पति ने अपनी पत्नी काे गाेली मार दी और फिर खुद काे भी गाेली मार ली. एक घटना किसी दूसरी घटना का प्रेरणास्राेत बनती है.
 
तेलंगाना में एक हत्या की जांच से पता लगा कि मेघालय के अंदाज में हत्या की याेजना बनाई गई, जिसमें बाहर से लाए गए हत्याराें की भूमिका हाेती. बाद में इसे टाल दिया और दूसरा रास्ता अपनाया गया.इन सभी घटनाओं की पृष्ठभूमि एक जैसी नहीं है, पर सबमें पति, पत्नी, प्रेमी या प्रेमिका के प्रति विश्वासघात शामिल है.विश्वासघात के भी अलग-अलग कारण और ढंग हैं. इनमें किसी दूसरे प्रेमी या प्रेमिका, संपत्ति, ईर्ष्या या अचानक पैदा हुए आवेश की भूमिका है. हालांकि, हमारे पास इसे साबित करने वाला डेटा नहीं है, पर ऐसा लगता है कि स्त्रियाें के व्यवहार में भी परिवर्तन आ रहा है. वह जीवन के अन्य क्षेत्राें में आगे बढ़ रही हैं, ताे आपराधिक प्रवृत्तियाें में भी शामिल हाेने लगी हैं.स्त्रियाें की परंपरागत छवि में जाे बदलाव आ रहा है, उसमें शायद यह भी एक माेड़ है. बहरहाल, यह सामाजिक रिश्ताें और मानसिक-प्रवृत्तियाें के शाेध का विषय है.
 
पारिवारिक हिंसा समाज-शास्त्रीय, मनाेवैज्ञानिक, फाेरेंसिक और चिकित्सा दृष्टिकाेण से एक प्रमुख सार्वजनिक चिंता का विषय है. हत्या के अपराध, इसकी व्यापकता और इसे अंजाम देने के तरीकाें का अवलाेकन कुछ निष्कर्षाें की ओर ले जाएगा, इसलिए इसकी निवारक रणनीतियाें पर हमें विचार करना चाहिए. विवाह-हत्या सामान्य रूप से हत्याओं का एक प्रासंगिक हिस्सा है. यह अभी तक पश्चिमी समाज की समस्या मानी जाती थी, पर धीरे-धीरे यह हमारे जीवन में भी प्रवेश करेगी. निराशा, शराब का सेवन, मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयां पारिवारिक दुर्व्यवहार के कुछ पूर्वानुमानित कारक हैं, जाे पारिवारिक विघटन, हिंसक व्यवहार और अंततः विवाह-हत्या का कारण बनते हैं.पिछले तीन दशकाें में टीवी सीरियलाें और ओटीटी प्लेटफाॅर्माें पर स्त्रियाें की नकारात्मक छवि का असर भी हमारे जीवन पर है.
 
कुछ धारावाहिकाें में, महिलाओं काे सशक्त और आत्मनिर्भर दिखाया जाता है. कुछ में उन्हें घरेलू हिंसा और उत्पीड़न का शिकार दिखाया जाता है. मजबूत, स्वतंत्र और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने वाली महिला-पात्र, लड़कियाें के आदर्श हाेने चाहिए. ऐसी महिलाएं हमारे बीच हैं भी, पर एय्याश, धाेखेबाज़, क्रूर, साज़िशकार और विवाहेतर संबंधाें में यकीन करने वाले स्त्री पात्राें काे मनाेरंजन माध्यमाें ने भरपूर पराेसा है.यह ज़मीनी-सच भले ही नहीं है, पर इसने सामाजिक-जीवन काे प्रभावित जरूर किया है. ऊपर की घटनाओं में कुछ स्त्रियां अपराधी की भूमिका में नज़र आती हैं, पर हमारे यहां स्त्रियां सबसे ज्यादा अपराधाकी शिकार हाेती हैं. छत्तीसगढ़ से प्राप्त 23 जून की एक खबर है कि पिछले 115 दिनाें में राज्य में 30 महिलाओं की उनके पतियाें ने हत्या कर दी. यानी कि हर चार दिन में एक हत्या.
 
हाल में अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत की यात्रा पर आने वाले अपने नागरिकाें के लिए लेवल-2 की यात्रा चेतावनी जारी की है. इसमें कहा गया है कि ‘बलात्कार अभी भारत में सबसे तेजी से बढ़ते अपराधाें में से एक है. यहां सेक्सुअल असाॅल्ट समेत हिंसक अपराध टूरिस्ट स्पाॅट और दूसरे स्थानाें पर हाेते हैं.’ भारत की सामान्य स्त्री असुरक्षा से पीड़ित रहती है. अत्यधिक असुरक्षा भी कई बार उनसे हत्या जैसा अपराध करवा सकती है. पर अचानक स्त्रियाें की हत्यारी छवि बनने लगी है, जाे खतरनाक बात है.
संभव है कि कुछ स्त्रियां किसी अपराध की साजिश में दिखाई पड़ें, पर यह कम से कम हमारे समाज की आम प्रवृत्ति नहीं है. हमारे समाज में सामाजिक विघटन काे राेकने और परिवाराें काे बचाए और बनाए रखने में स्त्रियाें की सबसे बड़ी भूमिका है.
 
ऐसे अपराध पहले भी हाेते रहे हाेंगे, पर समाचार-मीडिया के विस्तार ने ऐसी समझ के विस्तार में भी भूमिका अदा की है. ऐसी खबराें काे चटपटा माल मानकर उछालने की प्रवृत्ति है. मीडिया की दिलचस्पी इन अपराधाें के पीछे के मानसिक और सांस्कृतिक कारणाें काे खाेजने में नहीं है.बहुत-सी बाताें का जवाब मनाेवैज्ञानिकाें और मनाेचिकित्सकाें के पास हाेगा, पर मीडिया की कितनी दिलचस्पी इसमें है? किसी भी हत्या, आत्महत्या या आक्रमण के पीछे के मनाेवैज्ञानिक-कारणाें की तलाश भी हाेनी चाहिए. अपेक्षाकृत बंद भारतीय समाज में शहरीकरण, स्त्री-शिक्षा और कार्य-क्षेत्र में स्त्रियाें की बढ़ती उपस्थिति के कारण स्त्रीपुरुष संबंधाें में भी बदलाव हुआ है और उसके अंतर्विराेध भी स्पष्ट हैं. शहरीकरण, स्त्री-शिक्षा के विस्तार और मीडिया की भूमिका के समांतर हमारे जीवन में लिवइन रिलेशनशिप और पारिवारिक विघटन की घटनाएं भी बढ़ी हैं.
 
लिव-इन का एक पक्ष नारी-मु्नित से जुड़ा है, ताे दूसरा पक्ष उनके शाेषण से भी जुड़ा है. बेशक गर्लफ्रेंड, ब्वाॅयफ्रेंड संस्कृति बदलते समय के साथ आनी ही आनी है, पर उसके साथ समूचे सांस्कृतिक-माहाैल में परिवर्तन की जरूरत भी है. यह बातें सामाजिक, आर्थिक और व्य्नितगत कारकाें से प्रभावित हाेती हैं और उन्हें प्रभावित भी करती हैं. लिव-इन रिलेशनशिप का अर्थ क्या पारिवारिक विघटन है? क्या विवाह नाम की संस्था का अंत हाे जाना चाहिए? जीवन में बढ़ता अलगाव, तलाक या फिर रिश्ताें में आती दरार बच्चाें के मानसिक विकास काे प्रभावित करती है.पारिवारिक विघटन पूरी सामाजिक संरचना काे प्रभावित करता है और बच्चाें के लिए भावनात्मक और मानसिक समस्याएं पैदा करता है. - प्रमाेद जाेशी