अस्पृश्यता संबंधी 97% मामले काेर्ट में लंबित

    21-Jul-2025
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नागरिक अधिकार संरक्षण अधिनियम (पीसीआर एक्ट), 1955 के तहत अस्पृश्यता से संबंधित अपराधाें के लिए दर्ज आपराधिक मामलाें की संख्या में गिरावट देखी गई है. अदालताें में लंबित मामलाें की संख्या 97% से अधिक बनी हुई है और लगभग सभी निपटाए गए मामलाें में बरी कर दिए गए हैं, जैसा कि केंद्र सरकार की कानून के कार्यान्वयन पर 2022 की वार्षिक रिपाेर्ट में बताया गया है. यह रिपाेर्ट हाल ही में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक की गई है.इस अधिनियम का उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक क्षेत्राें सहित अस्पृश्यता के विभिन्न रूपाें काे परिभाषित करना और दंड निर्धारित करना है. यह राज्याें और केंद्रशासित प्रदेशाें से प्राप्त जानकारी के साथ एक वार्षिक समीक्षा रिपाेर्ट तैयार करना अनिवार्य करता है, जिसमें मामलाें का पंजीकरण,पुलिस और अदालताें में लंबित मामले, विशेष अदालताें और पुलिस थानाें की स्थापना, और अंतर्जातीय विवाह प्राेत्साहन जैसे पहलुओं काे शामिल किया जाएगा.
 
राष्ट्रीय अपराध रिकाॅर्ड ब्यूराे (एनसीआरबी) काे उपलब्ध कराए गए आंकड़ाें के अनुसार, 2022 में देश भर में पीसीआर अधिनियम के तहत कुल 13 मामले दर्ज किए गए जाे 2021 में 24 और 2020 में 25 से कम है. यह मामले जम्मू-कश्मीर (5), कर्नाटक (5), महाराष्ट्र (2) और हिमाचल प्रदेश (1) से दर्ज किए गए.2022 के दाैरान पुलिस के पास लंबित 51 मामलाें में से, जिनमें पिछले वर्षाें के मामले भी शामिल हैं, 12 में आराेप पत्र दाखिल किए गए. रिपाेर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन राज्याें या केंद्रशासित प्रदेशाें ने आंकड़े प्रस्तुत किए हैं, उनमें से किसी ने भी अपने अधिकार क्षेत्र में किसी भी क्षेत्र काे अस्पृश्यता प्रवण घाेषित नहीं किया है.
 
न्यायालय स्तर पर, इस अधिनियम के तहत कुल 1,242 मामले लंबित थे. 2022 में अदालताें द्वारा निपटाए गए 31 मामलाें में से एक में दाेषसिद्धि हुई, जबकि शेष 30 मामलाें में बरी कर दिया गया. पिछली वार्षिक रिपाेर्टाें की समीक्षा से पता चला है कि 2019 और 2021 के बीच अदालताें द्वारा निपटाए गए पीसीआर अधिनियम के सभी 37 मामलाें में भी बरी कर दिया गया. इसके विपरीत, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत दर्ज मामलाें की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है, 2022 में 62,501 मामले दर्ज किए गए. इस अधिनियम के तहत लंबित मामलाें का आंकड़ा पुलिस के पास 17,000 से अधिक और देश भर की अदालताें में 2.33 लाख से अधिक है.पीसीआर अधिनियम की पिछली रिपाेर्टाें की समीक्षा से यह भी पता चला कि इस कानून के तहत दर्ज मामलाें की संख्या 1989 के बाद कम हाेने लगी, जब अत्याचार निवारण अधिनियम लागू किया गया.