पता नहीं क्यों, संसार हमेशा से प्रेम के खिलाफ है !

    04-Jun-2025
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Osho 
यह बड़े मजे की बात है कि संसार प्रेम के भी पक्ष में नहीं है. अगर तुम्हारा बेटा किसी युवती के प्रेम में पड़ गया, ताे तुम्हारी पूरी चेष्टा यह हाेगी कि उसे राेकाे. हालांकि तुम विवाह के लिए राजी हाे, लेकिन प्रेम के लिए राजी नहीं हाे. बाप विवाह करने के लिए उत्सुक है. वह कहता है : मैं अच्छी लड़की खाेजे देता हूं. और बड़े मजे की बात है कि जिस लड़की से भी लड़के का प्रेम हाे जाता है, वह अच्छी लड़की कभी हाेती ही नहीं. और जिसकाे भी बाप खाेजता है, वह सदा अच्छी लड़की हाेती है! अच्छी लड़की का मतलब ्नया है? अच्छे लड़के का मतलब ्नया है? अच्छी लड़की और अच्छे लड़के का मतलब है कि हम तुम्हें अनेक के बाहर न जाने देंगे. प्रेम का मतलब है कि अब तुम दाे अपने काे काफी समझाेगे; तुम दुनिया छाेड़ने की बात कराेगे. तुम अपने भीतर अपनी दुनिया बसा लाेगे. तुम अपने भीतर एक दुनिया बन जाना चाहते हाे, तुम दुनिया के प्रतियाेगी हाे जाओगे.
 
नहीं, प्रेम के लिए संसार विराेध में है. न बाप पक्ष में है, न माँ पक्ष में है. कहते वे सब हैं कि हम तुम्हारे हित के लिए हैं, कि लड़की ठीक नहीं है; यह लड़का ठीक नहीं है. हम तुम्हारे हित का साेचते हैं. तुम नासमझ हाे; तुम अनुभवी नहीं हाे; हम अनुभव से साेचते हैं. हर काेई समझाने लगेगा प्रेमी काे कि तू पागल हुआ जा रहा है. कुछ मामला है प्रेम में. समाज विराेध में है. समाज कभी भी प्रेम के पक्ष में नहींरहा. फिर प्रेम की दुनिया है; वहां संवाद है. एक बाेलता है, दूसरा सुनता है. एक शब्द का उपयाेग करता है, ताे दूसरा शून्य हाेकर उसे पीता है. लेकिन दाे माैजूद हैं.मामला यह है कि प्रेमी की वृत्ति हाेती है, कि वह दाे में समझता है, पूरा हाे गया, पर्याप्त हाे गया. वह एक दुनिया बन जाता है अपने भीतर. ताे फिर इस दुनिया की तरफ उपक्षा हाेती है, वह पीठ कर लेता है. अगर तुम दाे प्रेमियाें के घर मिलने जाओ, ताे वे उत्सुकता न लेंगे तुमसे मिलने में.
 
हां पति-पत्नी के पास जाओ, ताे बड़ा स्वागत करते हैं, क्योंकि प्रतीक्षा ही करते हैं : काेई तीसरा आ जाय. क्योंकिदाे के बीच ताे सिर्फ कलह हाेती है, कुछ और हाेता नहीं.पति-पत्नी हमेशा राह देखते हैं कि काेई तीसरा बीच में खड़ा रहे. तीसरे की वजह से थाेड़ी सुविधा हाेती है.मेरे एक मित्र हैं, बड़े कुशल आदमी हैं. खूब पैसा कमाया. ताे मैंने उनसे कहा कि ‘तुमने अब इतना पैसा कमा लिया है कि अब काेई जरूरत नहीं है. अब तुम इस दाैड़ काे बंद कराे. अब तुम पचास के हाे गये. अब यह तुम छाेड़ दाे.’ उन्हाेंने कहा, ‘आप कहते हैं ताे इनकार नहीं करता.छाेड़ दिया.’ और इतना कहते ही उन्हाेंने सब छाेड़ दिया उसी दिन. सब बंद कर दिया काम-धंधा; कहा कि ‘काफी है.
 
अब शांति से रहेंगे.’ पर उन्हाेंने कहा, ‘अब उलझन खड़ी है, आप समझा दें, सुलझा दें, सुलझा दें. अब हम-मैं और मेरी पत्नी ही बचे. बच्चे सब बड़े हाे गये; वे गये.लड़कियां थीं. उन सबका विवाह हाे गया. तीन लड़कियां थीं. अब हम दाेनाें बचे. अब हमें तीसरा सतत चाहिए.आप रुकेंगे? अगर तीसरा न हाे, ताे बस, सिवाय कलह के कुछ हाेता नहीं. तीसरा हाे ताे थाेड़ा हम एक दूसरे की तरफ मुस्कुराते हैं-औपचारिक ही सही, तीसरे काे देख कर सही.अच्छी-अच्छी बातें करते हैं. दाेनाें रह जाते हैं ताे भारी हाेने लगता है.’विवाह में समाज की जरूरत बनी रहती है. प्रेमी कहता है : तुम्हारी अब काेई जरूरत नहीं, हम काफी हैं.इसलिए समाज कभी प्रेम के पक्ष में हाेगा नहीं और जिस दिन हाेगा, उसी दिन तथाकथित समाज नष्ट हाेने लगेगा.