मैं तुमसे कहता हूं, यह घाेषणा करता हूं कि प्रेम पुण्य है. लेकिन मुझे गलत मत समझ लेना. जब मैं प्रेम काे पुण्य कहता हूं ताे मैं यह नहीं कह रहा हूं कि बस प्रेम पर रुक जाना है. जब मैं प्रेम काे पुण्य कह रहा हूं ताे र्सिफ यह कह रहा हूं कि प्रेम में साेना छिपा है. कचरा भी है. लेकिन जाे कचरा है, वह प्रेम नहीं है. वह विजातीय है. वह साेना नहीं है. कूड़ा-करकट हाेगा, मिट्टी हाेगी, कुछ और हाेगा. विरह की अग्नि से गुजाराे इसे. और तुम धीरे-धीरे पाओगे कि तुम्हारे हाथाें में प्रार्थना का पक्षी लग गया है, जिसके पंख हैं, जाे आकाश में उड़ सकता है. जाे इतना हल्का है! क्याेंकि सारा बाेझ कट गया, सारी व्यर्थता गिर गई. जिस दिन तुम प्रार्थना काे अनुभव कर पाओगे, उस दिन तुम धन्यवाद दाेगे अपने सारे प्रेम के संबंधाें काे, क्याेंकि उनके बिना तुम प्रार्थना तक कभी नहीं आ सकते थे.
तुम धन्यवाद दाेगे प्रेम के सारे कष्टाें काे, सुखाें काे, मिठास के अनुभव और कडुवाहट के अनुभव; जहर और अमृत, प्रेम ने दाेनाें दिए, उन दाेनाें काे तुम धन्यवाद दाेगे. क्याेंकि जहर ने भी तुम्हें निखारा और अमृत ने भी तुम्हें सम्हाला और यह घडी अंतिम आ सकी साैभाग्य की कि प्रेम प्रार्थना बना.प्रेम जब प्रार्थना बनता है ताे परमात्मा के द्वार खुलते हैं. प्रेम पाप नहीं है. और किसी बुद्धपुरुष ने प्रेम काे पाप कहा है.लेकिन लाेग कुछ का कुछ समझे हैं. पंडिताें- पुजारियाें ने कहा है. पंडित-पुजारियाें की समझ ही क्या है? उनका अनुभव क्या है? ताेताें की तरह शास्त्राें काे रटे हुए बैठे हैं. हां, उनसे रामायण कहलवा लाे, कि उनसे गीता दाेहरवा लाे, कि वे कुरान का पूरा पाठ कर दें. मगर बस ताेताें की तरह, मशीनाें की तरह्. यह काम ताे मशीनें कर सकती हैं. अब ताे कंम्प्यूटर पैदा हाे गए हैं, ये सारी बातें कंप्यूटर कर सकते हैं.
और आदमी से ज्यादा शुद्ध, आदमी से ज्यादा भूलचूक-मुक्त. बुद्धाें ने कुछ कहा, पंडित कुछ समझे. और यह स्वाभाविक है एक अर्थ में, क्याेंकि बुद्ध अपनी ऊंचाई से बाेलते हैं और पंडित-पुराेहित अपनी नीचाई से समझते हैं. बुद्धपुकारते हैं पर्वत-शिखराें से और पंडित-पुराेहित अंधेरी घाटियाें में सरक रहे हैं. और वही से उन्हें जाे सुनाई पड़ता है, उसका वे अर्थ बिठाते हैं, उसकी व्याख्या करते हैं. उन्हाेंने सब गुड़-गाेबर कर दिया.मुल्ला नसरुद्दीन पुलिस ऑिफस गया. पुलिस अफसर ने पूछा, बड़े मियां, तुम्हारे पास क्या सुबूत है कि तुम्हारी बीबी पागल हाे गई है? काेई डाॅक्टर की रिपाेर्ट, या.
मुल्ला नसरुद्दीन ने बात काटते हुए कहा, यह सब कुछ मैं नहीं जानता साहब, किंतु जाे कुछ मैं कह रहा हूं वह साै प्रतिशत सच है. आज शाम मैं आिफस से घर लाैटा ताे उसने मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया, बड़े प्यार से चाय की प्याली पेश की-हालांकि आज पहली तारीख नहीं है. लाेगाें के अपने समझने के ढंग है.मुल्ला नसरुद्दीन हाेटल से बाहर निकल रहा है और हाेटल के बैरा ने कहा, बड़े मियां, टिप में र्सिफ अठन्नी! आप मेरा अपमान कर रहे हैं. कम से कम एक रुपया ताे हाेना ही चाहिए. मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा, क्षमा करना भाई, एक अठन्नी और देकर मैं दुबारा तुम्हारा अपमान नहीं करना चाहता. लाेगाें की अपनी समझ है, अपनी व्याख्या है. बुद्धपुरुष कुछ कहते हैं, बुद्ध कुछ समझते हैं. किसी बुद्धपुरुष ने नहीं कहा कि प्रेम पाप है. जीसस ने कहा है: प्रेम परमात्मा है. बुद्ध ने कहा है: प्रेम ध्यान की परिणति है. महावीर ने कहा है: प्रेम समाधि की आत्यंतिक अनुभूति है. नारद से पूछाे.