मन की चाैथी अवस्था में जागरूक रहने का सफल प्रयाेग

    01-Jul-2025
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Osho 
एक व्यक्ति ने, एक बड़े असाधारण याेगी ने, अब इसे वैज्ञानिक ढंग से प्रमाणित कर दिया है उसका नाम है स्वामी राम. सन उन्नीस साै सत्तर में में त्रिनगर इंस्टीट्यूट की प्रयाेगशाला में उसने वैज्ञानिकाें से कहा कि वह मन की चाैथी अवस्था में जाएगा.संकल्पपूर्वक लाेगाें ने कहा, ‘यह असंभव है, क्याेंकि चाैथी अवस्था केवल तभी हाेती है जब तुम गहरी नींद में हाेते हाे और संकल्प काम नहीं करता और तुम सजग नहीं हाेते’ लेकिन स्वामी राम ने कहा, ‘मैं करके दिखाऊंगा’ वैज्ञानिक विश्वास करने के लिए राजी न थे, वे शंका से भरे थे, लेकिन फिर भी उन्हाेंने प्रयाेग करके देखा.स्वामी राम ने ध्यान करना आरंभ किया धीरे-धीरे, कुछ मिनटाें के भीतर ही वह करीब-करीब साे गया.
 
ई जीफ रेकाॅडर्स ने, जाे उसके मन की तरंगाें काे अंकित कर रहे थे, दिखाया कि वह चाैथी अवस्था में था, मन की क्रिया करीब-करीब रुक गई थी फिर भी वैज्ञानिकाें काे भराेसा न आया, क्याेंकि शायद वह साे गया हाे, तब ताे कुछ सिद्ध हुआ नहीं. असली बात यह है कि वह सजग है या नहीं. फिर स्वामी राम वापस लाैट आए अपने ध्यान से, और उसने सारी बातचीत जाे उसके आसपास चल रही थी, वह सब बतलाई और उनसे ज्यादा अच्छी तरह बतलाई जाे पूरी तरह जागे हुए थे.किसी वैज्ञानिक प्रयाेगशाला में पहली बार कृष्ण के प्रसिद्ध वचन प्रमाणित हुए कृष्ण गीता में कहते हैं, ‘या निशा सर्वभूतायाम तस्याम जागर्ति संयमीजाे सब के लिए गहरी निद्रा है, याेगी वहां भी जागा रहता है.’
 
पहली बार यह बातवैज्ञानिक सिद्धांत की भांति प्रमाणित हुई गहरी नींद में हाेना और सजग हाेना संभव है, क्याेंकि नींद घटित हाेती है शरीर में, नींद घटित हाेती है मन में, लेकिन साक्षी आत्मा कभी साेती नहीं. जब तुम शरीरमन की यांत्रिक व्यवस्था के साथ तादात्म्य हटा लेते हाे, जब तुम सक्षम हाे जाते हाे देखने में कि शरीर में, मन में क्या चलता है, ताे तुम साेते नहीं : शरीर साे जाएगा, तुम सजग बने रहाेगे. तुम्हारे भीतर कहीं गहरे में काेई केंद्र पूरी तरह जागा रहेगा. अब, यह प्रश्न कि ‘कई बार आपके प्रवचनाें के दाैरान मैं अपनी आंखें खुली नहीं रख पाता.मत काेशिश कराे उन्हें खुली रखने की.
 
यदि तुम किसी गहरी लय में उतर रहे हाे ताे डूबाे उसमें क्याेंकि जब तुम मुझे सुन रहे हाे, तब यदि तुम एकाग्र हाेने की काेशिश करते हाे, ताे तुम पहली अवस्था में रहाेगे, ‘बीटा’ में रहाेगे, क्याेंकि मन सक्रिय रहता है उसकी चिंता मत लेना जाे मैं कह रहा हूं वह इतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना तुम्हारा स्वयं में गहरे डूबना महत्वपूर्ण है असल में जाे मैं कह रहा हूं वह तुम्हें अपने अंतस में ज्यादा गहरे उतरने की तैयारी ही है ताे यदि तुम कुछ सुनने में चूक जाते हाे ताे चिंता मत लेना तुम बाद में टेप से सुन सकते हाे और यदि तुम उसे न भी सुनाे, ताे कुछ अंतर नहीं पड़ता.यदि आंखें बंद हाेती हाें, ताे बंद हाे जाने देना. केवल एक बात याद रखनी है : वह यह है कि सजग रहना. आंखाें काे बंद हाे जाने देना, असल में और ज्यादा सजग हाे जाना, क्याेंकि जितने ज्यादा तुम गहरे उतरते हाे मन में, उतनी ज्यादा सजगता की जरूरत हाेगी.