आपके बच्चे के हाइजीन और केयर की फिक्र हमें भी है, इसीलिए ताे हम यहां बेबी केयर और उसके हाइजीन से जुड़ी कुछ जरूरी बातें बता रहे हैं.
शिशु के हाइजीन में जरा-सी भी असावधानी उसके लिए नुकसानदेय हाे सकती है. इसलिए उसकी सफाई का खास ख्याल रखें.
शिशु अ्नसर अपनी उंगलियां मुंह में डालकर रखता है, जिससे उसे इंफे्नशन हाेने का खतरा हाेता है, इसलिए दिन में 2-3 बार उसके हाथ जरूर धाेएं.
बच्चे के नाखून हमेशा छाेटे व साफ रखें. वरना नाखून की गंदगी उसके पेट में जा सकती है.
दूध पीने के बाद बच्चे का मुंह गीले कपड़े से पाेंछ दें. अगर उसकी त्वचा शुष्क हाे ताे बेबी ऑयल या बेबीलाेशन का इस्तेमाल करें. शिशु बार- बार पेशाब करता है, उसे गीले में न छाेड़े. उसके कपड़े बदलती रहें.
बेहतर हाेगा कि उसके लिए नैपीज़ का इस्तेमाल करें. ये बच्चाें के लिए हाइजीनिक भी हाेता है और इसमें बच्चा कम्फर्टेबल भी महसूस करता है.
आमताैर पर हमारे यहां ये साेच हाेती है कि 2 महीने तक बच्चे के लिए नैपीज़ का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए,लेकिन ये साेच गलत है. आप नवजात शिशु के लिए भी नैपीज़ का इस्तेमाल कर सकती हैं, बल्कि अगर आप अपने बच्चे के हाइजीन के प्रति ज्यादा सजग हैं, ताे आपकाे उसके लिए नैपीज़ का ही इस्तेमाल करना चाहिए.
नैपी रैश शिशुओं की आम समस्या है. ये गीले नैपी की वजह से हाेता है.इससे अपने शिशु काे बचाने के लिए हर 2-3 घंटे के बाद शिशु की नैपी जरूर चेक करें कि कहीं वाे गीली ताे नहीं हाे गई है.
शिशु काे जरा भी गीला न छाेड़े. बार- बार उसकी नैपी बदलती रहें और नैपी एरिया काे अच्छी तरह सुखाने के बाद ही नैपी पहनाएं.
प्लास्टिक पैंटी बिल्कुल भी न पहनाएं.घर पर हाेने पर उसे खुला ही छाेड़ दें.
शिशु के स्किन या नैपी एरिया काे साफ करने के लिए गुनगुने पानी का इस्तमेाल करें.
अगर आपका शिशु रात में जागता नहीं ताे उसे नैपी चेंज के लिए जगाने की जरूरत नहीं, लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि सुबह उठने के बाद सबसे पहले उसके नैपी एरिया काे अच्छी तरह से साफ कर दें.