आलंदी, 21 जुलाई (आज का आनंद न्यूज नेटवर्क)
यदि अध्यात्म और विज्ञान का मेल हो जाए, तो भारत अपना पूर्व गौरव पुनः प्राप्त कर सकता है. इसके लिए युवाओं में बढ़ती व्यसन प्रवृत्ति को रोककर उन्हें भक्ति में लीन करना होगा. यह कार्य केवल वारकरी संप्रदाय ही कर सकता है. चाणक्य मंडल के संस्थापक अध्यक्ष अविनाश धर्माधिकारी ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत वेिश गुरु तभी बनेगा जब युवा ज्ञानोबा-तुकोबा के विचारों का अनुसरण करेंगे. वे ‘महाराष्ट्र वारकरी कीर्तनकार गोलमेज सम्मेलन’ के उद्घाटन अवसर पर बोल रहे थे. यह 2 दिवसीय सम्मेलन हनुमानवाड़ी आलंदी (देवाची) स्थित डॉ. वेिशनाथ कराड वेिश शांति विद्यालय में संपन्न हुआ. सम्मेलन का आयोजन ‘एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एजुकेशन, पुणे’ और ‘एमआईटीराष्ट ्रीय सरपंच संसद’ द्वारा संयुक्त रूप से किया गया था. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कीर्तनकार बापूसाहेब महाराज मोरे, खांडबहाले डॉट कॉम के निर्माता डॉ. सुनील खांडबहाले, पोपटराव पवार, जगन्नाथ महाराज पाटिल समेत यशोधन महाराज साखरे, रामकृष्ण महाराज, मुख्य संयोजक योगेश पाटिल और राष्ट्रीय सरपंच संसद के सह-संयोजक प्रकाश महाले भी उपस्थित थे.
एमआईटी वर्ल्ड पीस यूनिवर्सिटी के संस्थापक अध्यक्ष प्रो. डॉ. वेिशनाथ दा. कराड ने अध्यक्षता करते हुए कहा कि कीर्तनकार समाज को जागृत करने के लिए ज्ञानोबा तुकोबा का संदेश दें. मन को स्थिर करने का साधन ज्ञानेेशर के ज्ञान में है.बताया गया कि इस सम्मेलन में पूरे महाराष्ट्र से 70 कीर्तनकारों और 150 सरपंचों ने भाग लिया था. सम्मेलन के माध्यम से वारकरी संप्रदाय के समक्ष आने वाली समस्याओं के समाधान हेतु एक योजना तैयार की जाएगी और उस पर कार्य किया जाएगा. डॉ. शालिनी टोणपे ने कार्यक्रम का संचालन किया.