यह देखते हुए कि कुछ लाेगाें के कानाें के लिए जाे दिव्य संगीत हाे सकता है, वह वास्तव में दूसराें के लिए परेशानी का कारण बन सकता है, मद्रास उच्च न्यायालय ने एक आवासीय घर का उपयाेग नाम संकीर्तन (हिंदू देवताओं के नामाें का सामूहिक जाप) के लिए करने पर राेक लगा दी, जब तक कि कलेक्टर परिसर काे प्रार्थना कक्ष के रूप में उपयाेग करने की अनुमति नहीं देता.न्यायमूर्ति एन.आनंद वेंकटेश ने कहा कि कानून सभी पर समान रूप से लागू हाेना चाहिए और काेई भी धार्मिक समूह कलेक्टर की अनुमति के बिना ऐसे परिसराेंका उपयाेग सामूहिक प्रार्थना के लिए नहीं कर सकता.
न्यायाधीश ने कहा, शांति सर्वाेत्तम प्रार्थना है और माैन सबसे महान प्रार्थना है. जिस दिन लाेगाें काे इस सच्चाइका एहसास हाे जाएगा, वे ईश्वर से प्रार्थना करने के लिए ज़ाेर-ज़ाेर से प्रार्थना करके दूसराें काे परेशान नहीं करेंगे. यह टिप्पणियां चेंगलपट्टू जिले के क्राेमपेट स्थित राधा नगर स्थित कृष्णमाचारी स्ट्रीट निवासी प्रकाश रामचंद्रन द्वारा दायर एक रिट याचिका की सुनवाई के दाैरान की गईं. याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि ग्लाेबल ऑर्गनाइजेशन फाॅर डिविनिटी (GOD) नामक एक निजी संस्था ने उनके पड़ाेसी टीएस सुब्रमण्यन के आवासीय परिसर में अपना कार्यालय खाेल लिया है.याचिकाकर्ता ने शिकायत की थी कि परिसर में नाम संकीर्तनम का पाठ किया जा रहा था