राजस्थान के बांसवाडा में बाल विवाह अब बमुश्किल हाे पाएंगे

    01-Jul-2025
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RJ 
दक्षिणी राजस्थान के आदिवासी बहुल बांसवाड़ा जिले में अब काेई भी गुप्त बाल विवाह नहीं हाेगा, क्याेंकि जिला प्रशासन ने किसी भी रिपाेर्ट या आसन्न मामले के लिए न्यायालय से निषेधाज्ञा प्राप्त करने की प्रक्रिया काे अनिवार्य बना दिया है.कानून के हस्तक्षेप और प्रवर्तन के लिए कदमाें की रूपरेखा तैयार करने वाली एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) भी जारी की गई है.बांसवाड़ा जिले में 70% से ज़्यादा आबादी आदिवासी समुदायाें की है, इसलिए बाल विवाह की दर सबसे ज़्यादा है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार, बांसवाड़ा में बाल विवाह की दर 25% थी, जाे राष्ट्रीय औसत 23.3% से ज़्यादा थी.
 
अनिवार्य निषेधाज्ञा आदेश इस स्थिति काे बदलने और बाल विवाह के गुप्त आयाेजन काे लगभग असंभव बनाने के लिए तैयार हैं. बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 की धारा 13(1) के तहत न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा जारी किया गया निषेधाज्ञा आदेश अधिकारियाें काे बाल विवाह काे सक्रिय रूप से राेकने का अधिकार देता है.बांसवाड़ा कलेक्टर इंद्रजीत यादव ने हाल ही में एसओपी जारी करते हुए कहा कि अदालत का निषेधाज्ञा आदेश एक बाध्यकारी कानूनी निर्देश है और इसका उल्लंघन एक आपराधिक अपराध है. एसओपी का उद्देश्य न केवल बाल विवाह काे माैके पर राेकना है, बल्कि बाद में उन्हें गुप्त रूप से आयाेजित हाेने से राेकना भी है.