शहर में अवैध कारोबारियों की भरमार, मनपा प्रशासन लाचार

मनपा के अतिक्रमण विभाग के कर्मचारियों के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में तबादला होने के बाद उनके आशीर्वाद से अवैध हॉकर्स (रेहड़ी-ठेले वाले) भी उनके साथ वहीं शिफ्ट हो जाते हैं, जहां उनका सहयोग मिलता है. शहर में ऐसे करीब 7 से 8 हजार अवैध कैरियर कारोबारी हैं. इससे लगता है कि शहर में अवैध कारोबारियों की भरमार है और उन पर अंकुश लगाने में मनपा प्रशासन लाचार है. कुल मिलाकर पुणे मनपा में ‌‘बाड़ ही खा रही खेत" की कहावत चरितार्थ हो रही है.

    06-Jun-2025
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पुणे, 5 जून (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

मनपा के अतिक्रमण विभाग के कर्मचारियों के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में तबादला होने के बाद उनके आशीर्वाद से अवैध हॉकर्स (रेहड़ी-ठेले वाले) भी उनके साथ वहीं शिफ्ट हो जाते हैं, जहां उनका सहयोग मिलता है. शहर में ऐसे करीब 7 से 8 हजार अवैध कैरियर कारोबारी हैं. इससे लगता है कि शहर में अवैध कारोबारियों की भरमार है और उन पर अंकुश लगाने में मनपा प्रशासन लाचार है. कुल मिलाकर पुणे मनपा में ‌‘बाड़ ही खा रही खेत' की कहावत चरितार्थ हो रही है. ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि गैरकानूनी व्यवसायियों के सिर मनपा का (वरदहस्त) हाथ है. माना जा रहा है कि इस स्थिति के लिए मनपा के अतिक्रमण विभाग के साथ ट्रैफिक पुलिस भी उतने ही जिम्मेदार हैं. अतिक्रमण दस्ते के कई लोगों द्वारा कार्रवाई से पहले ‌‘टीपर' के तौर पर काम किये जाने के कारण कार्रवाई के दौरान कुछ ही अवैध कारोबारी मिलते हैं. जैसे ही वरिष्ठ अधिकारियों ने इस गतिविधि पर ध्यान दिया, तब से अतिक्रमण विभाग में जोरदार तबादलों का सिलसिला शुरू हो गया है. शहर में करीब 22 हजार रजिस्टर्ड हॉकर्स (रेहड़ी-ठेले वाले) हैं, वहीं करीब इतनी ही संख्या में अवैध व्यापारी भी हैं. शहर के बाजारों और उपनगरों की मुख्य सड़कों पर अवैध कारोबारियों ने पैर पसार लिए हैं. इसी तरह, बिल्डिंगों के सामने वाले पार्किंग स्थलों पर होटलों और अन्य व्यवसायियों द्वारा अतिक्रमण किए जाने से सड़क किनारे अवैध पार्किंग शुरू हो गई है. पार्किंग की सुविधा के अभाव में न केवल होटल, बल्कि बार भी बेखौफ कारोबार कर रहे हैं. सड़क और फुटपाथ पर इन व्यवसायियों का कब्जा होने के कारण ट्रैफिक जाम होना आम बात हो गई है. हालांकि ऐसा लगता है कि इसके लिए ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ मनपा का अतिक्रमण विभाग भी बराबर का जिम्मेदार है. शहर की लगभग सभी सड़कों पर सीसीटीवी सिस्टम और हर पुलिस स्टेशन, पुलिस कमिश्नरेट और मनपा भवन पर सीसीटीवी मॉनिटरिंग सिस्टम होने के बावजूद अतिक्रमण का यह धंधा सालों से चल रहा है. मंत्रियों द्वारा अतिक्रमण कार्रवाई को लेकर सख्त आदेश दिए जाने के बाद भी सड़कों को अतिक्रमण से मुक्त नहीं किया जा रहा है और ऐसा लगता है कि इसके पीछे बड़ा फाइनेंशियल मैथेमेटिक्स (आर्थिक गणित) है. देखने में आ रहा है कि अतिक्रमण रोकने की जिम्मेदारी जिन पर है, वे ही अतिक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं. इस संबंध में वरिष्ठ अधिकारियों को बड़ी संख्या में शिकायतें मिली हैं. मुख्य रूप से मनपा के अतिक्रमण विभाग के अधिकारी और कर्मचारी अनाधिकृत व्यापारियों को संरक्षण देते हैं. इसके लिए हफ्तेबाजी (निर्धारित दिनों के लिए पैसे देने) की बात होती है. इस के कारण वैध लाइसेंसधारी व्यापारियों को नुकसान उठाना पड़ता है. अक्सर ऐसा होता है कि जब किसी इंस्पेक्टर का तबादला दूसरे वार्ड में हो जाता है, तो उसके आशीर्वाद से उससे संबंधित व्यापारी भी उसके अधिकार वाले क्षेत्र में शिफ्ट हो जाते हैं. नाम न छापने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया कि शहर में इस समय करीब सात से आठ हजार ऐसे व्यापारी हैं.  
 
निरीक्षकों का हर तीन महीने बाद होगा तबादला : खलाटे

मनपा के अतिक्रमण विभाग प्रमुख संदीप खलाटे ने कहा कि मनपा आयुक्त ने लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे हुए अतिक्रमण निरीक्षकों और कर्मियों के तबादलों को लेकर मिली शिकायतों को गंभीरता से लिया है. उनका हर तीन महीने बाद तबादला करने का निर्णय लिया गया है. उनके निर्देशानुसार बड़ी संख्या में निरीक्षकों और संबंधित कर्मियों का तबादला किया गया है. यह प्रक्रिया भविष्य में भी जारी रहेगी. भविष्य में अवैध कारोबारियों के खिलाफ अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई की गति बढ़ेगी.