ह‹डपसर रैम्प से कचरा विलगीकरण प्रकल्प रातोंरात गायब

प्रोजेक्ट को हटाकर साफ-सफाई की ः आयुक्त की नाराजगी के बाद 6 महीने में रैम्प के मेकओवर के आदेश

    20-Jul-2025
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पुणे, 19 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)

मनपा आयुक्त द्वारा शहर के कचरा रैम्प और प्रकल्पों का अचानक निरीक्षण शुरू करते ही घनकचरा विभाग की खामियां उजागर हो गईं. जैसे ही यह जानकारी सामने आई कि आयुक्त शनिवार को हड़पसर कचरा रैम्प का दौरा करने वाले हैं, वैसे ही एक ही दिन में रैम्प परिसर में खुले में फैले कचरा विलगीकरण प्रकल्प को रातोंरात समेट कर ‌‘साफ-सफाई‌’ कर दी गई. आयुक्त ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए अगले छह महीने में रैम्प के पूर्ण मेकओवर के निर्देश दिए हैं. शहर में एक तृतीयांश यानी 800 से 900 टन कचरा प्रतिदिन हड़पसर रैम्प पर आता है. इसी परिसर में ‌‘भूमि ग्रीन एनर्जी‌’ के दो प्लांट हैं, जहां गीले और सूखे कचरे से क्रमशः कंपोस्ट और RDF (Refuse Derived Fuel) बनाया जाता है.
 
इन प्लांट्स में प्रतिदिन कुल 350 मीट्रिक टन कचरे की प्रक्रिया होती है. वहीं, आदर्श भारत एनवायरो नामक कंपनी द्वारा रैम्प परिसर में सूखा कचरा सीमेंट कंपनियों तक पहुंचाने के लिए 150 टन क्षमता वाला प्रकल्प संचालित किया जा रहा है. कैन्टोंमेंट बोर्ड की सीमा में स्थित इस क्षेत्र में बोर्ड द्वारा वर्षों से फेंका गया दो लाख टन कचरा अब भी पड़ा है. इस क्षेत्र में रिजेक्ट कचरे का वैज्ञानिक लैंडफिलिंग का कार्य भी चल रहा है. करीब 30 एकड़ के इस परिसर में फैले कचरे के कारण भारी दुर्गंध फैलती रही है, जिसकी शिकायतें नागरिकों द्वारा लगातार की जा रही थीं. दुर्गंध को कम करने के लिए मनपा ने बायो- कल्चर स्प्रे की स्थायी व्यवस्था हेतु निविदा मंगाई थी,




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परंतु यह निविदा अनुमानित लागत से 25 गुना अधिक यानी 49 करोड़ रुपए की आने से रद्द कर दी गई. हाल ही में नागरी उड्डयन राज्यमंत्री एवं सांसद मुरलीधर मोहोल ने मनपा आयुक्त व विमान प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने लोहगांव विमानतल परिसर के कचरे से पक्षी और जानवरों के कारण हवाई यातायात को होने वाले संभावित खतरे की ओर ध्यान दिलाया. साथ ही विशेष रूप से 11 स्थलों को स्वच्छ रखने के निर्देश भी अधिकारियों को दिए, जिसमें हड़पसर रैम्प भी शामिल है.
 
दो दिन पहले तक खुले में पड़ा था कचरा
 
इस पृष्ठभूमि में दै.‌‘आज का आनंद‌’ के प्रतिनिधि ने दो दिन पूर्व हड़पसर रैम्प का दौरा कर वस्तुस्थिति जानी. उस समय रैम्प परिसर में ट्रॉमल मशीन से गीले और सूखे कचरे को अलग किया जा रहा था. खुले में पड़ा कचरा और उस पर मंडराते पक्षी दिखाई दिए. यद्यपि अन्य प्रकल्प पर शेड बने हैं, परंतु प्रतिदिन आने वाला कचरा खुले में ही पड़ा रहता है. परिसर से सटे कैंटोन्मेंट बोर्ड का पुराना कचरा डिपो भी वहीं स्थित है. मनपा द्वारा सुबह-शाम बायो-कल्चर का छिड़काव किया जाता है. दै.आज का आनंद में यह खबर प्रकाशित होने के बाद आयुक्त ने शनिवार को रैम्प का दौरा करने का निर्णय लिया. दौरे से ठीक पहले रैम्प परिसर का कचरा विलगीकरण प्रकल्प हटाया गया और सारा कचरा उठा लिया गया. यह सवाल उठ रहा है कि तीन वर्षों से चल रहे इस प्रकल्प की अनदेखी अब तक अधिकारियों ने क्यों की?
 
 
हड़पसर रैम्प पर उचित मैनेजमेंट का अभाव
 
हड़पसर रैम्प पर पर्याप्त जगह होते हुए भी उचित नियोजन नहीं हुआ. अब इस रैम्प की मरम्मत का कार्य तात्कालिक रूप से हाथ में लिया जाएगा और अगले छह महीने में इसका चेहरा पूरी तरह बदल जाएगा. यहां कैंटोन्मेंट बोर्ड का पुराना कचरा डिपो भी है, जिसमें दो लाख टन कचरा वर्षों से जमा है. इस कचरे का बायोमाइनिंग आवश्यक है. इसे लेकर सोमवार को कैन्टोन्मेंट बोर्ड अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई गई है. अगर बोर्ड का महापालिका में समावेश होता है, तो पुराने कचरे के निपटान को प्राथमिकता दी जाएगी.
- नवल किशोर राम, आयुक्त, पुणे मनपा