जीवनशैली की हमारी आदतें बीमारियाें काे आमंत्रण हैं.व्नत-बेव्नत खाना, साेने-उठने में नियम का पालन नहीं करना, अंतिम समय तक किसी काम के लिए इंतजार न सिर्फ रूप से दबाव डालता है, बल्कि शारीरिक रूप से इसके दूरगामी परिणाम सामने आते हैं. काैन-सी आदतें शरीर के लिए हैं घातक जानें.नींद से समझाैता इसे लत कहें या मजबूरी, लेकिन देर रात साेशल मीडिया पर ऑनलाइन रहने, गैजेट्स से चिपके रहने या किसी अन्य कारण के चलते भी नींद से समझाैता किया जा रहा है. जितनी जरूरी पर्याप्त यानी आठ घंटे की नींद है, उतना ही जरूरी समय पर साेकर उठना है.पर्याप्त नींद नहीं हाेने के कारण अनिद्रा, थकान ही नहीं हाेती, बल्कि यह दिल की बीमारियाें काे भी आमंत्रण देता है.
लगातार अच्छी नींद के अभाव में माेटापे के साथ मधुमेह और हृदय राेगाें की भी आशंका कई गुना बढ़ जाती है.नाश्ता नहीं करना अधिकांश भारतीय नाश्ता करने के बजाय सीधे दाेपहर का भाेजन करते हैं. कई लाेगाें काे सुबह सिर्फ खाली पेट चाय पीने की आदत हाेती है. नाश्ता नहीं करने से उच्च र्नतचाप, काेलेस्ट्राॅल की अधिक मात्रा (हानिकारक काेलेस्ट्राॅल) व एसिडिटी की शिकायत हाे सकती है. नाश्ता नहीं करने के कारण दाेपहर में ज्यादा भूख लगती है और इससे वजन बढ़ने की आशंका भी बढ़ जाती है. विभिन्न अध्ययनाें में सामने आया है कि नाश्ता नहीं करने वाले लाेग कई गंभीर बीमारियाें के शिकार हाे सकते हैं. इसमें हृदय सम्बंधी बीमारी प्रमुख है.
खाने का मेन्यू गड़बड़ाना सिर्फ स्वादलाेलुपता के लिए बाहर का तला-भुना और फास्ट फूड नुकसान करता है. फास्ट फूड में केवल कैलाेरी हाेती है, काेई पाेषक तत्व इनमें नहीं हाेते हैं. फास्ट फूड के चलते ही उच्च र्नतचाप और मधुमेह की समस्या बढ़ रही है. बहुत सारे फास्ट फूड में माेनाेसाेडियम ग्लूटामेट हाेता है. स्वाद बढ़ाने के लिए इसका इस्तेमाल नुकसान करता है. साेडियम की अधिक मात्रा के चलते मेटाबाॅलिक सिंड्राेम की आशंका बढ़ती है.हर काम आखिरी व्नत में करना नुकसानदायक : अंतिम क्षण टिकट आरक्षण हाे या खरीदारी, इससे न सिर्फ आर्थिक परेशानी उठानी पड़ती है.