मेघालय में चेरापूंजी की धुंध से ढकी पहाडियाें में एक दूसरे से कानाफूसी करते बादलाें और यहां की लाल धरती पर वर्षा की मधुर कविता के बीच एक शांत क्रांति इन दिनाें पनप रही है. वह है यहां के खूबसूरत ‘जंगलीपन’ से युक्त, बारिश के पानी से बनी ‘जिन’ की एक बाेतल जिसने शराब की दुनिया काे हैरान कर दिया है.राज्य की रेनचेक अर्थ कंपनी की ओर से तैयार ‘चेरापूंजी ईस्टर्न क्राफ्ट जिन’ ने कैलिफाेर्निया में आयाेजित 2025 स्पिरिट्स इंटरनेशनल प्रेस्टीज (एसआईपी) पुरस्काराें में प्रतिष्ठित डबल गाेल्ड मेडल जीतकर देश का मान बढ़ाया है. इस जीत काे सिर्फ पदक ही नहीं बल्कि बाेतल के पीछे की कहानी भी ख़ास बनाती है. इस ‘जिन’ के मूल में ‘बारिश का पानी’ है और यह काेई भी बारिश का पानी नहीं बल्कि चेरापूंजी की प्रसिद्ध मूसलाधार बारिश का पानी है जाे धरती के सबसे नम इलाकाें में से एक है.
इस जिन काे बारिश के पानी से तैयार किया जाता है जाे इस क्षेत्र की पारिस्थितिक विशिष्टता और इसके नाज़ुक पर्यावरण कप्रति सम्मान काे दर्शाता है. यही ‘पानी’ जिन का आधार है जिसे खासी मंदारिन, हिमालयन जुनिपर, स्माेक्ड इलायची, यहां तक कि स्माेक्ड चाय जैसी दर्जन वनस्पतियाें के मिश्रण से तैयार किया जाता है.ये सभी स्थानीय उपज हैं, जिसमें पूर्वाे त्तर की ज़मीन की सुगंध हाेती है. रेनचेक अर्थ कंपनी के संस्थापक मयूख हज़ारिका कहते हैं यह पुरस्कार विशेष रूप से सार्थक है क्याेंकि यह उन लाेगाें ने दिया है जाे वास्तविक जीवन में शराब का आनंद लेते हैं. हम सिर्फ एक और जिन नहीं बनाना चाहते थे. हम खास जगह, वहां की अनुभूति और वहां की बारिश यानि चेरापूंजी का सार काे एक बाेतल में भरना चाहते थे.