नई राह पर कदम बढ़ाने से ही जीवन में विकास हाेता है

    15-Jul-2025
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Osho 
प्रश्न: आपकाे पढ़ना शुरू किया है और आपकी बातें मुझे झकझाेर रही हैं. यदि मैं ईमानदारी से वह सब करती हूं जाे आप कहते हैं, ताे मुझे बहुत कुछ ऐसा बदलना पड़ेगा जाे अब तक मेरे जीवन का हिस्सा रहा है. इसमें एक भय भी लगता है. क्या करूं? नये का सदा ही भय लगता है.परिचित दुखद भी हाे ताे भी परिचित है, भय नहीं लगता. ज्ञात आनंद न भी दे रहा हाे ताे भी सुरक्षा मालूम हाेती है; जाना-माना है. अनजान में उतरना, अपरिचित में उतरना...भय बिलकुल स्वाभाविक है. इसलिए भय की समस्या न बनाओ.जब भी काेई व्यक्ति किसी नये मार्ग पर कदम बढ़ाता है ताे झिझकता है. लेकिन नये पर कदम बढ़ाने से ही जीवन में विकास है. ताे पुराने वर्तुल में ही घूमता रहता है, काेल्हू का बैल हाे जाता है. सदा विचारणीय यह है कि जिस ढंग से मैं जी रहा हूं उस ढंग से जीने में आनंद उपलब्ध हाे रहा है?
 
अगर नहीं हाे रहा है उपलब्ध जाे जाेखिम उठानी चाहिए. नये रास्ते, नयी जीवन की पद्धति, नयी खाेज करनी ही हाेगी. इतना ताे तय है कि तुम्हारे पास खाेने काे कुछ भी नहीं है.पुराने जीवन से आनंद ताे मिला नही; मिल जाता ताे नये की काेई जरूरत भी न थी. पुराना ताे व्यर्थ हाे गया, एक बात निश्चित है; नया सार्थक भी निकल सकता है, व्यर्थ भी निकल सकता है. मगर नये में कम-से-कम एक संभवना है सार्थक हाेने की. पुराना ताे निचुड़ चुकाः उसे ताे देख लिया, समझ लिया, जी लिया, नहीं कुछ पाया. जैसे काेई रेत से तेल निचाेड़ता रहा हाे... अब कब तक रेत के साथ सिर मारना है? मैं नहीं कहता कि नये से आनंद मिल ही जायेगाः क्याेंकि आनंद मार्ग पर कम निर्भर हाेता है, मार्गी पर ज्यादा निर्भर हाेता है; पथ पर कम निर्भर हाेता है, पथिक पर ज्यादा निर्भर हाेता है.
 
इसलिए असली बदलाहट पथ की नहीं हाेती, असली बदलाहट ताे पथिक की हाेती है. मगर पथ की बदलाहट से शुरुआत हाेती है. तुम बाहर हाे, इसलिए बाहर से ही रूपांतरण शुरू करना हाेगा. बाहर काे बदलने की हिम्मत जुटाओ ताे भीतर बदलने की हिम्मत भी सघन हाेगी. और अगर थाेड़ी बूंदें पड़ने लगीं आनंद की, ताे उमंग और उत्साह से नये का अन्वेषण शुरू हाे जायेगा. मगर एक बात ताे तय है कि तुम्हारे पास खाेने काे कुछ भी नहीं है.इसलिये व्यर्थ चिंता मत लाे. मिला क्या हे पुराने काे पकड़े रखने से? ताे खाे भी कुछ न जायेगा. और जब खाेने काे कुछ नहीं है ताे डर क्या है? या ताे कुछ मिलेगा; ज्यादा से ज्यादा यही हाेगा कि नये से भी नहीं मिलेगा. ताे िफर और नये काे खाेजेंगे.