प्रश्न : मैं नाच रहा हूं यहां. मैं जाे कि कभी नाचा नहीं. नाचना ताे दूर, कभी साेचा भी नहीं था कि मैं नाचूंगा. मैं अपने पर ही चकित हूं. पूछता हूं कि यह क्या हाे गया है मुझे?
प्रेम हाे गया है तुम्हें, धर्म हाे गया है तुम्हें. तुम अपने घर की तरफ आने लगे.तुम लाैट पड़े. तुम अपने स्राेत की तरफ चल पड़े. गंगा गंगाेत्री की तरफ बहने लगी है. उलटबांसी हाे गई.जहां से आये थे उस तरफ तुम्हारे पहले कदम पड़ने लगे.और उस तरफ जाे पहले कदम पड़ते हैं, उन्हीं के कारण नाच पैदा हाेता है.परमात्मा से जितने दूर जाते हाे उतना नाच खाेता जाता है. उतना जीवन में उदासी, हताशा, विषाद छाता जाता है. जब तुम बहुत दुख में हाेते हाे ताे समझना कि परमात्मा से बहुत दूर हाेते हाे ऋषियाें ने परमात्मा की व्याख्या की है सच्चिदानंदवह सत है, वह चित है, वह आनंद है.सरहपा कहते हैं, तिलाेपा कहते हैं : वह महासुख है. इसका अर्थ हुआ कि जितने तुम दुख में हाेते हाे उतने उससे दूर हाेते हाे.
तुम्हारे दुख का अनुपात तुम्हारी दूरी का अनुपात है. तुम्हारे दुख की मात्रा तुम्हारी दूरी की सीमा है. जितना कम दुख उतने उसके पास्. जब तुम नाच ही नहीं सकते, जब तुम्हारे भीतर सब रसधार सूख जाती है, जब तुम गा नहीं सकते, जब तुम मस्त नहीं हाे सकते, जब तुम बिलकुल पत्थर जैसे हाे जाते हाे- ताे समझना कि परमात्मा से बहुत दूर पड़ गये.जैसे-जैसे करीब आओगे, वैसेवैसे सुगंध आयेगी उसके ूलाें की; वैसे-वैसे उसकी वीणा का नाद सुनाई पड़ेगा; वैसे-वैसे उसकी थाप मृदंग पर; वैसे-वैसे उसकी बांसुरी के स्वर तुम्हारे कानाें काे छुएंगे. िफर कैसे रुकाेगे? िफर अवश नाचना हाेगा. मस्त हाेना ही हाेगा.परमात्मा करीब आ रहा हाे ताे नाचे बिना काेई उपाय नहीं.
तुम साेचते हाे कि मीरा नाच-नाचकर परमात्मा काे पा गई, ताे तुम गलती में हाे. मीरा जैसे-जैसे परमात्मा काे पाती गई वैसे-वैसे नाच बढ़ता गया. अगर नाचने से काेई साेचता है परमात्मा मिलेगा ताे सब नर्तकियाें काे मिल जाये. लेकिन परमात्मा मिलने से जरूर नाच पैदा हाेता है. यहीं तुम्हें भेद समझ लेना हाेगा. अगर तुमने साेचा नाचने से परमात्मा मिलता है ताे नाचना क्रियाकांड हाे जायेगा. नाचना नहीं, मटकना हाेगा. भीतर ताे काेई नाचेगा नहीं.भीतर ताे सब सन्नाटा रहेगा. भीतर ताे तुम वही के वही रहाेगे जैसे थे. शरीर काे मटका लाेगे, हिला-डुला लाेगे. एक तरह का व्यायाम हाेगा. व्यायाम का जितना लाभ है उतना मिलेगा.लेकिन एक और नाच है- नाच, जाे क्रियाकांड नहीं है; जाे अंतरउमंग है; जाे उल्लास है; जाे उत्सव है.