अब आपदाओं के दाैरान सिर्फ जीवित लाेगाें काे ही नहीं, बल्कि मलबे में दबे शवाें और मानव अवशेषाें की तलाश के लिए भी राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की टीम पहले से कहीं ज्यादा सक्षम हाेगी. कारण है कि एनडीआरएफ की टीम में पहली बार ऐसे विशेष प्रशिक्षित कैडेवर डाॅग्स काे शामिल किया जा रहा है, जाे मलबे के अंदर फंसे लाेगाें और मृत शरीर की गंध काे सूंघकर उन्हें खाेज निकालने में मदद करेंगे.मामले में एनडीआरएफ अधिकारियाें के मुताबिक, करीब आधा दर्जन डाॅग्सकाे इस काम के लिए पिछले कुछ महीनाें से तमिलनाडु के अरक्काेनम और उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद में ट्रेनिंग दी जा रही है. यह कुत्ते खास ताैर पर बेल्जियन मेलिनाॅयस और लैब्राडाेर नस्ल के हैं.
अधिकारियाें ने बताया कि इन कैडेवर डाॅग्स काे ट्रेनिंग देने के लिए एनडीआरएफ ने विदेश से एक खासखुशबू मंगवाई है, जाे मृत शरीर से निकलने वाली गंध जैसी हाेती है.असली शव या अंग आसानी से नहीं मिलते, इसलिए यह खुशबू इस्तेमाल की जा रही है. अब तक एनडीआरएफ का फाेकस आपदा के दाैरान जिंदगी बचाने पर रहा है, लेकिन कई बार उन्हें मृतकाें काे निकालने के काम में भी लगाया जाता है, जैसे कि भूस्खलन, सड़क हादसे या ट्रेन दुर्घटना के बाद.साथ ही एक अधिकारी ने बताया कि शव की तलाश करना ज्यादा मुश्किल हाेता है क्याेंकि इसमें माैसम, नमी, बर्फ और आसपास की दूसरी गंधें असर डालती हैं. यही वजह है कि भारत में बहुत कम रेस्क्यू एजेंसियाें के पास ऐसे डाॅग्स हैं.