विवाह एक सामाजिक और कानूनी बंधन है जो पारस्परिक वेिशास, पारदर्शिता और मानसिक, भावनात्मक व शारीरिक क्षमताओं पर आधारित होता है. लेकिन यदि विवाह के बाद यह सामने आता है कि पत्नी मानसिक दृष्टि से असमर्थ है, और यह जानकारी विवाह के समय जानबूझकर छिपाई गई थी, तो पति को भारतीय कानून, विशेष रूप से हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के अंतर्गत कुछ विशिष्ट कानूनी अधिकार मिलते हैं. इस बारे में एड्. बी.एस.धापटे ने दै. आज का आनंद से बातचीत में कानूनी सलाह दी है. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश -
प्रश्न: यदि पत्नी या उसके परिवार ने उसकी मानसिक स्थिति विवाह के समय छुपाई हो, तो क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
उत्तर: - यदि विवाह के बाद पति को यह ज्ञात होता है कि पत्नी मानसिक दृष्टि से असमर्थ है, तो हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 12(1)(b) के अंतर्गत उसे विवाह को रद्द करवाने का कानूनी अधिकार प्राप्त है. यदि विवाह के समय पत्नी किसी गंभीर मानसिक विकार से ग्रसित थी और वैवाहिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर सकती थी, तो यह विवाह रद्द करने योग्य माना जाएगा. इसके लिए पति को अदालत में मेडिकल रिपोर्ट्स, मानसिक रोग विशेषज्ञ की राय, और गवाहों के साक्ष्य जैसे प्रमाण प्रस्तुत करने होते हैं.
प्रश्न-यदि पत्नी या उसके परिवार ने उसकी मानसिक स्थिति विवाह के समय छुपाई हो, तो क्या कानूनी कार्रवाई की जा सकती है?
उत्तर:- यदि यह साबित हो जाए कि पत्नी की मानसिक असमर्थता को विवाह के समय जानबूझकर छिपाया गया था, तो पति धारा 12(1)() के तहत फ्रॉड (छल या धोखा) के आधार पर विवाह को रद्द करने की याचिका दाखिल कर सकता है. विवाह एक पारदर्शी और वेिशासपूर्ण संबंध होना चाहिए. यदि ऐसी कोई महत्त्वपूर्ण जानकारी छुपाई गई हो, तो यह धोखाधड़ी मानी जाती है और कानूनी रूप से गंभीर अपराध बनता है. प्रश्न-यदि पत्नी लंबे समय से मानसिक रोग से ग्रसित है, तो पति किस आधार पर तलाक ले सकता है? उत्तर-यदि पत्नी लंबे समय से किसी गंभीर मानसिक बीमारी से ग्रसित है और पति के लिए उसके साथ रहना अत्यंत कठिन हो गया है, तो वह धारा 13(1) (iii) के अंतर्गत तलाक की अर्जी दे सकता है. यह धारा तब लागू होती है जब पत्नी को ऐसा मानसिक रोग हो जो ठीक होने की संभावना न रखता हो या जो वैवाहिक जीवन को असंभव बना देता हो.
प्रश्न: ऐसे मामलों में पति को कोर्ट में कौन-कौन से सबूत देने होते हैं?
उत्तर- कोर्ट में याचिका को सफल बनाने के लिए पति को ठोस और वेिशसनीय सबूत देने होते हैं, जैसे पत्नी की मानसिक स्थिति से संबंधित मेडिकल रिपोर्ट, मानसिक रोग विशेषज्ञ की राय, परिवार या पड़ोसियों की गवाही, तथा पत्नी के रोजमर्रा के व्यवहार के उदाहरण. ये सब प्रमाण विवाह के समय और बाद की वास्तविक स्थिति को साबित करने में सहायक होते हैं. प्रश्न: यदि पत्नी मानसिक दृष्टि से असमर्थ है, तो पति को कौन-कौन से कानूनी अधिकार मिलते हैं? उत्तर-ऐसी स्थिति में पति को कई कानूनी अधिकार मिलते हैं, जैसे 1-विवाह रद्द करने की याचिका दायर करना (धारा 12) 2-छल या धोखाधड़ी के आधार पर विवाह रद्द करना (धारा 12(1)(c)) 3-लंबे मानसिक रोग के आधार पर तलाक की अर्जी देना (धारा 13(1) (iii)) इसके अतिरिक्त, वह फैमिली कोर्ट में सीधा आवेदन, मेडिकल जांच की मांग, और वैवाहिक संबंधों से कानूनी रूप से मुक्ति पाने की प्रक्रिया भी शुरू कर सकता है.