संपत्ति की खरीद-बिक्री केवल मौखिक सहमति पर नहीं हो सकती. यह एक कानूनी प्रक्रिया है, जिसमें खरीदी खत या सेल डीड (Sale Deed) सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है. यह दस्तावेज न केवल संपत्ति के स्वामित्व को वैध बनाता है, बल्कि भविष्य में किसी भी विवाद या धोखाधड़ी से सुरक्षा भी प्रदान करता है. यह जानकारी वरिष्ठ एड.बी.एस.धापटे ने ‘दै.आज का आनंद' से बातचीत में दी. प्रस्तुत है उनकी बातचीत के प्रमुख अंश
प्रश्न : खरीदी खत (सेल डीड) क्या है और इसका क्या महत्व है?
उत्तर : सेल डीड एक कानूनी दस्तावेज होता है, जिसे विक्रेता संपत्ति की बिक्री के लिए तैयार करता है और खरीदार को देता है. इसमें संपत्ति का विवरण, बिक्री मूल्य, दोनों पक्षों की जानकारी, शर्तें और पूर्व स्वामित्व जैसी जानकारी शामिल होती है. जब सेल डीड का रजिस्ट्रेशन हो जाता है, तभी संपत्ति कानूनी रूप से खरीदार के नाम पर स्थानांतरित होती है| इसलिए खरीदीखत संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है.
प्रश्न : सेल डीड के पंजीकरण के लिए किन दस्तावेजों की आवश्यकता होती है?
उत्तर : सेल डीड के पंजीकरण के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की आवश्यकता होती हैं उनमें खरीदी और बिक्री का मसौदा (ड्राफ्ट सेल डीड), दोनों पक्षों का आधार कार्ड और पैनकार्ड, संपत्ति का 7/12 उतारा या प्रॉपर्टी कार्ड, मूल स्वामित्व संबंधी दस्तावेज,यदि शहर क्षेत्र में हैं तो बिल्डर की अनुमति व स्वीकृत नक्शा, बैंक से ऋण लिया हो तो एनओसी (एनओसी) शामिल हैं. इसके साथ ही स्टांप ड्यूटी और पंजीकरण शुल्क भुगतान की रसीद तथा दो गवाहों के पहचान पत्र आवश्यक होते हैं.
प्रश्न : संपत्ति खरीदते समय सामान्यतः कौन-कौन सी समस्याएं आती हैं?
उत्तर : संपत्ति खरीदते समय जो समस्याएं आती हैं उसके प्रमुख कारण स्वामित्व स्पष्ट न होना या पूर्व दस्तावेजों का अपूर्ण होना,विक्रय से पहले की कोई बंधक/दावा (Encumbrance) स्पष्ट रूप से न बताना, फ्लैट या जमीन पर कोई कानूनी विवाद होना,अधूरी परियोजना या गैरकानूनी निर्माण से बिक्री करना, सेल डीड का रजिस्ट्रेशन न करवाकर केवल करारनामे पर निर्भर रहना और वकील से उचित सलाह न लेना भी परेशानी का कारण बनता है.
प्रश्न : सेल डीड करते समय किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए?
उत्तर : सेल डीड करते समय स्वामित्व के दस्तावेज पिछले 30 वर्षों तक जांचें, 7/12, प्रॉपर्टी कार्ड या Index II में नाम और माप की जांच करें,निर्माण की अनुमति, एनओसी और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देखें, यह जांचें कि विक्रेता संपत्ति बेचने का अधिकार रखता है या नहीं, टैक्स और अन्य बकाया बिल (प्रॉपर्टी टैक्स, जलकर) लंबित न हों यह सुनिश्चित करें और वकील की सलाह लेकर ही सेल डीड को अंतिम रूप दें. इसके साथ ही गवाहों का चयन सावधानीपूर्वक करें, क्योंकि उनका नाम भी रजिस्ट्रेशन में आता है.
प्रश्न : सेल डीड रजिस्ट्रेशन के बाद क्या-क्या करना आवश्यक होता है?
उत्तर : सेल डीड रजिस्ट्रेशन के बाद निम्नलिखित कार्य आवश्यक होते हैं. Index II की प्रति के साथ खरीदीखत को स्थानीय राजस्व कार्यालय में दर्ज कराकर प्रॉपर्टी कार्ड/7/12 में नाम चढ़वाना, मनपा, नगरपालिका/परिषद में प्रॉपर्टी टैक्स रजिस्टर में नाम परिवर्तन करवाना होता है. इसके साथ ही सोसायटी/ बिल्डर के पास नए खरीदार के रूप में सदस्यता दर्ज करवाना भी आवश्यक होता है. इसके अलावा स्टांप शुल्क और रजिस्ट्रेशन शुल्क की रसीद को सुरक्षित रखना और सभी दस्तावेजों की डिजिटल और हार्डकॉपी व्यवस्थित तरीके से सुरक्षित रखना आवश्यक होता है.