चंद्रपुर के 14 विवादग्रस्त गांवाें काे महाराष्ट्र में शामिल किया जायेगा, इस महत्वपुर्ण निर्णय की घाेषणा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुधवार काे एक उच्च स्तरीय बैठक में की गयी. उन्हाेंने कहा - इन गावाें काे लेकर महाराष्ट्र और तेलंगाना में 1989 से विवाद है. तेलंगाना इन्हें अपने राज्य में हाेने का दावा कर रहा है. जबकि विकासकार्य महाराष्ट्र सरकार ने किए है.हमने जाे दावा किया है, वह उचित और मजबूत है, ऐसा सीएम ने स्पष्ट किया.दशकाें पुराने अंतर-राज्यीय सीमा विवाद काे सुलझाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने राज्य के अधिकारियाें काे चंद्रपुर की जिवती तहसील के 14 विवादित गांवाें काे राज्य के अधिकार क्षेत्र में शामिल करने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है.जिन पर वर्तमान में महाराष्ट्र और तेलंगाना दाेनाें दावा करते हैं. मुंबई स्थित राज्य विधानमंडल परिसर में आयाेजित एक उच्च-स्तरीय बैठक में यह निर्देश जारी किए गए. बैठक में राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले, राजुरा विधायक देवराज भाेंगले, चंद्रपुर के जिला कलेक्टर विनय गाैड़ा और प्रभावित गांवाें के निवासी शामिल हुए.
बावनकुले ने कहा, जल्द ही अंतिम निर्णय हाेने की उम्मीद है, जिससे ग्रामीणाें काे लंबे समय से प्रतीक्षित राहत मिलेगी. अंतपुर, पद्मावती, इंदिरानगर, पलासागुड़ा, येसापुर, भेलापाथर, लेंडीगुड़ा, येसापुर (नारायणगुड़ा), शंकरलाेधी, महाराजगुड़ा, काेठा (बीके), परमडाेली, मुकदमगुड़ा और लेंडीगुला गांव पिछले कई दशकाें से प्रशासनिक संकट में हैं. यहां के निवासी महाराष्ट्र औरतेलंगाना दाेनाें चुनावाें में मतदान करते हैं और दाेनाें राज्याें की नागरिक सेवाओं का लाभ उठाते हैं. विधायक भाेंगले ने कहा, इन गांवाें में दाे ग्राम पंचायतें, दाे स्कूल, दाे पानी की टंकियां और दाे निर्वाचित प्रतिनिधि हैं. यहां की आबादी पूरी तरह से मराठी भाषी है और सभी दैनिक लेन-देन भी मराठी में ही हाेते हैं. हालांकि यह गांव महाराष्ट्र की राजस्व सीमा के अंतर्गत आते हैं, लेकिन तेलंगाना का इनमें से कई पर प्रशासनिक नियंत्रण है.महाराष्ट्र ने यहां सड़कें, स्कूल और जलापूर्ति याेजनाएं बनाई हैं, जबकि तेलंगाना बिजली प्रदान करता है.